New Delhi : राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि बढ़ाने के लिए SC से अनुरोध करने का विरोध किया है. सिब्बल ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा बताये गये कारणों को बचकाना करार दिया है. सिब्बल ने आज रविवार को कहा कि अपनी गरिमा की रक्षा करना उच्चतम न्यायालय की जिम्मेदारी है. कहा कि जब संविधान पीठ फैसला सुना चुकी है तो एसबीआई की याचिका को स्वीकार करना आसान नहीं होगा. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
STORY | SC’s responsibility to protect its dignity: Sibal on SBI plea on electoral bonds issue
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— Press Trust of India (@PTI_News) March 10, 2024
Somebody wants to protect somebody: Sibal on SBI seeking extension in disclosing details of electoral bonds
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एसबीआई का इरादा सरकार का बचाव करना है
चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ताओं के लिए दलीलें सिब्बल के नेतृत्व में पेश की गयी थी. उन्होंने कहा कि एसबीआई का दावा है कि डेटा को सार्वजनिक करने में कई सप्ताह लगेंगे, जिससे ऐसा लगता है कि कोई किसी को बचाना चाहता है. सिब्बल ने पीटीआई-भाषा को दिये वीडियो साक्षात्कार में कहा कि यह स्पष्ट है कि एसबीआई का इरादा सरकार का बचाव करना है, अन्यथा बैंक ने चुनावी बॉन्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि 30 जून तक बढ़ाये जाने का ऐसे समय में अनुरोध नहीं किया होता, जब अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं.
पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करने वाली है
कपिल सिब्बल की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऐसे समय में की गयी हैं, जब एसबीआई के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करने वाली है. एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड योजना को पिछले महीने रद्द किये जाने से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाये गये प्रत्येक बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए दिये गये समय को बढ़ाये जाने का अनुरोध किया है. संविधान पीठ एसबीआई की अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगी.
चुनावी बॉन्ड का विवरण सार्वजनिक किया जाता है तो यह सार्वजनिक बहस का विषय होगा
.सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण निर्वाचन आयोग को छह मार्च तक सौंपे जाने संबंधी शीर्ष अदालत के निर्देश की जानबूझ कर अवज्ञा की. सिब्बल ने कहा कि एसबीआई जानता है कि चुनाव अप्रैल-मई में हैं और चुनाव की घोषणा के बाद की पूरी अवधि के दौरान अगर चुनावी बॉन्ड का विवरण सार्वजनिक किया जाता है तो यह सार्वजनिक बहस का विषय होगा.
न्यायालय को तय करना है कि वह अपने आदेशों की रक्षा कैसे करेगा.
मुझे यकीन है कि न्यायालय इस इरादे को समझ लेगा. यदि न्यायालय एसबीआई के दिखावटी स्पष्टीकरण को स्वीकार करता है, जो कि हास्यास्पद है तो यह न्यायालय को तय करना है कि वह अपने आदेशों की रक्षा कैसे करेगा. तथ्य यह है कि भाजपा ने इस प्रक्रिया में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का सफेद धन हासिल किया. चुनाव के दौरान इन 6,000 करोड़ रुपये के साथ वे क्या कर सकते हैं, इस संदर्भ में यह राशि बहुत बड़ी है. सिब्बल ने कहा कि पूरी योजना भाजपा को बढ़ावा देने और उसे दुनिया की सबसे अमीर पार्टी बनाने के राजनीतिक मकसद से बनाई गयी थी.