Ranchi : प्रकृति के नियम लचीले होते हैं, परंतु पर्यावरण का दुरुपयोग बहुत महंगा पड़ता है. जब जरूरत से ज्यादा दुरुपयोग किया जाता है, तब प्रकृति का अनुशासन मनुष्य को दंडित करता है. उक्त बातें आज ब्रह्माकुमारी संस्थान चौधरी बगान, हरमू रोड में आयोजित पर्यावरण दिवस कार्यक्रम में उपस्थित महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के संयुक्त सचिव अभय नंदन अम्बष्ट ने कही. उन्होंने कहा प्रकृति का उपयोग उसका शोषण करने के लिए नहीं, बल्कि विकास की मशाल को जलाकर रखने के लिए करें. साथ ही उसकी पवित्रता को भंग होने से भी बचाएं, जिससे मानव को आध्यात्मिक शक्ति का बल मिले. यदि मानव और प्रकृति की एकता खंडित हो गई तो यह विराट विश्व टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा. वैचारिक प्रदूषण को कम करने की दिशा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
हुंडई मोटरर्स रांची के वरिष्ठ प्रबंधक अमरजीत ने कहा कि अभी आवश्यकता है, दूषित वातावरण को बदलने की. उन्होंने कहा कि बुराई को दूर कर अच्छाई की तरफ हमें जाना होगा. वर्तमान समय मानव को अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए समाज के बुद्धिमान व्यक्तियों को इस पर विचार करना आवश्यक है. पर्यावरण को मानव स्वास्थ्य से जोड़ते हुए केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने स्वस्थ्य की परिभाषा देते हुए कहा कि स्व + स्थिति अर्थात् वह इंसान जो आत्मिक स्थिति में स्थित हो. इस स्थिति में सातों गुण ज्ञान, पवित्रता, शांति, प्रेम सुख आनन्द और शक्ति की अनुभूति होती है. ज्ञान मस्तिष्क को पोषण देता है, पवित्रता त्वचा को पोषण देती है. उसी प्रकार शांति फेफड़ों को प्रेम-हृदय को सुख-आंतों को आनन्द हारमोन्स को शक्ति हड्डियों को पोषण देती है. “परम आनन्द” का श्रोत परमात्मा है, आज का मानव उससे दूर होता जा रहा है. ज्यों-ज्यों आनन्द कम होता जा रहा है, आयु कम होती जा रही है. इसलिए लोगों को खुश रहना सीखना होगा.
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