Sanjay Singh
परिवारवाद जिंदाबाद…ई परिवारोवाद भइया झारखंड के राजनीति में तनिका जोरशोर से उछलकूद मचाईले रहइत है. ईहां की जनता तो बेचारी हइए है. ईहां तो हाल ई है कि नेता बनावेवाली जनता भिखारिए बनल रह जाईत है और नेताजी लोगन के ठस्सा तो पूछिए मत… ईहां के नेताजी लोगन के आदतवा बिगड़ैल हो गईस है. राजा-महाराजा जईसन रहेवाली आदतिया हो गईल है. चाहत ई हे कि अगिले पीढ़ी वईसही रहे. तो भईया जी, ऊ लोगन के राजनीति करावे ही न पड़ेगा. नेताजी लोगन के मालूम है कि अब सूखले राजनीति चमकावे से तो कुछो होवेवाला न है. खुद तो ढेरे दिन झोलवा ढो-ढो के राजनीति के उपरी तल्ला तक पहुंचिए गिये हैं, तो काहें न ऊ राजनीतिक तपस्या के लाभ से अपन धिया-पुता, लाडला (बेटाजी), पुतहू या दमदा के फायदा पहुंचा दीहल जाए. ई परदेश के दर्जन भर से बेसिए नेताजी लोगन अपन लाडला, भाई-भौजाई, मेहरारू, नाती-पोता के राजनीतिक विरासत संभारे ला आगे कईले हैं. चुनाव के टिकटवा दिलावे लगी रांची से दिल्ली तक एक कईले हैं. पार्टी के बड़का नेताजी लोगन के आगे-पीछे पैडल मारले हैं. कुछ नेताजी लोगन के मालूम है कि अबकी चुनाउवा में उनकी उमरिया साथ न देवे, तो काहें न पहिले से अपन परिवार ला पील्ड तैयार कर दीहल जाए. नेताजी लोग के मालूम है कि उनके प्रभाव काम आ सकता है, इसलिए परिवार के लोग के टिकटवा के जुगाड़ कर सीधे चुनाउवे में लांच कर देवे ला हांफले हैं.
नेताजी के मालूम है कि परिवार के लोग के तभिए राजनीति में सक्ससेस मिले के चांस है, जब ले उनकर चलती है. न तो पद-विधायकी गई, तो कोनो घासों ने डालेवाला है. तो अभिए मौका है, काहें न अपन परिवार लगी फील्ड तैयार कर दीहल जाए. पलामू में परिवारवादी राजनीति उफान धईले है, तो भला बगल वाली चतरा के नेताजी लोगन काहें फिछुआईल रहें. ऊह जिला के नेताजी लोग अपन राजनीतिक विरासत परिवार के लोग के सौंपे लगी बेचैन हैं. बेचैन का कहल जाओ, ई नेताजी लोगन परिवार के कोनौ सदस्राय के जनीतिक विरासत सौंपे ला पूरे हंफले हैं. पलामूए में कई गो दिग्गज नेताजी लोग हथीन, जे बेटा, पोता के राजनीित में आगे बढ़ावे लगी जुगाड़ मैनेजेंट में लगले हैं. बाबा जी पोता लगी, वंशी बजवइया अंकिल जी बेटा लगी, तो छतरी वाले पुर के पुरनका नेताजी, जे दल बदले के रिकार्ड बनाईले हैं और पियार से लोग उनका छुन्नी भईया जी बोलते हैं, उहो अपन लाडला लगी हाथ पारले हैंं. आईसे में पलामू से बहेवाली पूर्वइया हवा अब बगल के चतरा जिला में घुसिया गईल है.
ईहां के भी एगो नेताजी दलबदलुए हैं. नामो खूबे मजेदारे है. ई नेताजी के नामवा के पहिला अक्षर सत्य है, लेकिन केतना सच ई बोलइत रहिन हैं, ई सबके मालूमे है. आनंद में तो रहिए रहीन हैं. भाई मंत्री पद मजा चाभलथुन हे, तो आनंदित तो रहबे न करत…थुन. आउर नेताजी सत्य न झूठे -सही बोलके आनंदित होवइत रहिन, मंत्री पद के सुख भी खूबे भोग लीहिन. मंत्रियों हथीन, पहिलहूं दूसरे पार्टिया में मंत्री पद के मजा मार लीहिन हैं. आउर न जाने कौन-कौन पदवा के मजा मार लीहिन हैं. पहिलवा कमल फूल खिलाईले थे. खेती-बारी करावे लगी जिम्मेवारी भेंटाईल तो मार दीहिन गच्चा. गड़बड़ झाला हो गईस, केस-मुकदमा झेले पड़ गईस, घोटाला जाईसन आरोपो लग गईस, तो फूल ब्रांड वाशिंग मशीनवा सफाई करे से रिजेक्ट कर दीहिस. बेचारे पिछलका चुनाउवा समय टिकट ला ढेरे हांफिन, लेकिन फूल ब्रांड पार्टिया इनका बाहरी का रास्ता देखा दीहिस, तो लालटेन थाम लीहिन. जीतियो गईन. मंत्री सुख भोगईत हथीन.
लेकिन नेताजी के रह-रह के उमरिया के चिंचा सता रहीस है, सो पुतोहिया लगी जोर लगाईले हैं. खुदो भी लालटन के फोड़ के दूसराका खेमा में घुसियाए लगी ताक लगाईले हथुन. लेकिन अपन राजनीतिक रसूख के इस्तेमाल कर पुतोहिया के टिकटवा दिलावे लगी हांफले हैं. फूल ब्रांड से लेकर एगो बिहार वाली पार्टिया हम से भी जुगाड़ लगावे में नेता जी लग गईलन हे. अब देखल जाए भाई…सत्य-झूठ कईले आनंदित हो रहीन नेताजी पुतोहिया लगी कुछो बढ़िया जुगाड़ कर पाते हैं या नहीं, या फिर कही चचा के खुदे चुनावी समर में ने उतरे पड़ जाए. लेकिन अभू नेताजी के बारे में चर्चा है कि नेताजी झूठ के मशीन बनल हैं.
अब देखिए सत्या को झूठ कर आनंद से घूमेवाले नेताजी अपन मिशनवा में कितना सफल रह पाते हैं या खुद ही खुद को राजनीति से ही किनारा कर लेते हैं. वईसे सत्य-झूठ बोल के आनंदित हो सत्ता सुख भोग चुके नेताजी का ऊंटवा कौन करवट बदलेगा, ई तो आनेवाले दिनों में ही तय हो पाएगा. नेताजी अब तो खाली ऐके गीतवा गाईले घूम रहीन हैं- पुतोहिया रे पुतोहिया, तोर कौन गुण गाईयो…और तनिका ईहो बताइयो कि अउर कहां-कहां कौन-कौन गुण गाइयो.लेकिन नेताजी के गीतवा लोगन के तनिको सुहाना न लग रहिस है. अब देखिए आगे-आगे होता है क्या?
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