मुकदमे का आधार
एक्स ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि भारत सरकार आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) का गलत इस्तेमाल कर रही है. यह धारा मध्यस्थों (इंटरमीडियरीज़) को गैरकानूनी सामग्री को हटाने या उस तक पहुंच को अक्षम करने का निर्देश देती है. लेकिन इसके लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. हालांकि एक्स का कहना है कि सरकार सहयोग पोर्टल के जरिए ऐसे टेकडाउन ऑर्डर जारी कर रही है, जो धारा 69ए के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते. धारा 69ए को सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल बनाम भारत सरकार (2015) मामले में ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने का एकमात्र वैध कानूनी ढांचा माना था. एक्स का आरोप है कि सहयोग पोर्टल के जरिए सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना सामग्री को हटाने का आदेश दे रही है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.एक्स के तर्क
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन: एक्स का कहना है कि सरकार के मनमाने टेकडाउन ऑर्डर उसके उपयोगकर्ताओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए)) और समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन करते हैं.
- व्यवसाय मॉडल पर खतरा: एक्स ने दावा किया कि यह सेंसरशिप उसके व्यवसाय मॉडल को नुकसान पहुंचाती है, जो उपयोगकर्ताओं द्वारा स्वतंत्र रूप से जानकारी साझा करने पर आधारित है.
- कानूनी ढांचे का उल्लंघन: कंपनी का कहना है कि धारा 79(3)(बी) को मध्यस्थों के लिए सुरक्षित बंदरगाह (सेफ हार्बर) के रूप में बनाया गया था, न कि सेंसरशिप के लिए. सहयोग पोर्टल इसका दुरुपयोग है.
- राहत की मांग: एक्स ने मांग की है कि धारा 79(3)(बी) को ब्लॉकिंग ऑर्डर के लिए अयोग्य घोषित किया जाए, सहयोग पोर्टल पर रोक लगे, और धारा 69ए को एकमात्र वैध तंत्र माना जाए.
सरकार का पक्ष
पहली सुनवाई में भारत सरकार ने कहा है कि एक्स के सहयोग पोर्टल से जुड़ने से इनकार करने पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार ने एक्स से अपने एआई चैटबॉट ग्रॉक (GROK) की प्रतिक्रियाओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा है, जो इस मामले में एक नया आयाम जोड़ता है.
हालांकि, सरकार ने अभी तक इस मुकदमे पर विस्तृत जवाब नहीं दिया है. अदालत ने एक्स को यह अंतरिम राहत दी कि अगर सरकार कोई कठोर कदम उठाती है, तो वह फिर से अदालत का रुख कर सकता है.
पहले के टकराव
यह पहली बार नहीं है जब एक्स और भारतीय सरकार आमने-सामने आए हैं. 2022 में एक्स ने धारा 69ए के तहत जारी टेकडाउन ऑर्डर को चुनौती दी थी, जिसमें उसने पारदर्शिता की कमी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया था.
इसके अलावा, सरकार ने पहले एक्स से खालिस्तान समर्थक खातों, किसान आंदोलन से जुड़ी सामग्री और कोविड-19 के दौरान सरकार की आलोचना करने वाले पोस्ट हटाने को कहा था.
Leave a Comment