बायोम कोचिंग संस्थान ने जोधपुर के एक छात्र की नीट रैंकिंग का उपयोग कर उसकी तस्वीर की जगह अन्य छात्र की तस्वीर लगाकर प्रचार प्रसार किया
Ranchi : बायोम संस्थान के गोलमाल की निंदा चहुंओर हो रही है. शिक्षाविद ऐसे मामले को लेकर काफी गंभीर हैं. उनका स्पष्ट कहना है कि पैसे के लिए विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. किसी भी संस्थान के लिए पैसा नहीं, बल्कि शिक्षा सर्वोपरी होनी चाहिए. पर इसके उलट वर्तमान में शिक्षा बेची जा रही है न कि शिक्षा दी जा रही है. शिक्षा जगत का व्यवसायीकरण करने के लिए टॉपरों की फोटो का उपयोग किया जा रहा है,जो सरासर गलत है. शिक्षा को पूरी तरह व्यवसाय नहीं बनाया जा सकता है. विद्यार्थियों की सफलता ही किसी विद्यालय या कोचिंग संस्थान का मूल उद्देश्य होना चाहिए. बायोम ने जो किया, वह दिग्भ्रमित करनेवाला गलत कदम है. ऐसे मामले पर कार्रवाई की जरुरत है, ताकि भविष्य में कोई भी संस्थान ऐसा करने से बचे और विद्यार्थियों के बीच अच्छा संदेश जाए. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में शिक्षाविदों की राय जानी है. पेश है रिपोर्ट…
रामगढ़
इंस्टिट्यूट की चीटिंग है, कार्रवाई होनी चाहिए : प्रवीण राजगढ़िया
टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का इस्तेमाल करने वाले इंस्टिट्यूट को लेकर श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा के निर्देशक प्रवीण राजगढ़िया कहते हैं कि यह सरासर धोखाधड़ी है . यह उस इंस्टिट्यूट की चीटिंग है .कोई इंस्टिट्यूट आखिर ऐसा कैसे कर सकता है जब कोई चीज उस इंस्टिट्यूट की है ही नहीं. तो आखिर उसका नाम और रैंक का इस्तेमाल अपने यहां पढ़ने वाले बच्चे की तस्वीर के साथ कैसे कर सकता है. अगर ऐसा हुआ है तो वह इंस्टिट्यूट अन्य बच्चों को भी धोखा दे रहा है.जो उस इंस्टिट्यूट में पढ़ रहे हैं . ऐसे इंस्टिट्यूट से बच्चों को सावधान हो जाना चाहिए और इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए कार्य को लेकर उस पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए . बच्चे प्रेरणा स्त्रोत मानकर इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करते हैं ताकि वह अपने जीवन में कुछ कर सके.
इंस्टिट्यूट पर 420 का केस दायर होना चाहिए :डॉ उर्मिला सिंह
नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का इस्तेमाल करने वाले इंस्टिट्यूट को लेकर झारखंड जोन डी के क्षेत्रीय अधिकारी सह डीएवी स्कूल बरकाकाना की प्रिंसिपल डॉ उर्मिला सिंह कहती है कि बिना बच्चे या अभिभावक के अनुमति के बिना उस टॉपर विद्यार्थी का नाम और रैंक का इस्तेमाल करना कहीं से भी जायज नहीं है. अगर कोई इंस्टिट्यूट इस तरह का कार्य करता है तो वह जालसाजी है. उस पर 420 का केस दायर होना चाहिए . मौजूदा समय में पैसा कमाने की होड़ में कई इंस्टिट्यूट ऐसे हैं जो बच्चों को अपने इंस्टिट्यूट की ओर आकर्षित करने के इरादे से इस तरह के कार्य करते हैं, जो बिल्कुल गलत है. बच्चे के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी भी संस्था को नहीं है.
चाईबासा
संस्थान में पढ़ाई की हो तभी तस्वीर लगनी चाहिए : डॉ. मुरारी लाल बैद्य
डॉ मुरारी लाल बैध (निर्देशक ,ब्राइट वे एकेडमी, चाईबासा) का कहना है कि किसी भी कोचिंग संस्थान को अपने संस्थान के प्रचार प्रसार के लिए किसी भी अनजान छात्र-छात्राओं की जो टॉपर है,तस्वीर नहीं लगानी चाहिए और न ही फोटो किसी और की और नाम किसी ओर का होना चाहिए. हां यदि वह उस संस्थान में उसने पढ़ाई की है तो उसकी तस्वीर का इस्तेमाल किया जा सकता है.
शिक्षा के मंदिर में झूठ और फरेब का धंधा चल रहा है : प्रो. लक्ष्मी
प्रो. लक्ष्मी बोदरा ( ज्ञानचंद जैन कॉमर्स कॉलेज चाईबासा) का कहना है कि किसी का नाम और किसी की फोटो लगाना धोखाधड़ी है. किसी भी संस्थान को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए.यह पूरी तरह गलत है. यदि वास्तव में संस्थान का कोई छात्र टॉपर हुआ है तो उसकी फोटो और उसके नाम का प्रयोग किया जा सकता है. आजकल कोई भी किसी की फोटो लगा कर भ्रामक सूचना दे रहा है वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के द्वारा भी पूरी तरह गलत है. क्योंकि कोई भी संस्थान अपनी उत्पाद या सेवा की विक्री के लिये भ्रामक विज्ञापन नहीं दे सकता है. आजकल शिक्षा के मंदिर में जो झूठ और फरेब का धंधा चल रहा है. उसे सरकार को अविलंब रोकना चाहिए. नहीं तो कितनों की जिंदगी से खिलवाड़ होता रहेगा.
रांची
कोचिंग संस्थाओं का गोल माल करना गलत : अवधेश
वोकेशनल शिक्षक एसोसिएशन के रांची विश्वविद्यालय अध्यक्ष अवधेश ठाकुर ने कहा कि मैं शुभम संदेश अखबार में पढ़ रहा हूं कि कोचिंग संस्थान गोलमाल कर रहे हैं. कोचिंग संस्थानों का इस प्रकार गोल माल करना बहुत गलत है. ये लोग अपने फायदे के लिए कुछ भी करते हैं. किसी भी बच्चें की तस्वीर लगा देते हैं, जो बहुत गलत है. वे लोग जो अपने बैनर पोस्टर लगाते हैं, कभी-कभी ऐसा करते हैं कि बच्चों की तस्वीर की बदल कर लगा देते हैं.और कहते हैं कि ये हमारे बच्चे हैं, हमारे यहां पढ़े हैं. सरकार को ऐसा नियम बनाना चाहिए कि जो भी बच्चा जिस कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाते हैं उसका डाटा सरकार के पास भी जमा करना चाहिए. ताकि कोई गड़बडी न हो. जिससे कोई भी संस्थान गलत नहीं करेगा.आए दिन कोई न कोई ऐसी खबरें मिलती हैं. कुछ न कुछ गलत होता रहता है.इसे दूर करना बहुत जरुरी है.
फर्जीवाड़ा करने में शर्म भी नहीं आती है : डॉ. अटल
वोकेशनल शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अटल पांडेय ने कहा कि छात्रों का ध्यान आकर्षित करने और अधिक से अधिक छात्रों को कोचिंग से जोड़ने के चक्कर में ये कोचिंग संस्थान अपराध करते जा रहे हैं. इस तरह का फर्जीवाड़ा करने में इन लोगों को शर्म भी नहीं आती है. रांची शहर स्थित सभी कोचिंग संस्थानों की सही तरीके से जांच होनी चाहिए. क्योंकि जैसा बायोम के संचालक पर आरोप लगाया लगा है. और लोग भी इस तरह का फर्जीवाड़ा करतें हैं. ये संस्थान शिक्षा के व्यापारीकरण को बढ़ावा देते हैं, गरीब और मेधावी छात्र इसमें पीस रहें हैं. इनपर लगाम लगाना बहुत जरूरी है.
ऐसी घटनाएं ठीक नहीं, मैं चिंतित हूं : डॉ. इंलिन केरकेटा
डोरंडा कॉलेज की बीएड की शिक्षिका डॉ. इंलिन केरकेटा कहती हैं कि इस प्रकार की घटनाओं से मैं चिंतित हूं. बिजनेस को बढ़ाने के कारण लोग कुछ भी कर रहे हैं. एक शब्द मैं अक्सर पढ़ पढ़ती हूं कि कोचिंग इंडस्ट्रीज. ये इंडस्ट्रीज क्या होता है. क्या यहां किसी प्रकार का उत्पादन होता है. बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता है. हम तो शैक्षणिक संस्थाओं को इंडस्ट्रीज कह कर कभी नहीं पुकारा. दूसरे बच्चों की तस्वीर लगाना ये बहुत ही गलत है. सरकार को इस तरह की खबरों पर लगाम लगाने की जरुरत है.
जमशेदपुर
प्रचार से प्रभावित होते हैं लोग : डॉ. विशेश्वर यादव
ग्रेजुएट कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. विशेश्वर यादव का कहना है कि कोचिंग संस्थान द्वारा अपनी मार्केटिंग के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाता है.उनके लिए यह विशुद्ध रुप से व्यापार है.इसलिए वह विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को लुभाने के लिए भ्रामक एवं झूठा प्रचार भी करते हैं.जिससे प्रभावित होकर विद्यार्थी कोचिंग संस्थान में नामंकन कराते हैं.जो गैर कानूनी है. झूठा प्रचार करने वाले संस्थान संचालकों को दंडित करना चाहिए. आज लोग विज्ञापन देखकर उसे ही सही मानते हैं. जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मूल्य कम हो गया है. अगर कोई शिक्षण संस्थान में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है. तो उन्हें किसी की तस्वीर लगाने की आवश्यकता नहीं है. अगर किसी कोचिंग संस्थान द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. जिससे भविष्य में ऐसा कोई और न करें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रसार हो.
कोचिंग संस्थान पैसे उगाही का अड्डा हैं : प्रो. राकेश कुमार
ग्रेजुएट कॉलेज के प्रोफेसरडॉ. राकेश कुमार पांडे का कहना है कि शिक्षा जब से व्यवसाय का रुप लेने लगा तब से ही इसके महत्व और उपयोगिता पर भी विद्वानों ने अपना पक्ष रखना प्रारंभ कर दिया है.बायोम के द्वारा किया गया कार्य तो कोचिंग संस्थानों की विश्वसनीयता को और गर्त में भेज दिया है. मैं कोचिंग संस्थानों को प्रारंभ से ही पैसा उगाही का अड्डा मानता रहा हूं. जिस तरह से निजी विद्यालय प्रश्नोत्तर को बेचते हैं वही हाल कोंचिग संस्थानों का भी है. मेरा कहना है कि यह मामला 420 का है. इसके तहत मुकदमा भी दर्ज होना चाहिए. बायोम का यह मामला न सिर्फ कुछ करने वालों के सपनों को धोखा देने वाला है बल्कि संपूर्ण कोचिंग संस्थानों पर विश्वसनीयता का प्रश्न भी खड़ा कर दिया है. कोचिंग संस्थानों और निजी विद्यालयों या विश्वविद्यालयों के फलने फूलने का अवसर प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से सरकारों ने ही प्रदान किया है. विद्यालय, महाविद्यालय विश्वविद्यालय खोलने की तो फिर भी एक प्रक्रिया है. लेकिन कोचिंग संस्थान चलाने के लिए कोई प्रक्रिया सरकार के अधीन नहीं है.सरकार को चाहिए कि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कोचिंग संस्थान खोलने को भी प्रक्रिया में लाए.
विज्ञापन से विद्यार्थियों में ऊहापोह की स्थिति रहती है : श्रीमन त्रिगुण
श्रीमन क्लासेस के संचालक श्रीमन त्रिगुण का कहना है कि कोचिंग संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले फर्जीवाड़ा जैसी घटनाओं में निरंतर बढ़ोतरी होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसमें विज्ञापन को बगैर तहकीकात किये प्रकाशित करना क्या न्यायोचित है. मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है. पाठकों का इनपर भरोसा रहता है. परन्तु गलत एवं चकाचौंध वाले विज्ञापन से विद्यार्थियों में ऊहापोह की स्थिति रहती है. येन केन प्रकारेण पैसा कमाने में फर्जीवाड़ा का बोलबाला बढ़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति से सही एवं बेहतर शिक्षण संस्थाओं को विद्यार्थियों द्वारा शक के निगाह से देखा जाता है. फर्जीवाड़ा करने वाले कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. पैसा कमाने के लिए विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना उचित नहीं है.
घाटशिला
जालसाजी करना बहुत ही निंदनीय : जय किशोर प्रसाद
घाटशिला के सक्सेस टोरियल कोचिंग सेंटर के संचालक जय किशोर प्रसाद ने कहा कि जालसाजी करना बहुत ही निंदनीय है. इस बात का खेद है कि कुछ कोचिंग संस्थान अपनी पब्लिसिटी के लिए गलत तरीके से रिजल्ट जारी कर झारखंड के सीधे-साधे लोगों को गुमराह कर रहे हैं. इसका खामियाजा अच्छे शिक्षण संस्थान को भुगतना पड़ता है. जो ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहे हैं उन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा. इतना तय है कि जो गलत कर रहे हैं, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा. जोधपुर के टॉपर का नाम और उसकी रैंक का गलत इस्तेमाल कर फर्जी छात्र खड़ा करने का प्रभाव छात्रों और अभिभावकों पर पड़ेगा. इस तरह का फर्जी खेल देखकर झारखंड के प्रतिभावान छात्र और भी ज्यादा जागरूक हो जाएंगे. साथ ही उनके अभिभावकों ने संस्थान के कमिटमेंट और उनके ही संस्थान के सफल छात्रों की सच्चाई को जानने के बाद ही किसी भी संस्थान का चयन करेंगे. हालांकि वायरल वीडियो में छात्र खुद ही कानूनी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है. इसे निश्चित रूप से वैसे संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
छात्रों के साथ बहुत गलत किया गया है,जांच हो : डीसी मोहाली
सक्सेस ट्यूटोरियल कोचिंग सेंटर के शिक्षक डीसी मोहाली ने बताया कि किसी दूसरे छात्र का रैंक इस्तेमाल किया गया, वह बात पूरी तरह गलत है. यदि जानबूझकर किया गया है तो छात्रों के साथ बहुत गलत किया जा रहा है. अभिभावक लाखों रुपए खर्च करते हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके. इस तरह के मामलों की एक बार जांच जरूर होनी चाहिए, ताकि लोगों को इसकी सच्चाई पता चल सके. जांच के बाद अगर संस्थान गलत पाया जाता है तो उस पर कठोर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसी गलती करने वाले संस्थान को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. फर्जीवाड़ा की बात सुनकर पूरे राज्य में हड़कंप सा मच गया है. सारे कोचिंग संस्थानों की छवि खराब हो रही है. टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर अपने इंस्टीट्यूट के बारे में किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना सही नहीं है. ऐसे संस्थान चलाने वाले को खुद समझना चाहिए. प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि दोबारा कोई संस्थान ऐसा फर्जीवाड़ा करने की हिम्मत ना जुटा सके.
फर्जी कोचिंग सेंटरों पर उचित कार्रवाई की जाए : दीपिका कुमारी
सक्सेस ट्यूटोरियल कोचिंग सेंटर घाटशिला की शिक्षिका दीपिका कुमारी ने कहा कि यह बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा है कि दूसरे छात्र का रैंक अपने छात्र का फोटो के साथ लगा कर प्रचारित करना कहीं से भी उचित नहीं है. सक्सेस ट्यूटोरियल कोचिंग सेंटर में प्रत्येक वर्ष एसएससी, बैंकिंग, तथा रेलवे में दर्जनों बच्चे क्वालीफाई कर रहे हैं. परंतु कहीं भी कभी भी किसी दूसरे संस्थान के बच्चों का रैंक अपने विद्यार्थियों के साथ नहीं जोड़ा जाता है. इसके कारण यहां के अभिभावकों को पूरा विश्वास रहता है कि उनके बच्चे का भविष्य उज्जवल हो रहा है. सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाले कोचिंग सेंटरों की सही से जांच कर उचित कार्रवाई की जाए.
लातेहार
नाम व रैंक का इस्तेमाल गलत: शशिभूषण पांडेय
लातेहार डिस्ट्रिक्ट प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष शशिभूषण पांडेय ने कहा कि विज्ञापन में किसी भी छात्र का नाम और रैंकिग का गलत इस्तेमाल करना एक तरह का अपराध है. इसके लिए कार्रवाई होनी चाहिए. आप किसी के नाम और रैंक का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं. यह एक प्रकार का धोखा है. जिस छात्र का आप नाम और रैंक इस्तेमाल कर रहे हैं, उस पर क्या गुजरेगी. उसके मां-बाप कितने परेशान होगें, यह कभी लोग नहीं सोचते हैं. इसलिए ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो होनी ही चाहिए,ताकि दोबारा यह न हो.
झूठ की बुनियाद पर महल खड़े करने जैसी बात : मुकेश
लातेहार पब्लिक स्कूल के प्राचार्य मुकेश भास्कर ने कहा कि इसे झूठ की बुनियाद पर महल खड़ा करना कहते हैं. लेकिन ऐसे महल अधिक दिनों तक नहीं टिकते हैं. कोई भी संस्थान किसी दूसरे का नाम और परिचय को ले कर अधिक दिनों तक समाज में खड़ा नहीं रह सकता है.ऐसे फर्जीवाड़ा को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. प्रशासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. यह सरासर गलत है. इस पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए. इसके बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इससे छात्रों का ही भला होगा.
ऐसे में ईमानदार संस्थानों की भी बदनामी होगी: गणेश
एसवीएम संकल्प एकेडमी के गणेश विद्यार्थी ने कहा कि इस प्रकार का कृत्य क्षम्य नहीं है. ऐसे कार्य से अन्य दूसरे ईमादार संस्थान बदनाम होंगे. यह एक संवेदनशील मामला है. शिक्षण संस्थानों को मंदिर माना जाता है और अगर यहीं फर्जीवाड़ा होने लगे तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा. ऐसे संस्थानों पर प्रशासन के द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए. ताकि भविष्य में कोई दूसरा संस्थान ऐसा नहीं कर सके. छात्रों के माता पिता बड़े अरमान के साथ अपने बच्चों को उनके संस्थानों में दाखिला कराते हैं.
धनबाद
कोचिंग संस्थान शिक्षा का स्तर सुधारें फर्जीवाड़ा उनके हित में भी नहीं
नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर अपने इंस्टीट्यूट के किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना कहीं से सही नहीं है. धनबाद के कोचिंग संचालक और शिक्षाप्रेमी भी मानते हैं कि कोचिंग संस्थानों को शिक्षा का स्तर सुधारना चाहिए. फर्जीवाड़ा उनके हित में भी नहीं है. अभिभावकों को भी ऐसे संस्थानों से सावधान रहना चाहिए. शिक्षा के मंदिर में फर्जीवाड़ा सुन कर ही अनैतिकता का एहसास होता है. इससे बच्चों में गलत संदेश तो जाएगा ही, समाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
यह ब्रांड बिल्डिंग एक्सरसाइज छात्रों के हित में नहीं : प्रो प्रमोद पाठक
आईआईटी-आईएसएम के सेवानिवृत्त प्रो. प्रमोद पाठक ने बताया कि ऐसा प्रैक्टिस सही नहीं है. बायोम द्वारा किया गया कृत्य ब्रांड बिल्डिंग एक्सरसाइज है, जो बच्चों और अभिभावकों के हित में नहीं है. ऐसे इंस्टीट्यूट मिस-इनफॉरमेशन के जरिए अभिभावकों और बच्चों को बहला-फुसलाकर अधिक से अधिक कमाई में लगे रहते हैं. ऐसा केवल इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थान में नहीं, बल्कि सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले संस्थानों में भी देखा गया है. अभिभावक सतर्क रहें. बच्चों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए.
आर्थिक जुर्माना और दंडात्मक कार्रवाई हो : प्रो. सरिता श्रीवास्तव
एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की प्रो सरिता श्रीवास्तव कहती हैं कि नैतिकता त्याग कर शिक्षा को व्यवसाय बनाने वाले संस्थानों को शिक्षण संस्थान नहीं कह सकते. यह बिजनेस हाउस बनकर रह गए हैं. बायोम कोचिंग संस्थान द्वारा किया गया कृत्य कतई सही नहीं है. यह अभिभावकों और बच्चों को धोखा देकर आकर्षित करने का तरीका था, जिससे वह अधिक से अधिक विद्यार्थियों का नामांकन कर अधिक से अधिक लाभ कमा सके. यह एक व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि पूरे समाज के साथ धोखा है. वह मांग करती हैं कि संस्थान पर दंडात्मक कार्रवाई हो और आर्थिक जुर्माना लगे.
इसे वैल्यू और एथिक्स के पैमाने पर खरा नहीं कह सकते: प्रो धनश्याम
बीआईटी सिंदरी के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर प्रो. धनश्याम ने बताया कि किसी भी दृष्टि से यह सही नहीं है. वैल्यू और इथिक्स के पैमाने पर यह खरा नहीं उतरता है. इससे समाज में गलत संदेश जाता है. विद्यार्थियों और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति बनती है. ऐसे संस्थानों के कृत्य से अच्छे संस्थानों की छवि भी धूल-धूसरित होगी. शिक्षा से जुड़े हुए ऐसे संस्थानों को सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए. संस्थान को अपने फैकल्टी व शिक्षण आदि में सुधार लाकर विद्यार्थियों का स्तर तैयार करना चाहिए, ताकि वे टॉप कर सकें. इस दिशा में सभी कोचिंग संस्थानों को सोचना चाहिए.
झूठ का सहारा गलत, अपने संस्थान के बच्चों पर करें मेहनत : सुधीर कुमार
स्पेक्ट्रम एजुकेशन कोचिंग संस्थान के संचालक सुधीर कुमार बताते हैं कि कोचिंग संस्थान बच्चों को आकर्षित करने के लिए अच्छे फैकेल्टी, अच्छी पढ़ाई, अच्छे कोर्स मैटेरियल जैसे प्रचार प्रसार अच्छी बात है. लेकिन अधिक विद्यार्थियों जुटाने के लिए झूठ का सहारा लेना गलत है. कोचिंग संस्थान शिक्षा का स्तर सुधारें और अपने ही संस्थान के विद्यार्थियों को टॉपर बनने में मदद करें. इससे विद्यार्थियों को तो लाभ होगा ही, संस्थान को भी टॉपर मिल जाएंगे. फिर गलत तरीके अपनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे संस्थान का मान भी बढ़ेगा और छात्रों को भी फायदा होगा.
हजारीबाग
अपनी उपलब्धि पर ही गर्व किया जाए : जेपी जैन
शहर के प्रतिष्ठित गुरुकुल कोचिंग संस्थान के निदेशक जेपी जैन ने कहा कि अपनी उपलब्धि पर ही गर्व करने की जरूरत है. झूठ का सहारा लेकर हम खुद को धोखा दे रहे हैं. शिक्षा को पूर्णत: व्यवसाय बनाना कहीं से उचित नहीं है. विद्यार्थियों की सफलता ही कोचिंग संस्थानों का मूल उद्देश्य होना चाहिए. बायोम ने जो किया, वह दिग्भ्रमित करनेवाला गलत कदम है.
बायोम का कदम विद्यार्थियों के लिए घातक : विपिन
इंदिरा गांधी मेमोरियल स्कूल के प्राचार्य विपिन सिन्हा कहते हैं कि बायोम का कदम विद्यार्थियों के लिए ही घातक है. दूसरे कोचिंग के प्रतिभागी को अपना बताना कहीं से भी सही कदम नहीं है. खुद को इतना मजबूत करें कि अपने स्कूल या कोचिंग के विद्यार्थी टॉपर बनें. फिर स्वयं ही टॉपर का नाम जगजाहिर हो जाएगा. दूसरों के कंधों पर रखकर बंदूक चलाने से बेहतर है कि हम खुद सटीक निशाना साधें.
बायोम पर लगाम की जरूरत : मिंकू कुमार
आरसी मिशन पब्लिक स्कूल के प्राचार्य मिंकू कुमार कहते हैं कि बायोम जैसे संस्थानों पर लगाम कसने की जरूरत है. ऐसे संस्थानों की बदौलत ही दूसरे कोचिंग क्लासेज की छवि प्रभावित हो रही है. झूठ के सहारे विद्यार्थियों को जुटाना नई पीढ़ियों के जीवन से खिलवाड़ करना है. जबरन किसी को टॉपर कह देना उचित नहीं है. अगर दम है, तो अपने कोचिंग से टॉपर देने की आवश्यकता है.
‘शुभम संदेश’ की शानदार पड़ताल है : मनोज कुमार
सरस्वती विद्या मंदिर बाबूगांव कोर्रा के प्राचार्य मनोज कुमार ने कहा कि ‘शुभम संदेश’ ने बायोम का पर्दाफाश कर शानदार पड़ताल की है. इस खबर से जहां कोचिंगों की अदरखाने की सच्चाई सामने आयी है, वहीं विद्यार्थियों को भी जागरूक किया है. दूसरों के नाम पर वाहवाही लूटनेवाले कोचिंग संस्थान प्रतिभागियों को सिर्फ सब्जबाग की दिखा सकता है.
झूठ के सहारे वाहवाही सही नहीं : ज्ञानेश्वर
सरमाउंट पब्लिक स्कूल के प्राचार्य ज्ञानेश्वर दयाल कहते हैं कि झूठ के सहारे वाहवाही लूटना सही नहीं है. अपने विद्यार्थियों की कामयाबी का ही सेहरा लूटना चाहिए. झूठ के सिर-पैर नहीं होते. एक दिन सच्चाई सामने आ ही जाती है. यहीं हाल बायोम का हुआ. ‘शुभम संदेश’ इसके लिए साधुवाद का पात्र है. निश्चित रूप से इस खबर के बाद गलत ढंग से टॉपर बताने के बारे में कोचिंग संस्थानों को सौ बार सोचना होगा.
अपने विद्यार्थियों पर यकीन रखना चाहिए : धीरज कुमार
नेशनल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य धीरज कुमार कहते हैं कि संस्थान को अपने विद्यार्थियों की प्रतिभा पर यकीन रखना चाहिए. दूसरे संस्थान के टॉपर को अपना बताकर हम न सिर्फ समाज, बल्कि खुद के साथ भी छलावा कर रहे हैं. ऐसा बिजनेस नहीं करना चाहिए, जिससे प्रतिभा का हनन हो. बायोम की रिपोर्ट के खुलासे के बाद वहां पढ़ रहे विद्यार्थियों की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इस तरह का काम बहुत गलत है : अभिषेक सिंह
एक्जाम एटलस के डायरेक्टर अभिषेक सिंह ने कहा कि अगर इस तरह के काम किया जा रहा है, तो यह बेहद गलत है. किसी भी संस्थान को यह हक नहीं है कि वह बिना बच्चों के पढाए उसका नाम इस्तेमाल करे. इस पर जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए. अभिभावक भरोसे के साथ बच्चों को पढने के लिए संस्थान में भेजते हैं. इस तरह की बात बाहर आने से पूरे इंड्रस्ट्री कों नुकसान होता है. जो बच्चा कभी झारखंड आया ही नहीं उसे कैसे झारखंड का टॉपर बना सकते हैं. इस पर जांच कर संस्थान में ताला लगा देना चाहिए. पैसे के दम पर टॉपर नहीं बनते हैं. टॉपर बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. एक बच्चों को पास करने के लिए बहुत से लोगों को हाथ होता है. अभिभावक,शिक्षक सभी की मेहनत क्रेडिट बायोम वाले ने ले लिए. यह पूरी तरह से अनैतिक है. इसकी जांच होनी चाहिए.
नाम का इस्तेमाल किया है तो गलत है, : सहदेव सिंह
इंजीनियरिंग एकेडमी के डायरेक्टर सहदेव सिंह ने कहा कि हमारी संस्थान में तो इस तरह का काम कभी नहीं हुआ, इसलिए इस तरह के काम की मेरी कोई जानकारी नहीं है. अगर इस तरह किसी का नाम का इस्तेमाल किया गया है तो गलत है. संस्थान पर कार्रवाई होनी चाहिए. इस तरह के न्यूज बाहर आने से पूरी इंडस्ट्री के उपर बुरा असर पड़ता है. अभिभावक का भरोसा टूट जाता है. जिससे बाहर की कंपनियां फायदा उठाती है. इस तरह के काम कर बच्चों को लुभाना सरासर गलत है. परेंटस बहुत भरोसे कर लाखों की फीस देते हैं. संस्थान झूठा प्रचार-प्रसार करते हैं. इससे पढाई का मौहोल खराब होता है. जो बच्चों ने इस साल एडमिशन लिया होगा, वह ठगा हुआ महसूस कर रहे होंगे.अगर इस तरह की गडबडी की गई है तो संस्थान पर जरूर कार्रवाई होनी चाहिए.
ऐसी खबरों से संस्थान से भरोसा उठ जाता है : डॉ आरके राय
ईटरनल कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर डॉ. आरके राय ने कहा कि इस तरह की घटना अगर हुई है तो बेहद गलत है. संस्थान ऐसा काम कर पेंरेंट्स का भरोसा खो देती है. इस तरह के न्यूज समाज में बाहर आने से पेरेंट्सो का कोचिंग संस्थानों पर से भरोसा उठ जाता है. एक संस्थान की गलती का खामियाजा हम सारे संस्थानों को भुगतना पड़ता है. बिना बच्चे की अनुमति के उसका नाम इस्तेमाल करना कहीं से सही बात नहीं है,इसकी जांच होनी चाहिए.
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