New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को चुनावी बॉन्ड की सारी जानकारियां साझा नहीं करने पर फटकार लगायी है. साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को विशिष्ट बॉन्ड संख्याओं समेत चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी 21 मार्च तक खुलासा करने का निर्देश दिया है. विशिष्ट बॉन्ड संख्याओं की जानकारी सामने आने से खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्यीय पीठ ने यह आदेश दिया है.
इलेक्टोरल बॉन्ड: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, SBI से सभी विवरण का खुलासा करने को कहा गया था और इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड की संख्या भी शामिल थी।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि SBI को विवरण का खुलासा करने में चयनात्मक नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वे चाहते हैं कि SBI के पास… pic.twitter.com/5ajSYIhpQU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 18, 2024
एसबीआई को 21 मार्च शाम पांच बजे तक हलफनामा दायर करने का निर्देश
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसमें ‘‘कोई संदेह नहीं’’ है कि एसबीआई को बॉन्ड की सभी जानकारियों का खुलासा करना होगा. कोर्ट ने बैंक के चेयरमैन को 21 मार्च शाम पांच बजे तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि बैंक ने सभी विवरण का खुलासा कर दिया है. पीठ ने कहा कि एसबीआई चुनिंदा रवैया नहीं अपना सकता और उसे चुनावी बॉन्ड की सभी ‘‘संभावित’’ जानकारियों का खुलासा करना पड़ेगा, जिसमें विशिष्ट बॉन्ड संख्याएं भी शामिल हैं. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं.
यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर का खुलासा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था ‘कारण बताओ’ नोटिस
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या (यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर) का खुलासा न करने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब देने को कहा था. कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा कि उसने चुनावी बॉन्ड के यूनिक नंबर निर्वाचन आयोग को क्यों नहीं दिये. साथ ही कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में औद्योगिक निकायों, एसोचैम और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने एससीबीए के के अध्यक्ष के पत्र पर भी विचार करने से किया इनकार
पीठ ने ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) के अध्यक्ष के पत्र पर विचार करने से भी इनकार कर दिया, जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट के बॉन्ड विवरण का खुलासा करने संबंधी फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया था. सीजेआई ने एससीबीए अध्यक्ष से कहा कि आपने मेरी स्वत: संज्ञान संबंधी शक्तियों को लेकर पत्र लिखा है कि ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं, हम इसमें नहीं पड़ेंगे. याचिकाकर्ता गैर लाभकारी संगठन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों ने दानदाताओं का विवरण नहीं दिया है, केवल कुछ दलों ने दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर लगा दी थी रोक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल 2019 को एक अंतरिम आदेश पारित कर राजनीतिक दल, उन्हें मिले चंदे और आगे मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में निर्वाचन आयोग को देने के लिए कहा था. इसके बाद पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया था. साथ ही अदालत ने एसबीआई को 13 मार्च तक चुनाव आयोग को किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया, इसकी जानकारी चुनाव आयोग को देने के निर्देश दिये थे. लेकिन 6 मार्च से पहले ही एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी.