आर्थिक सर्वे रिपोर्टः मैनुफैक्चरिंग सेक्टर हुआ कमजोर, कॉरपोरेट का इंवेस्टमेंट कम

Surjit Singh केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने शुक्रवार को लोकसभा में आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट पेश की. जिसमें सरकार ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि देश में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर कमजोर हुआ है और कारपोरेट, यानी बड़ी कंपनियों ने इंवेस्टमेंट (निवेश) कम किया है. सरकार ने यह सच भी स्वीकार किया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीडीपी का विकास दर का अनुमान कम होकर 6.4 प्रतिशत रह गया है. यह अनुमान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 7 प्रतिशत के अनुमान से काफी कम है. जीडीपी का विकास कम होने की वजह मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र का कमजोर होना और उद्योगपतियों द्वारा कम निवेश करना है. गौर करने वाली बात है कि पिछले 7-8 सालों में केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों को कॉरपोरेट टैक्स में भारी छूट दी. अब तक तकरीबन 16 लाख करोड़ रूपये से अधिक छूट कॉरपोरेट को मिले. इस छूट को देने के पीछे तर्क यह था कि छूट में मिली राशि को कंपनियां निवेश पर खर्च करेगी. लेकिन कंपनियों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी विकास का दर 6.3-6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. यह बताता है कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. बाजार में डिमांड नहीं है और रोजगार नहीं है. महंगाई इतनी अधिक है कि कंपनियां जो सामान बनाती है, वह महंगी है और लोगों के पास खरीदने के लिए पैसे नहीं है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में जीडीपी विकास दर का अनुमान यह भी बताता है कि मोदी सरकार ने 2047 तक विकसित भारत का जो सपना दिखाया है, वह पूरा नहीं होने वाला. क्योंकि 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए देश के जीडीपी को कम से कम 8.00 प्रतिशत की दर से बढ़ना चाहिए.
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