Washington : हमारी आकाश गंगा मरे हुए एलियंस का घर हो सकती है. साथ ही इस बात की संभावना व्यक्त की गयी है कि ये एलियंस अपने ही विज्ञान और तकनीक के शिकार होकर मारे गये. यह शोध ऐसे समय पर आया है जब शोधकर्ताओं ने स्मार्ट जीवों के अस्तित्व की गणना की है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि अगर ब्रह्मांड में कहीं एलियन हैं तो भी वे या तो इतने युवा हैं कि हम उन्हें देख नहीं पा रहे हैं या वे बहुत दूर हैं.
इसे भी पढ़े : प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजनीकांत हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में भर्ती, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की शिकायत
अभी तक इंसान एलियंस से संपर्क करने में सफल नहीं हुए हैं
शोधकर्ताओं के अनुसार हमारी आकाश गंगा के निर्माण के लगभग आठ अरब साल बाद एलियंस अस्तित्व में आये थे. हालांकि अभी तक इंसान एलियंस से संपर्क करने में सफल नहीं हुए हैं. शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा कि विज्ञान और तकनीक के विकास का परिणाम निस्संदेह सभ्यताओं का विनाश रहा है. शोध में यह भी कहा गया है कि विज्ञान और तकनीक का विकास हमें विनाश और पतन की ओर ले जाता है.
इसे भी पढ़े : NDTV के प्रमोटर प्रणव और राधिका SEBI के आदेश के खिलाफ करेंगे अपील
संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं
इससे पहले आये अन्य शोधों में भी कहा गया है कि इंसान का आत्मविनाश विभिन्न परिस्थितियों में काफी हद तक संभव है. शोधकर्ताओं ने कहा कि स्मार्ट प्राणी खुद को खत्म कर सकते हैं, यह आश्चर्यजनक नहीं है कि कहीं पर स्मार्ट जीवन है ही नहीं या कुछ मात्रा में है. हाल ही में वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय दल ने पहली बार हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लगाया है. यह संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं.
इसे भी पढ़े : मोदी ने 18,000 हजार करोड़ ट्रांसफर किये, तो अधीर रंजन चौधरी ने कहा, बिचौलिए मौजूद, किसानों को नहीं मिलता सीधा पैसा
गैस से बना ग्रह चक्कर लगा रहा है
वैज्ञानिकों ने बताया कि नीदरलैंड स्थित रेडियो दूरबीन ने Low-Frequency Array (LOFAR) का इस्तेमाल कर Tau Bootes तारे की प्रणाली से आ रहे रेडियो संकेतों का पता लगाया है. इसके बहुत करीब गैस से बना ग्रह चक्कर लगा रहा है और जिसे कथित गर्म बृहस्पति’ के नाम से भी जाना जाता है.
जर्नल ऐस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स’ में प्रकाशित रिसर्च पेपर में बताया गया कि केवल Tau Bootes ग्रह प्रणाली से ही निकल रहे रेडियो संकेत का पता चला है जो शायद ग्रह के विशेष चुंबकीय क्षेत्र की वजह से निकल रहे हैं. वहीं, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर जेक डी टर्नर ने कहा, ‘रेडियो संकेत के जरिये हमने पहली बार सौर मंडल के बाहर ग्रह का पहला संकेत पेश किया है. उन्होंने कहा, ‘ये संकेत Tau Bootes प्रणाली से आ रहे हैं जिसमें दो तारे और ग्रह हैं.