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Exclusive: ACB खंगाल रही IAS विनय चौबे और उनके करीबियों की प्रॉपर्टी डीटेल

Vinit Abha Upadhyay Ranchi: शराब घोटाला में जेल में बंद राज्य के वरीय IAS अधिकारी विनय चौबे और उनके परिवार एवं करीबी व्यक्तियों की सम्पति का ब्यौरा एसीबी (भ्रष्टचार निरोधक ब्यूरो) जुटा रही है. एसीबी विनय चौबे उनकी पत्नी और अन्य सगे संबंधियों के नाम से खरीदी गई अचल सम्पति की जानकारी भी जुटाने में लगी है. इसके लिए एसीबी ने रांची के सभी रजिस्ट्री कार्यालयों में पत्र लिखा है. एसीबी ने रजिस्ट्री ऑफिस से यह जानकारी मांगी है कि विनय चौबे और उनकी पत्नी और अन्य पारिवारिक सदस्यों के नाम पर कितनी अचल सम्पति खरीदी गई है. एसीबी ने विनय चौबे और उनकी पत्नी के पैन नंबर भी रजिस्ट्री ऑफिस को दिए हैं. एसीबी से पत्र मिलने के बाद रांची के सभी रजिस्ट्री ऑफिस में विनय चौबे और उनकी पत्नी की प्रॉपर्टी की डिटेल खंगाली जा रही है. जानकारी में मुताबिक, विनय चौबे की पत्नी के नाम पर अलग- अलग प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री के चार दस्तावेज मौजूद हैं. प्रॉपर्टी की डीटेल्स मिलने के बाद ACB अब आगे की कार्रवाई में लग गई है. बता दें कि पिछले सप्ताह ACB ने शराब घोटाला से जुड़े मामले में राज्य के वरीय IAS अधिकारी विनय चौबे को पूछताछ के बार गिरफ्तार किया था. फिलहाल विनय चौबे न्यायिक हिरासत में हैं. यहां बता दें कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को 20 मई को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उन्हें एसीबी की विशेष अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को 3 जून तक (14 दिन) न्यायिक हिरासत में भेजा है. वहीं विनय चौबे की तबियत बिगड़ने पर उन्हें रिम्स में किया गया था. विनय चौबे फिलहाल रिम्स के पेइंग वार्ड में हैं. विनय चौबे की तबीयत फिलहाल ठीक है. उनकी जांच के लिए रिम्स में डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है. इस टीम में मेडिसिन, किडनी और हार्ट के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं. जिनमें- डॉ. ऋषि तुहिन गुड़िया, डॉ. अजीत डुंगडुंग, डॉ. प्रज्ञा पंत और डॉ. मृणाल कुंज शामिल हैं. टीम की डॉ. प्रज्ञा पंत ने बताया था कि विनय चौबे को पहले जो दवाइयां दी जा रही थीं, उन्हें अभी जारी रखने की सलाह दी गई है. खून और पेशाब की रिपोर्ट आने के बाद इलाज में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जाएगा. इससे पहले उनके सभी रिपोर्ट को नेफ्रोलॉजी विभाग में भेजा गया था. जहां डॉक्टरों ने उनकी रिपोर्ट को देखा और इलाज के लिए उसपर विचार किया. यहां बता दें कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और किडनी से जुड़ी समस्याएं हैं, जिनकी जांच अब नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में राज्य के शराब व्यापारियों के बीच यह चर्चा शुरू हुई कि 2022-23 से नयी शराब नीति आने वाली है. इसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का दबदबा रहेगा. इन्हीं चर्चाओं के बीच उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को झारखंड में शराब के राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया. उत्पाद नीति बनाने में सलाह देने के लिए सरकार ने अरूणपति त्रिपाठी की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित किया. नयी उत्पाद नीति बनाने के बाद उसे राजस्व पर्षद सदस्य के पास सहमति के लिए भेजी गयी. उस वक्त अमरेंद्र प्रसाद सिंह राजस्व पर्षद सदस्य थे. उन्होंने उत्पाद नीति पर अपनी असहमति जताते हुए कई मामलों में बदलाव लाने का सुझाव दिया. साथ ही यह टिप्पणी भी कि जिस कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया, वह अपने राज्य में शराब का राजस्व नहीं बढ़ा पा रही है. झारखंड में शराब के राजस्व का ग्रोथ, छत्तीसगढ़ से ज्यादा है. ऐसे में वह कंपनी झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए क्या सलाह देगी, ये समझ से परे है. राजस्व पर्षद सदस्य द्वारा दिये गये सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने नयी उत्पाद नीति की घोषणा की. नयी नीति के घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का झारखंड में शराब के व्यापार पर कब्जा हो गया. टेंडर में लगायी गयी शर्तों के मद्देनजर थोक व्यापार इशिता और ओमसाई नाम की कंपनियों के हाथों चला गया. शराब के राजस्व पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए बोतलों को लगाया जाने वाले होलोग्राम बनाने का काम भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में शामिल प्रिज्म नाम की कंपनी को दे दिया गया. सरकार द्वारा चलायी जाने वाली खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिला. नयी उत्पाद नीति की वजह से सबसे पहले देशी शराब बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुईं. 2022-23 से पहले झारखंड में देशी शराब प्लास्टिक के बोतल में बेचने का नियम था. लेकिन छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने प्लास्टिक के बदले शीशे की बोतल में देसी शराब बेचने का नियम लागू करवा दिया. इससे झारखंड में देसी शराब के बॉलिंग प्लांट बंद हो गये. इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में पड़े देसी शराब के स्टॉक को झारखंड में बेचा. इसके बाद झारखंड के देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से मिल कर पार्टनशिप करने की कोशिश की. लेकिन झारखंड की ज्यादातर कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हुई. इन कंपनियों को उत्पाद विभाग के अधिकारियों से मिल कर किसी ना किसी तरह परेशान किया जाता है. इस बीच छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरूण पति त्रिपाठी व अन्य को अभियुक्त बनाये जाने के बाद शराब सिंडिकेट के कुछ लोग झारखंड से चले गये. जबकि सिंडिकेट की कुछ कंपनियों के साथ किये गये एकरारनामे को सरकार ने रद्द कर दिया.

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