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Dr Anuj Kumar
क्या भारत जैसे देश में Right to Health एक सपना ही रहेगा या ऐसा किया जा सकता? चलिए झारखंड की बात करते हैं. झारखंड की कुल आबादी करीब 4 करोड़ है. औसत आयु 30 साल है. हम 35 साल मान के चलते हैं. अगर हर व्यक्ति को सालाना 3 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज दिया जाए तो औसत आयु के हिसाब से सालाना प्रीमियम आएगा करीब 3000 रुपये. इसमें हर व्यक्ति को साल में एक बार हेल्थ चेकअप की भी सुविधा मिल जाएगी.3 लाख के हेल्थ इंश्योरेंस पर कुल खर्च आएगा 12,000 करोड़ का. सभी का. हर जाति, धर्म, वर्ग से लेकर हर आय वर्ग के लोगों के हेल्थ इंश्योरेंस पर खर्च होगा 12,000 करोड़.झारखंड में मईंयां सम्मान योजना का बजट है 17,000 करोड़ रुपया. यानी मईंयां सम्मान योजना के बजट से 5000 करोड़ रुपये कम में ही झारखंड के हर एक व्यक्ति (हर जाती, हर धर्म के व्यक्ति) को 3 लाख रुपये तक का हेल्थ कवरेज मिल जाएगा. और यह यह हेल्थ इंश्योरेंस, केद्र व राज्य सरकार की आयुष्मान योजना से काफी ज्यादा प्रभावी रहेगा. क्यों? आइए समझते हैं. आयुष्मान योजना काफी कम बड़े अस्पतालों में लागू है. इसके तीन कारण हैं. पहला कि इस योजना में जो राशि तय की गई है वह काफी कम है. कुछ बीमारियों के लिए ठीक है, पर ज्यादातर बीमारियों के लिए काफी कम.
दूसरा, यह कि जो आप देखते हैं कि 5 लाख तक का इंश्योरेंस है, वह दरअसल वैसा नहीं है. हर बीमारी के हिसाब से रेट तय है. अगर बिल उससे ज्यादा हुआ तो भी रेट के हिसाब से ही भुगतान होगा.इसलिए अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करना चाहते. रांची की ही बात करें तो कोई ऐसा अस्पताल नहीं जो सारी बीमारियों का इलाज आयुष्मान में करता हो. तीसरा यह कि सरकार समय पर अस्पतालों को यह राशि भी भुगतान नहीं करती है. महीनों तक बकाया रहता है. इसलिए आयुष्मान कार्ड रहने के बावजूद भी मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं.
लेकिन वहीं अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो अस्पताल इलाज करने में आनाकानी नहीं करेंगे. और अगर सरकार कड़ाई करेगी तो इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में दिक्कत भी नहीं करेंगी, जैसा कि वे अमूमन करती हैं.इतना ही नहीं आयुष्मान योजना का पैसा बचेगा. सरकारी अस्पतालों पर जो इतना बोझ और वित्तीय भार है वहां भी सरकार का पैसा बचेगा. और राज्य के स्वास्थ्य उद्योग को एक गति मिलेगी. पैसा चूंकि प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी को देना होगा तो वो प्राइवेट अस्पताल पर भी निगरानी रखेंगे की वो कुछ धोखाधड़ी ना करें.
आप यह कह सकते हैं कि 3 लाख तक में क्या होता है, तो 3 लाख तक में ज्यादातर बीमारियों का इलाज हो जाएगा, कई लाइफ-सेविंग सर्जरी हो जाएंगी.सरकार ये भी कर सकती की लोगों को छूट है की वो 3000 से ज्यादा का प्रीमियम ले कर वो राशि का भुगतान स्वयं करें. इस तरह झारखंड के हर एक निवासी को उच्च कोटि की नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा देना संभव है. जैसे कि मईंयां सम्मान योजना में हमने देखा कि अगर सरकार ने दृढ़ निश्चय कर लिया तो उसके लिए बजट की व्यवस्था भी सरकार ने कर ही ली. तो सरकार उसी पैसे को यहां लगा सकती. या हेल्थ के बजट से ही कुछ रुपये निकाल करके इस योजना को शुरु कर सकती है. पर सरकार ऐसा नहीं करेगी. जानते हैं क्यों?
क्योंकि पार्टियों को पता है कि यह मूर्ख और धूर्त जनता है. इनके लिए कुछ भी कर दो, ये वोट देते समय जाती और धर्म ही देखेगी. अपने-अपने पार्टी के बचाव के लिए कुतर्क ढूंढती रहेगी. जो 200-500 देगा, उसके लिए बिक जाएगी. उसी को वोट करेगी.तो क्यों खर्च करें? चुनाव आएगा तो पैसे बांट के जीत जाएंगे. जनता को सिर्फ नकद पर ही भरोसा रह गया है. सच यह है कि हमें ये सब नहीं मिलता क्योंकि हम इसके लायक ही नहीं हैं. हमें वही मिल रहा है, जिसके लायक हम हैं.
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