Lagatar Desk : भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर काफी भयावह है. संक्रमित लोगों की संख्या रोज बढ़ रही है. मौतों का आंकड़ा में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. अधिकांश राज्यों में कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है. हाल ही में ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत के राज्यों में आवाजाही पर प्रतिबंध लगाये जाने के कारण व्यावसायिक गतिविधियों दोबारा शुरू होने की रफ्तार में भारी गिरावट आयी है. नोमुरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से ही भारत में कारोबारी गतिविधियां कम होने लगी हैं. इससे देश की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है.
नोमुरा का बिजनेस इंडेक्स 16 फीसदी गिरा
नोमुरा इंडिया बिजनेस रिज्यूमेनेशन इंडेक्स महामारी पूर्व के स्तर से लगभग 16 फीसदी गिर गया है. यह सूचकांक 18 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में पहले के 88.4 से घटकर 83.8 पर आ गया था. यह बताता है कि कड़े लॉकडाउन के कारण भारत में व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से कम होती जा रही हैं.
हालांकि भारत में राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन कई राज्यों में सख्त लॉकडाउन के कारण व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है. नोमुरा के लिए इस रिपोर्ट को तैयार करनेवाले दो अर्थशास्त्रियों ने संकेत दिया है कि कम आवाजाही के कारण अगले कुछ हफ्तों में कोरोना की दूसरी लहर का आर्थिक प्रभाव और दिखाई दे सकता है.
बिजली की मांग और श्रम भागीदारी अप्रभावित
हालांकि अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और अरूदीप नंदी ने रिपोर्ट में कहा है कि बिजली की मांग और श्रम भागीदारी दर अब तक बहुत हद तक अप्रभावित बनी हुई है. कोविड-19 वायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए राज्यों द्वारा लगाये गये नये प्रतिबंधों के कारण विमानन, पर्यटन, ऑटोमोबाइल, होटल, रेस्तरां और अन्य व्यवसाय पहले से ही काफी नुकसान झेल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति में और क्षेत्रों के प्रभावित होने की संभावना है. क्योंकि देश में कोरोना के मामलों में तेज वृद्धि हो रही है. मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसे देखते हुए राज्यों के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे महानगरों से कई प्रवासी मजदूर घर लौट रहे हैं. उन्हें 2020 जैसे हालात पैदा होने का डर है.
पहली तिमाही में जीडीपी हो सकती है प्रभावित
मजदूरों के पलायन से निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास जैसी प्रमुख आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने की आशंका है. रिपोर्ट कहती है कि कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर पड़नेवाले समग्र प्रभाव का आकलन करना फिलहाल मुश्किल है. लेकिन पहली तिमाही में जीडीपी दर में वृद्धि पर इसका नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है. यदि महामारी पर मई के अंत तक काबू में नहीं आती है, तो चालू वर्ष में जीडीपी पर इसका काफी विपरीत असर पड़ सकता है.