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8 दिन में झारखंड के गारमेंट, ज्वैलरी, हार्डवेयर सेक्टर को 4000 करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान

सिर्फ रांची में हर दिन 150 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान

Satya Sharan Mishra

Ranchi: कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत आंशिक लॉकडाउन लगा है. खाने-पीने, मेडिकल और अन्य जरूरी वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर अन्य व्यवसायियों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं. ज्वेलरी और कपड़े की सभी दुकानें बंद हैं. शादियों का सीजन है, ऐसे में इन दुकानों के बंद होने से दुकानदारों को काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन संक्रमण की चेन तोड़ने, खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए ये लोग सरकार का सहयोग कर रहे हैं. इन कारोबारियों को 22 से 29 अप्रैल तक पूरे झारखंड में 4000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है. सिर्फ राजधानी रांची में हर दिन 150 करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है.

जान है तो जहान है- घाटा झेल लेंगे कारोबारीः प्रवीण जैन छाबड़ा

फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि जान है तो जहान है. पहले लोगों की जान बचाना जरूरी है. बिजनेस और राजस्व के घाटे का हिसाब-किताब बाद में भी हो जायेगा. झारखंड चैंबर के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि अभी सबको सुरक्षित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस एक हफ्ते में सरकार मेडिकल सुविधाओं को दुरुस्त करे. सभी अस्पतालों में पर्याप्त बेड, आक्सीजन और दवाईयां उपलब्ध करायी जायें. उन्होंने कहा कि पिछली बार का संक्रमण कम खतरनाक था. आइसोलेशन सेंटर से काम चल जा रहा था, लेकिन इस बार मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. इसलिए सरकार इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल को सरकार वर्तमान स्थिति और संसाधनों की उपलब्धता को देखकर फैसला ले. अगर कुछ और दिन दुकानें बंद रखनी पड़ीं, तो व्यवसायी सरकार को सहयोग करेंगे.

पिछला कर्ज चुका नहीं पाये कपड़ा व्यवसायी,  दोबारा लेने की नौबत

कपड़ा व्यवसायी पिछले लॉकडाउन में हुए घाटे से उबरे भी नहीं थे कि इस बार फिर से संकट खड़ा हो गया. रांची के मनभावन ड्रेस के मालिक अजय अग्रवाल ने कहा कि बिजनेस में नुकसान बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन जान से खिलवाड़ नहीं. उन्होंने कहा कि पिछले साल दुकान बंद होने के कारण खर्च चलाने और कारोबार बचाने के लिए 6 लाख रुपये कर्ज लिया था. वह नहीं चुका पाया हूं. शायद इस बार भी कर्ज लेना पड़ सकता है.

छोटे जेवर दुकानदारों को भी एक हफ्ते में 50 से 60 हजार तक का नुकसान

कोरोना की दूसरे लहर में सबसे ज्यादा मुसीबत में जेवर व्यवसायी पड़ गये हैं. शादियों के सीजन में दुकान बंद है. हर रोज हजारों का घाटा हो रहा है. कोकर के रूपकला ज्वेलर्स के मालिक महेश प्रसाद ने बताया कि एक हफ्ते दुकान बंद रहने से 50 से 60 हजार रुपये का नुकसान होगा. पिछले साल भी कोरोना की वजह से 75 दिन तक दुकान बंद रही थी. ढाई महीने में करीब 1 लाख का नुकसान हुआ था. पिछले साल कोरोना की वजह से शादियों पर रोक लग गयी थी. इस बार शादियों पर रोक नहीं है. दुकान बंद रहने से इस बार नुकसान ज्यादा होगा. महेश प्रसाद ने बताया कि 7 लाख रुपये पिछले साल उन्होंने बैंक से कर्ज लिया था. वह चुका नहीं पाये हैं. अगर इस बार ज्यादा दिन दुकान बंद रह गया तो फिर से कर्ज लेने की नौबत आ जायेगी.

EMI भरने लायक भी कमाई नहीं हो पा रही कैब चालकों की

टेंपो, कैब और प्राइवेट गाड़ियां चलाने वाले लोग भी कोरोना संक्रमण के कारण खराब स्थिति में पहुंच गये हैं. गोड्डा के रहने वाले मिथुन रांची के हिनू में रहकर भाड़े पर अपनी कार चलाते हैं. तीन साल पहले उन्होंने कार खरीदी थी. 2 साल ईएमआई भर दिया, लेकिन पिछले साल कोरोना की वजह से बुकिंग नहीं हुई. इस कारण 6 महीने की ईएमआई नहीं भर पाये. हालांकि राहत की बात यह है कि बैंक ने परेशान नहीं किया. वे कहते हैं इस बार भी कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण जहां हर महीने 25-26 बुकिंग मिलती थी, वहां अब मुश्किल से 5-6 बुकिंग आ रही है. EMI भरने के लिए भी पैसे नहीं हो पा रहे हैं.

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