Hazaribagh: जिले में सोमवार को बकरीद मनाई गई. मस्जिदों में सुबह से ही नवाज अदा की गई. समय संजर मलिक ने बताया कि ईद उल अज़हा का त्योहार उर्दू कैलेंडर के आखरी माह की दस तारीख को हजरत इब्राहिम अलैहीसस्लाम की सुन्नत की याद में मनाया जाता है. वहीं चौपारण में प्रखंड में भी ईद-उल-अजहा की नमाज सादगी के साथ अदा की गई. भीषण गर्मियों को देखते हुए सभी ईदगाहों व मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज का वक्त सुबह-सुबह ही रखा गया था. बादे नमाज नमाजियों ने गले लगकर एक दूसरे को मुबारकबाद दी. कमलवार के इमाम मुफ्ती उजैर साहब ने तकरीर करते हुए कहा कि ईद-उल-अजहा की नमाज का मतलब सिर्फ कुर्बानी नहीं, बल्कि सभी गीले-शिकवे नाराजगी एवं दुश्मनी को भुलाकर आपसी भाईचारगी व मोहब्बत को बढ़ाना है. कुर्बानी हम सिर्फ बकरे की नहीं बल्कि झूठ, दुश्मनी किना-कपट और अपने अंदर पल रहे अहंकार की भी कुर्बानी देते हैं. बताते चलें कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस्लाम के अनुसार, मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करते हैं.
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