Surjit Singh
देश की इकोनॉमी कितनी खराब हो सकती है. आम आदमी इसकी कल्पना भी नहीं कर पा रहा. हालात यह है कि हम अपने आस-पास यानी की पड़ोस के सभी देशों से खराब हालात में पहुंच चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश उस स्थान पर पहुंच गया हैं, जहां से निकल पाना आसान नहीं. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शायद ठीक ही कहा हैः प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक समझ है ही नहीं और उनके कैबिनेट के मंत्री का आईक्यू कमजोर है.
सबसे पहले बात करें देश पर कर्ज की. देश पर कुल जीडीपी का 89.56 प्रतिशत कर्ज हो गया है. अगर इसे प्रति व्यक्ति देखें, तो यह आंकड़ा 1777 डॉलर आता है. यानी प्रति व्यक्ति कर्ज करीब 1.30 लाख रूपया हो गया है. नीचे के आंकड़े को देखें. वर्ष 1997 से वर्ष 2020 तक भारत की जीडीपी के अनुपात में कर्ज का उल्लेख है, कुछ बातें स्पष्ट हो जाती है.
जब वर्ष 1998 में अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने. तो देश पर GDP का 68.09% क़र्ज़ था और जब उन्होंने 2004 में सत्ता छोड़ी तो देश पर GDP का 83.29 % क़र्ज़ हो गया था.
Date | Debt(M.s) | Debt (%GDP) | Debt per capita |
2020 | 2,427,886 | 89.56% | 1,777$ |
2019 | 2,120,754 | 73.89 % | 1,552 $ |
2018 | 1,896,383 | 70.24 % | 1,402 $ |
2017 | 1,842,297 | 69.46% | 1,376$ |
2016 | 1,576,758 | 68.71% | 1,190$ |
2015 | 1,446,594 | 68.78% | 1,104$ |
2014 | 1,362,344 | 66.83% | 1,052$ |
2013 | 1,251,011 | 67.38% | 977$ |
2012 | 1,218,429 | 67.66% | 963$ |
2011 | 1,245274 | 68.29% | 996$ |
2010 | 1,127,257 | 66.04% | 913$ |
2009 | 971,759 | 71.09% | 798$ |
2008 | 890,584 | 72.74% | 742$ |
2007 | 916,871 | 74.03% | 775$ |
2006 | 731,810 | 77.11% | 628$ |
2005 | 674,465 | 80.89% | 588$ |
2004 | 601,274 | 83.29% | 532$ |
2003 | 521,083 | 84.24% | 469$ |
2002 | 434,267 | 82.85% | 397$ |
2001 | 388,856 | 78.73% | 362$ |
2000 | 350,880 | 73.65% | 332$ |
1999 | 326,652 | 70.04% | 315$ |
1998 | 291,947 | 68.09% | 286$ |
1997 | 286,999 | 67.82% | 287$ |
मनमोहन सिंह ने वर्ष 2004 में सत्ता संभाली तब देश पर GDP का 83.29 % क़र्ज़ था. जो उनके 10 साल के कार्यकाल में हर साल घटता रहा और वर्ष 2014 में उन्होंने इसे घटाकर GDP का 66.83 % कर दिया.
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आयी. जिसके बाद से देश पर लगातार कर्ज बढ़ता गया. वर्ष 2020 तक आते-आते देश का क़र्ज़ GDP का 89.56% हो गया. चालू वर्ष में इसके और बढ़ने की बात कही जा रही है.
IMF यानी इंटरनेशन मोनिटरी फॉर्म (आइएमएफ) ने कल ही 2020 के विकास दर की जानकारी दी है. भारत की 2020 में विकास दर -7.3 है. जो आस-पड़ोस देशो में सबसे खराब रही है. यानी वर्स्ट रही है. लेकिन हम यह मानने को तैयार नहीं कि देश ने गलत हाथ में नेतृत्व दे दिया है. जो हालात बनते जा रहे हैं, वह बताते हैं कि आने वाला समय हमारे लिये सबसे खराब होगा.
Country | GDP Growth 2020 |
Bangladesh | 3.8 % |
China | 1.9 % |
Vietnam | 1.6 % |
Nepal | 0.0 % |
Pakistan | -0.4 % |
Indonesia | -1.5 % |
Sri Lanka | -4.6 % |
Afghanistan | -5.0% |
Malaysia | -6.0 % |
Thailand | -7.1 % |
बात GDP ग्रोथ की करें, तो आंकड़े साफ बता रहे हैं कि जीडीपी ग्रोथ के मामले में हम सिर्फ पड़ोसी बंग्लादेश से ही पीछे नहीं हैं. हमारी स्थिति चीन, वियतनाम, नेपाल, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया और थाईलैंड से भी खराब है.
बेरोजगारी की स्थिति तो सबको पता ही है. कोरोना की दूसरी लहर में भारत में करीब एक करोड़ लोग बेरोजगार हो गये हैं. लेकिन कल ही मोदी सरकार के मंत्री ने टीवी पर आकर कहा कि देश में पैसे की कमी नहीं है.
इतनी खराब स्थिति में पहुंचने के बाद भी सोशल मीडिया पर कई लोग “आयेगा तो मोदी ही” वाला भजन गाते दिख रहे हैं. ऐसे लोगों का भगवान ही मालिक है. हां, ऐसे लोग इस फटेहाल वाली स्थिति पर भी गर्व कर सकते हैं.
देश बर्बादी के चरम सीमा पर पहुँच गई है मगर भक्तों के दिमाग में हिन्दू मुस्लिम का एजेंडा फिट किया गया है।