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1 जनवरी 2004 से पहले जारी विज्ञापनों के आधार पर चयनित कर्मी पुरानी पेंशन योजना के लाभों के हकदार : HC

Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की की खंडपीठ ने अपने एक आदेश में कहा है कि 01 जनवरी 2004 से पहले जारी विज्ञापनों के आधार पर चयनित कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लाभों के हकदार हैं, भले ही उनकी वास्तविक नियुक्ति या कार्यभार नई पेंशन योजना लागू होने के बाद हुआ हो.

 

दरअसल भारतीय खनन विद्यालय धनबाद ने 2 सितंबर 2003 को सीनियर मेडिकल अधिकारी के पद के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इस पद पर सामान्य भविष्य निधि (GPF)-सह-पेंशन लाभ मिलेगा.

 

प्रतिवादी इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कार्यरत था और उसने इस पद के लिए आवेदन किया. कुछ कारणों से चयन प्रक्रिया में देरी हुई और उसे 3 अप्रेल 2004 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. इंटरव्यू में सफल होने के बाद उसने 30 जून 2004 को कार्यभार ग्रहण किया.

 

इस बीच 22 दिसंबर 2003 को नई पेंशन योजना (NPS) अधिसूचित की गई और 01 जनवरी .2004 से प्रभावी हुई. मूल विज्ञापन की शर्तों के विपरीत प्रतिवादी को नई योजना के अंतर्गत रखा गया.

 

प्रतिवादी ने पुरानी पेंशन योजना में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए कई अभ्यावेदन दिए. लेकिन अपीलकर्ता प्राधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद प्रतिवादी ने हाईकोर्ट का रूख किया और रिट याचिका दायर की.

 

कोर्ट ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि प्रतिवादी पुरानी पेंशन योजना का हकदार है. सिंगल बेंच के इस आदेश को चुनौती देते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (ISM) धनबाद ने अपील दायर की.

 

अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रतिवादी ने 30 जून 2004 को कार्यभार ग्रहण किया था, जो कि निर्धारित तिथि के काफी बाद की बात थी. इसलिए उनकी सेवा शर्तें उनके वास्तविक कार्यभार ग्रहण के समय लागू नई नीति व्यवस्था द्वारा उचित रूप से शासित थीं.

 

दूसरी ओर, प्रतिवादी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को पुरानी पेंशन योजना/GPF-सह-पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए, क्योंकि विज्ञापन 2 सितंबर, 2003 को जारी किया गया. जबकि नई पेंशन योजना 22 दिसंबर, 2003 को शुरू की गई थी और 01 जनवरी .2004 से प्रभावी हुई.

 

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुरानी पेंशन योजना का लाभ उन नियुक्तियों को भी दिया जाना चाहिए, जिनका विज्ञापन 01 जनवरी 2004 की अंतिम तिथि से पहले दिया गया था, भले ही उनकी वास्तविक नियुक्ति उसके बाद ही हुई हो. इस संबंध में डॉक्टर प्रवीण सिंह ने सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी.

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