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कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर, चालू खाता घाटा मार्च 2022 तक बढ़कर 45 अरब डॉलर होने का अंदेशा

 NewDelhi :  कच्चे तेल की वजह से जिंसों की कीमतों में भारी उछाल आने से भारत के बढ़ते चालू खाता घाटे (सीएडी) का कमजोर पुनरुद्धार पर असर पड़ेगा. एक ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गयी है। रिपोर्ट में कंपनी ने मार्च 2022 तक सीएडी 45 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है. ब्रिटिश ब्रोकरेज कंपनी बार्कलेज की रिपोर्ट के अनुसार  चिंता इस बात से पैदा होती है कि जुलाई के बाद से व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार जून तक औसत मासिक व्यापार घाटा 12 अरब डॉलर था जो जुलाई-अक्टूबर में बढ़कर 16.8 अरब डॉलर हो गया है. इसे भी पढ़ें : त्रिपुरा">https://lagatar.in/tripura-violence-supreme-court-ready-to-hear-plea-for-cancellation-of-fir-registered-under-uapa/">त्रिपुरा

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सितंबर में  सबसे बड़ा  व्यापार घाटा

सितंबर में अब तक का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा(22.6 अरब डॉलर) हुआ है. बार्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हम अपने वित्त वर्ष 2021-22 के चालू खाता घाटे के अनुमान को पूर्व के 35 अरब डॉलर के अनुमान से बढ़ाकर 45 अरब डॉलर, या जीडीपी के 1.4 प्रतिशत तक बढ़ा रहे हैं, लेकिन भुगतान संतुलन (बीओपी) का बड़ा अधिशेष सकारात्मक बना हुआ है. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/ruckus-on-salman-khurshids-book-bjps-allegation-congresss-ideology-is-to-hate-hindus/">

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प्रति बैरल 10 डॉलर की बढोतरी से व्यापार घाटा 12 अरब डॉलर

वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 डॉलर की बढोतरी से व्यापार घाटा 12 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद के 35 बेस प्वाइंट तक बढ़ जायेगा, क्योंकि तेल की मांग का लगभग 85 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है. कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों को देखते हुए, ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 2012 के लिए अपने चालू खाते के घाटे के अनुमान को 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा दिया है, जो पहले 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. इसे भी पढ़ें : आरबीआई">https://lagatar.in/cryptocurrency-a-serious-concern-in-the-eyes-of-rbi-governor-warns-investors/">आरबीआई

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अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम नहीं दिखता

ब्रोकरेज हाउस ने हालांकि किसी भी आपात स्थिति से इनकार किया और कहा है कि रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे विदेशी भंडार के साथ हमे अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ा जोखिम नहीं दिखता. रिपोर्ट में आशंका जताई गयी है कि मांग में सुधार और बढ़ती कमोडिटी कीमतों के मेल से कुछ समय के लिए घाटा बढ़ने की प्रवृत्ति जारी रह सकती है.   [wpse_comments_template]

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