Ranchi: ब्रह्मांड की रचना से लेकर कोल फील्ड माइनिंग का संपूर्ण संग्रह रांची के सीएमपीडीआई में अर्थ साइंस म्यूजियम में है. सीएमपीडीआई मुख्यालय के भूतल में स्थित भूविज्ञान संग्रहालय वास्तव में अपनी सामग्री और प्रदर्शन में आकर्षक है और ज्ञान के सभी साधकों के लिए रूचि का स्रोत है. वर्ष 1991 में कोल इंडिया प्रबंधन ने इस प्रयास के लिए हरी झंडी दी. संग्रहालय का मूल डिजाइन एक इन-हाउस आर्किटेक्ट के द्वारा तैयार किया गया था. प्रसिद्ध कलाकार और कार्यान्वयनकर्ता आरए दत्त के द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले वस्तुओं के निर्माण और इसकी स्थापना के लिए विधिवत प्रक्रिया के द्वारा चयन किया गया.
भूविज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन जुलाई 1991 को किया गया था और यह 1400 करोड़ साल पहले ब्रह्मांड की रचना के साथ शुरू होता है. इसमें लगभग 450 करोड़ साल पहले के सौर मंडल और हमारे ग्रह पृथ्वी का निर्माण भी शामिल है. इस संग्रहालय में ये और कई अन्य मॉडल और डायोरमास एनिमेटेड हैं और आगंतुकों के लिए रूचिकर बनाते हैं. इसमें ज्वालामुखियों, महासागर, पृथ्वी पर जीवन के आगमन और इसके विकास की कहानियों को बताया गया है. कई दुर्लभ और वास्तविक नमूने जैसे शंख, जीवाश्म, डायनासोर की हड्डियों, भूवैज्ञानिक खजाने, विभिन्न प्रकार के क्रिस्टल और रत्न शामिल हैं, जिसे यहां प्रदर्शित किया गया है. जलीय क्रिया के कारण चूना पत्थर प्रदेशों में निर्मित भू-आकृतियां जो कास्ट लैंडफार्म है, को भी दर्शाया गया है. इसमें स्टैलेक्टाइट एवं स्टेलेग्माइट भी शामिल है. इस संग्रहालय में पेड़ों के पेट्रीफाइड (पाषाणकृत) तना के नमूने भी संग्रहित है. मनुष्य का विकास और गुफाओं में आदमी कैसे रहते थे, को मॉडल के माध्यम से दर्शाया गया है. पृथ्वी का क्रॉस-सेक्शन, समुद्र की सतह से पेट्रोलियम का निष्कर्षण और इसके शोधन जैसे भूवैज्ञानिक अभिरूचि वाली वस्तुओं को दिखलाया गया है. एक दिलचस्प मॉडल चंद्रमा पर लूनर मॉड्यूल की लैंडिंग को भी दर्शाया गया है.
इस समान्य प्रदर्शन के बाद एक विशिष्ट गैलरी है जो खनन से संबंधित प्रदर्शनों के लिए समर्पित है. विभिन्न प्रकार के कोयले के नमूने उनका तकनीक गुण और ग्रेड के साथ दिखलाया गया है. एक बड़ा मॉडल एक विशिष्ट भूमिगत कोयला खदान और इससे संबंधित गतिविधियों की सम्पूर्ण जानकारी देता है. यंत्रीकृत खुली खदान खान और सीबीएम के उपयोग और इसे निकालने का एक अदभुत वर्किंग मॉडल है जो सीएमपीडीआई के घरेलु (इन-हाउस) तकनीशियन द्वारा तैयार किए गए है जिसमें वास्तव में चलने वाली सभी मशीनों और वाहनों को दर्शाया गया है. अंत में, ऐतिहासिक लोह-कैप्सूल है जिसका उपयोग 1989 में महावीर कोलियरी दुर्घटना में फंसे खनिकों के जीवन को बचाने के लिए किया गया था. सीएमपीडीआई भूविज्ञान संग्रहालय को अब कटेंट मैनेजमेंट सिस्टम के साथ मल्टी टच स्क्रीन डिस्प्ले कियोस्क, एआर / वीआर अप्लीकेशन, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन आदि जैसी अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक को उपयोग (तैनात) करके ऑडियो विजुअल मल्टीमीडिया सिस्टम शुरू करके डिजिटल प्लैटफार्म पर भी लाया गया है. सीएमपीडीआई अब विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए इस संग्रहालय को पुनः खोलेगा. इसे आम जनता के लिए भी दिन-प्रतिदिन के आधार पर फिर से खोला जाएगा.
डॉ. तारिक सज्जाद महाप्रबंधक (एम.ई.) के कुशल नेतृत्व में माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के द्वारा सीएमपीडीआई के इस म्यूजियम को डिजिटल प्लेटफार्म में परिवर्तित किया गया है. इस म्यूजियम में ऑडियो विसुअल मल्टीमीडिया सिस्टम की नई डिजिटल तकनीक का उपयोग किया गया है जिसमें AR /VR एप्लीकेशन, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन, इंटरेक्टिव इमर्सिव टेक्नोलॉजी और डिजिटल इंटरैक्टिव टच स्क्रीन है.
इनका रहा योगदान
- डॉ तारिक सज्जाद, महाप्रबंधक (एम.ई.)
- कुणाल दास, महाप्रबंधक (यू० एम०डी०)
- आर०के० सिंह, महाप्रबंधक (भूविज्ञान), गवेषण
- सुधीर कुमार सिंह, मुख्यप्रबंधक (उत्खनन), ओपन कास्ट
- एम्०के० माझी, मुख्यप्रबंधक (उत्खनन), इ-प्रोक्योरमेंट
- सुनील कुमार, मुख्यप्रबंधक (वित्त), वित्त विभाग
- जीतेन्द्र तिवारी, मुख्यप्रबंधक (ई० एंड टी०), माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स
- राहुल कुमार, उपप्रबंधक (ई० एंड टी०), माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स
इनके अलावा माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के निम्नलिखित 03 सहायक फोरमैन ने भी इस म्यूजियम को डिजिटल प्लेटफार्म में इंस्टालेशन करने में योगदान दिया है:
- आनंद प्रकाश सिंह, सहायक फोरमैन (टेलीकॉम)
- खेम बहादुर नेवर, सहायक फोरमैन (टेलीकॉम)
- इमरान हसन, सहायक फोरमैन (टेलीकॉम)
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