Dumaria (Sanat Kr Pani) : झारखंड-ओडिशा सीमा पर स्थित पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड का पहाड़ों के बीच बसा संताल बहुल लखाईडीह गांव आज पूरे देश को प्रेरणा देने का काम कर रहा है. इस गांव के लोग शराब नहीं पीते हैं. गांव में पूर्ण शराबबंदी है. साथ ही इस गांव के प्रभाव से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के चार हजार आदिवासी गांवों के करीब 14 लाख से अधिक लोगों ने शराब पीनी छोड़ दी है. इस गांव में आदिवासी और सबर जनजाति के लोग रहते हैं. सबर जनजाति के लोगों ने भी शराब पीनी छोड़ दी है. चारों ओर पहाड़ों से घिरा गांव, ऊंचे पहाड़ और बड़े-बड़े साल के वृक्ष पहाड़ के ऊपर बसा यह गांव प्रखंड कार्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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गांव में शराब बंदी की शुरुआत 1974 से हुई थी
गांव में पूर्ण शराब बंदी की शुरूआत वर्ष 1974 से हुई थी. इसके लिए लखाईडीह के ग्राम प्रधान कान्हू राम टुडू ने पहल की थी. पहले सभी ग्रामीण दिन-रात शराब का सेवन करते थे. इसके कारण पीढ़ी दर पीढ़ी शराब के नशे में बर्बाद हो रहे थे. ग्राम प्रधान कान्हू राम टुडू ने ग्रामीणों को समझाया. फिर गांव में बैठक हुई. उसमें निर्णय हुआ कि शराब नहीं पीयेंगे. कुछ वर्षों बाद इस गांव के लोगों ने पूरी तरह से शराब पीनी छोड़ दी. ग्रामीण आदिवासी समाज का सामाजिक शिक्षण संस्था द ऑल इंडिया सारना धरम चेमेद आसरा के अनुयायी बने. इसके बाद गांव में आश्रम की स्थापना हुई. ग्राम प्रधान सह नायके बाबा बन कर कान्हू राम टुडू ने लाखों लोगों को शराब मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आदिवासी समाज के लोग इनके संपर्क में आते गये. इनके विचारों से प्रभावित होकर शराब छोड़नी शुरू की, जो आज तक जारी है.
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बच्चे शराब के नशे में शिक्षा से हो रहे थे दूर
हमारे बच्चे शराब के नशे में शिक्षा से दूर होते जा रहे थे. समाज के लोग विकास की रेस में पिछड़े रहे थे. मन में समाज के बारे में सोच कर चिंतित रहता था. फिर गांव के लोगों के साथ बैठक की और शराब छोड़ने का संकल्प लिया. आज खुशी है कि गांव पूरी तरह से शराब मुक्त हो गया है और हम हर राज्य में आदिवासी समाज के लोगों को शराब मुक्त जीवन जीने को प्रेरित कर रहे हैं.
कान्हूराम टुडू, ग्राम प्रधान, लखाईडीह
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