Ranchi : झारखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों को किताबें मिलनी हैं. पहली से 10वीं कक्षा तक पढ़ने वाले करीब 40 लाख बच्चों को किताब देना है. मगर अबतक मात्र 16 लाख बच्चों को ही किताब मिल पायी है. प्रदेभर में 24 लाख बच्चों को अबतक किताबें नहीं मिल पायी हैं. सत्र 2021-22 में बच्चों की किताबें उनके घरों तक पहुंचाने की योजना है. आधा दर्जन जिलों में कक्षा एक से दस तक के बच्चों को सरकारी किताबें अभी तक नहीं मिली हैं. इनमें हजारीबाग, खूंटी, कोडरमा, पलामू, पश्चिमी सिंहभूम तथा सिमडेगा शामिल हैं.
शिक्षा विभाग में बुधवार को किताब वितरण को लेकर समीक्षा बैठक हुई. जिसमें शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने उक्त सभी छह जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक का वेतन रोकने का आदेश दिया है. इस संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शैलेश कुमार चौरसिया ने सभी उपायुक्तों को पत्र भेज दिया है. उन्होंने सभी बच्चों को किताबें मिलने तक इन सभी जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक के वेतन पर रोक लगाने को कहा है. बता दें कि सभी जिलों को मार्च-अप्रैल में ही किताबें वितरित करने के निर्देश दिए गए थे.
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स्कूल प्रबंधन समिति के जिम्मे है किताब वितरण का काम
झारखंड में बच्चों को किताबें मिले, इसके लिए स्कूल प्रबंधन समिति ने काम शुरू कर दिया है. किताबों को छपवाने से लेकर उसे जिला तक पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक की होती है. जिले से प्रखंड तक किताब जिला शिक्षा पदाधिकारी की देखरेख में पहुंचती है. वहां से किताब स्कूल आ जाने के बाद स्कूल प्रबंधन समिति की देखरेख में किताबों का वितरण होता है.