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Ranchi: राजधानी रांची में बीते 10 जनवरी को पिछले 50 साल में न्यूनतम तापमान सबसे अधिक रहा. मौसम विभाग के अनुसार 10 जनवरी को रांची का न्यूनतम तापमान 17.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. आधी शताब्दी में पहली बार ऐसा हुआ कि रांची में ठंड के मौसम में पारा इतना ऊपर गया. इन्वायरमेंटलिस्ट नीतीश प्रियदर्शी ने इसे काफी गंभीर समस्या बताते हुए इसपर लोगों को गौर करने को कहा है. उन्होंने कहा कि 10 जनवरी को पिछले कुछ साल का रिकॉर्ड टूटा है. बल्कि ऐसा पहली बार ही हुआ है कि जनवरी में ही तापमान इतना ज्यादा दर्ज किया गया. इतना तापमान फरवरी अंतिम में या मार्च में होता था. इससे पहले जितनी बार भी जनवरी में तापमान बढ़ा, वह एक या दो दिन के लिए ही था. लेकिन लगातार लगभग 10 दिनों तक पारा इतना ऊपर पहली बार रहा है.
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जनवरी का गर्म होना बदलते मौसम का संकेत, स्थिति डरावनी
इस बार कोविड महामारी के बीच जहां ज्यादा गर्मी न पड़ने पर हम सब खुश हो रहे थे. पर अब ठंड न पड़ने पर यह स्थिति डरानेवाली है. गर्मी में काफी तेज गर्मी, ठंड में ठंड न पड़ना और बारिश में कमी. प्रियदर्शी ने इसका संबंध जलवायु परिवर्तन से होने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह सभी काफी डरावनी है और इसपर हमें तुरंत ध्यान देने की जरूरत है. नहीं तो परिस्थिति और भी बिगड़ सकती है.
इस बार बदल गयी हवाओं की दशा
राज्य में ठंड पश्चिमी विक्षोभ के कारण आता है. जब हिमाचल, जम्मू-कश्मीर आदि में बर्फबारी होती है तो उसका असर राज्य में भी देखने को मिलता है. उन इलाकों से ही होकर ठंडी हवाएं राज्य में प्रवेश करतीं है. लेकिन हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, सभी जगहों पर भारी बर्फबारी हो रही है. फिर भी राज्य में ठंड नहीं आ रही है. इससे यह पता चलता है कि राज्य में जो हवाएं आतीं थी उनकी दशा में परिवर्तन है. फिलहाल रांची सहित राज्य में जो गर्म हवा है वो अरब सागर से आ रही है.
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बिगड़ती जलवायु क्यों है चिंता की विषय
राज्य की बिगड़ती जलवायु काफी गंभीर मामला है. इससे और भी महामारी फैलने का डर है. सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को है. खेती पर इसका असर काफी पड़ेगा. शहर का प्रदूषण भी काफी बढ़ा हुआ है.
जलवायु परिवर्तन के होंगे गंभीर परिणाम
- प्रवासी पक्षी जो ठंड में झारखंड आते थे, वे आना बंद कर देंगे.
- बारिश में कमी आ जायेगी. खेती पर पड़ सकता है असर
- गेहूं, जिसे लंबे समय तक ठंडे मौसम की जरूरत होती है, उस पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
- पूरे राज्य में अंडरग्राउंड वाटर में कमी आ जाएगी. नदी-तालाब तो अभी ही सूखने लगे हैं.