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भ्रष्टाचार में फंसे भाजपा के करीबी नेताओं के मामले में ईडी और सीबीआई की चाल सुस्त

  • कोड़ा कांड में मधु कोड़ा समेत उनके कैबिनेट के छह मंत्रियों के खिलाफ जांच पूरी कर इन केंद्रीय एजेंसियों ने आरोप पत्र दायर किया था.
  • कोड़ा कैबिनेट के मंत्री हरि नारायण राय और एनोस एक्का को सीबीआई और ईडी दोनों ही कोर्ट द्वारा अलग-अलग सजा सुनायी जा चुकी है.
  • निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़, कमलेश कुमार सिंह और भानु प्रताप शाही का मामला कोर्ट में 10 साल से अधिक समय से लटका हुआ है.
  • कोड़ा कैबिनेट में मंत्री रहे बंधु तिर्की के ख़िलाफ़ सिर्फ सीबीआई के मामले में सजा सुनायी गयी है.


Ranchi : भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे झारखंड के निर्दलीय मुख्यमंत्री के तीन कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ़ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई की चाल सुस्त हो गयी है. इससे तत्कालीन तीन मंत्रियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र पर ट्रायल धीमी गति से चल रही है. 

 

इन मंत्रियों में तत्कालीन निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़, कमलेश कुमार सिंह और भानु प्रताप शाही का नाम शामिल है. इनका मामला कोर्ट में 10 साल से अधिक समय से लटका हुआ है. इन मंत्रियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है जिसमें राजनीतिज्ञों के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित अन्य आपराधिक मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश दिया गया है.

 

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पूर्व मंत्री कमलेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व पूर्व मंत्री भानू प्रताप शाही की फाईल फोटो. (तीनों अब भाजपा में हैं या पार्टी से संबंध रखते हैं)

 

झारखंड के निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल (2006-08) अवैध खनन सहित अन्य तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा. राज्य में इसे कोड़ा कांड के रूप में जाना जाता है. राजीव शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा की गयी शिकायत के आधार पर निगरानी थाने में मधु कोड़ा व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी (09/09) दर्ज की गयी. 

 

निगरानी जांच की सुस्त गति को देखते हुए मामले में सीबीआई जांच के लिए कई जनहित याचिकाएं (4700/2008, 2252/2009) दायर की गयी. इन याचिकाओं में कोड़ा पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अगस्त 2010 में निगरानी थाने में दर्ज प्राथमिकी की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के हवाले करने का आदेश दिया. इसके बाद सीबीआई और ईडी ने मामले की जाँच के लिए प्राथमिकी दर्ज की.

 

कोड़ा कांड में न्यायालय के आदेश के बाद मधु कोड़ा कैबिनेट के छह मंत्रियों के खिलाफ जांच पूरी कर इन केंद्रीय एजेंसियों ने आरोप पत्र दायर किया. इन मंत्रियों में निर्दलीय मुख्य मंत्री मधु कोड़ा, भानु प्रताप शाही, कमलेश सिंह, एनोस एक्का, हरि नारायण राय और बंधु तिर्की का नाम शामिल है.

 

न्यायालय ने ट्रायल के बाद इनमें से तीन तत्कालीन मंत्रियों का सजा सुना चुकी है. इन मंत्रियों में एनोस एक्का, हरि नारायण राय और बंधु तिर्की शामिल है. हरि नारायण राय और एनोस एक्का को सीबीआई और ईडी दोनों ही कोर्ट द्वारा अलग-अलग सजा सुनायी जा चुकी है.

 

बंधु तिर्की के ख़िलाफ़ सिर्फ सीबीआई के मामले में सजा सुनायी गयी है. लेकिन मधु कोड़ा, भानु प्रताप शाही और कमलेश सिंह के मामले में अभी ट्रायल चल ही रहा है. इन तीनों तत्कालीन मंत्रियों का किसी ना किसी रूप में भाजपा से संबंध बन गया है. पिछले 11 सालों से भाजपा केंद्र में सत्तासीन है.

 

झारखंड के तत्कालीन निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को कोयला घोटाले में दिल्ली सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में दिल्ली स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत से तीन साल की सजा सुनायी जा चुकी है. हालांकि रांची सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामले न्यायालय में लंबे समय से विचाराधीन है. आज की तारीख में मधु कोड़ा व उनकी पत्नी दोनों भाजपा से संबंधित हैं.

 

झारखंड के निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा 2000 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ कर विधायक बने थे. 2005 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके बाद वह बागी हो गये और निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गये. बाद में उन्होंने झारखंड नव निर्माण नाम की अपनी पार्टी बना ली. फ़िलहाल उनकी पत्नी गीता कोड़ा  भाजपा में हैं.

 

कोड़ा कैबिनेट के तत्कालीन मंत्री भानु प्रताप शाही के खिलाफ सीबीआई और ईडी दोनों ही जांच एजेंसियों ने आरोप पत्र दायर कर रखा है. हालांकि दोनों ही मामले लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन हैं और ट्रायल की गति सुस्त है. भानु प्रताप शाही 2005 में ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक की टिकट पर चुनाव लड़ कर भवनाथपुर विधानसभा से विधायक बने थे. 2019 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ कर जीते. 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फ़िलहाल भाजपा में हैं.

 

कोड़ा मंत्रिमंडल के तत्कालीन मंत्री कमलेश कुमार सिंह के खिलाफ भी सीबीआई और ईडी ने आरोप पत्र दायर कर रखा है. हालांकि दोनों ही मामले लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन है. दोनों ही केंद्रीय एजेंसियों की चाल सुस्त है. कमलेश के करीबी रिश्तेदार भाजपा के सांसद है. 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले कमलेश सिंह एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष थे. 4 अक्टूबर 2024 को भाजपा में शामिल हो गए. अभी हुसैनाबाद से विधायक हैं. 

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