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Economic Survey : बेहतर स्थिति में है भारतीय अर्थव्यवस्था, घट गयी महंगाई दर

  • दूरसंचार सुधार से तरलता बढ़ेगी, 5जी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा
New Delhi :  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश किये गये आर्थिक सर्वे में यह संभावना जतायी गयी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 8-8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर की अवधि में खुदरा महंगाई दर 5.2% रही है. ये वित्त वर्ष 2020-21 की इसी अवधि में 6.6% थी. आर्थिक सर्वे के मुताबिक, 2022-23 का वृद्धि अनुमान इस धारणा पर आधारित हैं कि आगे कोई महामारी संबंधी आर्थिक व्यवधान नहीं आयेगा, मानसून सामान्य रहेगा, कच्चे तेल की कीमतें 70-75 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहेंगी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधान इस दौरान लगातार कम होंगे.

2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी

समीक्षा में कहा गया कि तेजी से हुए टीकाकरण, आपूर्ति-पक्ष के सुधारों तथा नियमनों को आसान बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था भविष्य की चुनौतियों से निपटने को अच्छी तरह तैयार है. आर्थिक सर्वे में उम्मीद जाहिर की गयी है कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो महामारी से पहले के स्तर के मुकाबले सुधार का संकेत है. इसका मतलब है कि वास्तविक आर्थिक उत्पादन का स्तर 2019-20 के कोविड-पूर्व स्तर को पार कर जाएगा. वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.

चुनौतियों से निपटने में सक्षम

सर्वे के अनुसार, सरकार के पास समर्थन बनाये रखने और जरूरत पड़ने पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने की वित्तीय क्षमता है. आर्थिक सर्वे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए आपूर्ति-पक्ष के मुद्दों पर केंद्रित है. सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है और यह 2022-23 की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है.

अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने को तैयार

सर्वे कहता है, कुल मिलाकर अभी जो आर्थिक स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं वे बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छी स्थिति में होने की एक वजह इसकी अनोखी प्रतिक्रिया रणनीति है.

टीकाकरण एवं सुधारों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी

सर्वे कहता है कि अगले वित्त वर्ष में वृद्धि को व्यापक टीकाकरण, आपूर्ति-पक्ष में किए गए सुधारों से हासिल लाभ एवं नियमनों में दी गयी ढील से मजबूती मिलेगी. समीक्षा में कहा गया है कि निर्यात में मजबूत वृद्धि और राजकोषीय गुंजाइश होने से पूंजीगत व्यय में तेजी आएगी जिससे अगले वित्त वर्ष में वृद्धि को समर्थन मिलेगा. इसमें कहा गया है, देश की वित्तीय प्रणाली अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को समर्थन देने के लिए बेहतर स्थिति में है.

निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने की उम्मीद

वित्तीय प्रणाली की मजबूती से निजी निवेश में तेजी आने की संभावना है. समीक्षा कहती कि निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए वित्तीय प्रणाली अच्छी तरह तैयार है. इसमें आगे कहा गया कि बैंकिंग प्रणाली अच्छी तरह से पूंजीकृत है और गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में संरचनात्मक रूप से गिरावट आई है. समीक्षा के मुताबिक, थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति की ऊंची दर कुछ हद तक आधार प्रभाव के कारण है, लेकिन साथ ही इसमें कहा गया है कि भारत को आयातित मुद्रास्फीति से सावधान रहने की जरूरत है. ऊंची ऊर्जा कीमतों के संबंध में खासतौर से यह बात कही गई है.

दूरसंचार क्षेत्र ने `उत्कृष्ट प्रदर्शन` किया

बजट सत्र के पहले दिन संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में दूरसंचार क्षेत्र के सुधार और 4जी प्रसार को बढ़ावा देने की बात कही गई है. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि 5जी नेटवर्क में निवेश के लिए सरकार सक्षम माहौल बनाने के लिए तैयार हैं. वित्त वर्ष 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, कोरोना महामारी की चुनौतियों का सामना करने में दूरसंचार क्षेत्र ने `उत्कृष्ट प्रदर्शन` किया है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन के मद्देनजर ऑनलाइन शिक्षा और घर से काम करने जैसी गतिविधियां बढ़ी हैं. सरकार के मुताबिक ऑनलाइन गतिविधियों के बढ़ने के कारण डेटा की खपत में भारी वृद्धि हुई है. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि दूरसंचार क्षेत्र में किए गए सुधार उपायों से ब्रॉडबैंड और दूरसंचार कनेक्टिविटी के प्रसार और पैठ को बढ़ावा मिलेगा.

प्रधान आर्थिक सलाहकार के नेतृत्व में तैयार हुआ है सर्वे

प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल के नेतृत्व वाले एक दल द्वारा तैयार इस दस्तावेज में आगे कहा गया कि 2020-21 में अर्थव्यवस्था को दिये गये वित्तीय समर्थन के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के कारण राजकोषीय घाटा और सरकारी ऋण बढ़ गया. हालांकि, 2021-22 में अब तक सरकारी राजस्व में जोरदार उछाल देखने को मिला है. इसे भी पढ़ें – कल">https://lagatar.in/state-lawyers-will-stay-away-from-judicial-work-tomorrow-urged-not-to-pass-contrary-orders/">कल

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