Rupam kishor Singh Dumka : मेडिकल के छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद दिलाई जाने वाली शपथ को लेकर चली आ रही वर्षों पुरानी परंपरा में बड़ा बदलाव आया है. भारतीय डॉक्टरों में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाल ही में भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के सुझाव पर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज दुमका (पीजेएमसी) में स्नातक समारोह के दौरान हिपोक्रेटिक शपथ की जगह चरक शपथ दिलाई गई. चरक शपथ आयुर्वेद विशारद महर्षि चरक की चिकित्सा किताब चरक संहिता पर आधारित है. पहले यह शपथ एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद दिलाई जाती थी, लेकिन अब मेडिकल कॉलेज में नामांकन के बाद पढ़ाई शुरू होने से पहले दिलाई जाती है. शपथ की नई परंपरा के तहत पीजेएमसी में एमबीबीएस 2021 के बैच के छात्रों ने चरक शपथ लेकर पढ़ाई शुरू की. इस अवसर पर नए छात्रों को सफेद कोट यानि एप्रन देते हुए 2019 बैच के छात्रों ने उन्हें डाक्टर वर्ग से अधिकृत रूप से जुड़ने पर स्वागत किया. सफेद रंग शांति, शीतलता और पवित्रता का प्रतीक है. इसके साथ ही सफेद रंग स्वच्छता व्यक्त करता है और संक्रमण की शुद्धता को भी दर्शाता है. सफेद रंग एक चिकित्सक की ईमानदारी और कार्य के प्रति निष्ठा को भी व्यक्त करता है. अब तक एमबीबीएस के नए छात्रों को हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलाने की परिपाटी थी लेकिन अब इसे बदलकर महर्षि चरक शपथ दिलाने की परंपरा शुरू हुई है. महर्षि चरक शपथ का सुझाव एनएमसी की वर्चुअल बैठक के बाद दिया गया. महर्षि चरक आयुर्वेद विशारद थे. जिन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से चिकित्सा जगत में क्रांति ला दी थी. मौके पर पीजेएमसी के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार, प्राध्यापक डॉ. चंद्र भूषण, डॉ. नंद किशोर, डॉ. विजय, डॉ. पूनम मेहता, डॉ. केशव कृष्णा समेत अन्य उपस्थित थे. Edited by Baidyanath Jha यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=249328&action=edit">यह
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