इडी ने पेयजल घोटाले में छापामारी के दौरान अस्थायी रूप से जब्त सामग्रियों यथा निवेश से संबंधित दस्तावेज, नकद, एफडी आदि को स्थायी रूप से जब्त करके रखने की अनुमति मांगी थी. इडी ने इसमें कुल 15 लोगों को प्रतिवादी बनाया था. इसमें आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता, सीए सहित अन्य शामिल है.एडजुडिकेटिंग ऑथरिटी ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद इडी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीएमएलए की धारा 20, 21 के तहत छापामारी के दौरान जब्त सामग्रियों को आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए जब्त रखने का आदेश दिया है. साथ ही प्रतिवादियों को फैसला के खिलाफ़ ट्रिब्यूनल में अपील करने का समय दिया है. [caption id="attachment_1039457" align="aligncenter" width="272"]
alt="" width="272" height="147" /> छापामारी के दौरान निरंजन कुमार के ठिकानों से 5.53 लाख रुपये, विभोर सिंघानिया के ठिकानों से 47.50 लाख रुपये और सुरेश महतो के ठिकाने से 2.05 लाख रुपये नक़द जब्त किये गये थे.[/caption] इडी की ओर से दायर याचिका में पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किये गये बयान मे मिले तथ्यों की जानकारी दी गयी है. इसमें कहा गया है कि संतोष कुमार ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि पेयजल विभाग में टेंडर मूल्य का 10 प्रतिशत कमीशन के तौर पर वसूला जाता है. इसे भी पढ़ेंः 170">https://lagatar.in/170-crore-payment-fraud-case-ed-asks-jusnl-for-details-of-niranjan-kumars-tenure/">170
करोड़ के पेमेंट में गड़बड़ी मामला : ईडी ने जेयूएसएनएल से निरंजन कुमार के कार्यकाल का मांगा ब्यौरा
कमीशन के रकम की वसूली इंजीनियर सुरेश कुमार के माध्यम से की जाती है. विभाग के टेंडर पर उसका नियंत्रण है. कमीशन के तौर पर वसूली जाने वाली रकम में विभागीय मंत्री, सचिव, इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों की हिस्सेदारी निश्चित है.संतोष ने अपने बयान में करीब 23.00 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी में से बांटे गये 12.00 करोड़ रुपये का ब्योरा भी दिया है. हिस्सा लेने वालों में इंजीनियर निरंजन कुमार, प्रभात कुमार सिंह, चंद्रशेखर सहित अन्य का नाम है.
alt="" width="207" height="300" /> इंजीनियर निरंजन कुमार का सीए मनीष कुमार अग्रवाल है. वह निरंजन कुमार की काली कमाई को निवेश करने में मदद करता है. इडी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विभाग में टेंडर से कमीशन के तौर पर होने वाली वसूली में मंत्री को भी एक निश्चित हिस्सा मिलता है. इसे भी पढ़ेंः इंजीनियर">https://lagatar.in/engineer-niranjan-kumar-got-the-job-with-the-help-of-fake-caste-certificate/">इंजीनियर
निरंजन कुमार ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पायी
याचिका के मुताबिक तत्कालीन मंत्री मिथिलेश ठाकुर का भाई विनय कुमार ठाकुर मनी लाउंड्रिंग में शामिल है. वह अपने मंत्री भाई को कमीशन के रूप में मिली राशि का लाउंड्रिंग, वेदांत खीरवाल की मदद से करता है. वेदांत खीरवाल, विनय ठाकुर का करीबी है.इडी की याचिका में पेयजल विभाग के पूर्व सचिव मनीष रंजन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि कमीशन में उन्हें भी हिस्सा मिलता है. उनकी पत्नी, ऑरेंज मीडिया इंफो प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी में निदेशक है. इस कंपनी का एक निदेशक मानस कुमार है. मानस कुमार आईएएस अधिकारी मनीष रंजन का करीबी है. विभोर सिंघानिया, मनीष रंजन का करीबी है. मनीष रंजन की कमाई को निवेश कराने में उसकी अहम भूमिका है. इडी ने याचिका में कहा है कि विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर इन चीफ रघुनंदन प्रसाद भी तत्कालीन मंत्री के करीबी है. उन्हें भी कमीशन में हिस्सा मिलता है. इडी ने अपनी याचिका में इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा है कि इन सभी बिंदुओं पर आगे की जांच जारी है.
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