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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट : ग्रामीण विकास में झारखंड की प्रगति, 13.42 लाख KCC कार्ड में 4.31 लाख एक्टिव

Ranchi :   झारखंड विधानसभा में आज आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में राज्य में लगभग 13.42 लाख केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) हैं, हालांकि सक्रिय KCC कार्ड की संख्या केवल 4.31 लाख है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3.69 लाख केसीसी खातों के तहत लगभग 2.591.75 करोड़ रुपये वितरित किये गये थे, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 722 लाख खातों के तहत लगभग 3.987.88 करोड़ रुपये हो गये.

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 ((MGNREGA) का उद्देश्य देश के ग्रामीण इलाकों में लोगों की जीवनयापन की सुरक्षा को बढ़ाना है. इस कानून के तहत, हर वित्तीय वर्ष में हर परिवार को 100 दिनों का गारंटीकृत वेतन पर काम देने का प्रावधान है. राज्य में कुल श्रमिकों के मुकाबले सक्रिय श्रमिकों का प्रतिशत नवंबर 2024 तक लगभग 52.57 था.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) को भारत सरकार ने कनेक्टिविटी (संबद्धता) प्रदान करने के लिए शुरू किया था, ताकि गरीबी उन्मूलन रणनीति के तहत अनकनेक्टेड (असंबद्धता) बस्तियों को जोड़ सकें. 30 दिसंबर 2024 तक झारखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग 33198 किलोमीटर सड़कें स्वीकृत की गयी, जिनमें से 30566 किलोमीटर पहले ही पूरी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री आवास योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), जिसे पहले इंदिरा आवास योजना कहा जाता था, भारत सरकार का एक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य सभी बेघर या कच्चे और जर्जर घरों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों को पक्के घर और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 17,05,355 घरों की एक ऊपरी सीमा निर्धारित की है, जिनमें से 15,64,091 घर पहले ही बनकर तैयार हो चुके हैं.

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAS) वृद्ध, विधवा, विकलांग और उन परिवारों को सहायता प्रदान करता है, जिनके मुख्य कमाने वाले सदस्य का निधन हो चुका है. इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थियों की संख्या वर्षों के साथ बढ़ती गयी है. वित्तीय वर्ष 2018-19 तक राज्य में कुल लाभार्थियों की संख्या 2.72 करोड़ थी, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 (दिसंबर) तक बढ़कर 3.66 करोड़ हो गयी.

शहरीकरण : एक अवसर

शहरीकरण संकट नहीं बल्कि एक अवसर है, इसे संकट के रूप में देखना गलत है. केवल गांवों की बात नहीं है, हम चाहते हैं कि हर किसी को, जहां भी वे रहें, अवसर मिलें. आत्मा गांव की हो और सुविधा शहर की हो, यही हमारा विश्वास है.

शहरीकरण का स्तर

पूर्वी सिंहभूम जिले में शहरीकरण का स्तर सबसे अधिक 55.03 प्रतिशत था.  जबकि गोड्डा में शहरीकरण का स्तर सबसे कम 3.53 प्रतिशत था. 2011 में 40 प्रतिशत से अधिक शहरीकरण स्तर वाले जिलों की संख्या बढ़कर 5 हो गयी, जिनमें रांची और रामगढ़ जिले शामिल थे.

भौगोलिक वितरण

भौगोलिक वितरण की बात करें तो दोनों वर्षों में राज्य के पूर्वी मध्य और दक्षिण-पूर्वी भागों में शहरीकरण सबसे अधिक था. इस प्रकार के वितरण पैटर्न मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के कारण विकसित हुए हैं.

सड़क ढांचा

राज्य सरकार ने राज्य के शहरी क्षेत्रों का सड़क ढांचा सुधारने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं. प्रभावी सड़क ढांचा राज्य भर में सहज परिवहन सुनिश्चित करता है, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देता है, ग्रामीण कनेक्टिविटी को सुधारता है और स्वास्थ्य देखभाल व शिक्षा जैसी अन्य सेवाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाता है.

नमामि गंगे कार्यक्रम

नमामि गंगे कार्यक्रम, जिसे केंद्रीय सरकार ने जून 2014 में मंजूरी दी थी, एक समग्र संरक्षण मिशन है. इसका उद्देश्य गंगा नदी को प्रभावी रूप से प्रदूषण मुक्त करना, संरक्षण करना और पुनर्जीवित करना है. झारखंड को राष्ट्रीय मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) से 2014-15 से लेकर 31 अक्टूबर 2022 तक परियोजना कार्यान्वयन के लिए 250.005 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली है.

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) के तहत स्वयं सहायता समूहों की संख्या वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2,799 से बढ़कर 2023-24 में 2,939 हो गयी. 30 सितंबर 2024-25 तक यह संख्या 1,924 थी. इसी तरह, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों की संख्या भी वित्तीय वर्ष 2022-23 में 28,099 से बढ़कर 2023-24 में 29,440 हो गयी.

कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सृजन

कौशल प्रशिक्षण रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या 7447 और 7367 थी.