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Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : लैंड स्कैम की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसकी परत दर परत खुलती जा रही है. ED की अब तक की जांच में यह जानकारी सामने आयी है कि रांची के अलग-अलग इलाकों में आदिवासी खतियान की बेशकीमती भूमि को जनरल बनाने के सिंडिकेट में रांची से लेकर कोलकाता तक के लोग शामिल थे. जमीन के दस्तावेज तैयार करने के लिए पेपर जुगाड़ करने से लेकर उसमें लिखने के काम के लिए अलग-अलग लोग शामिल थे. जिन दो रजिस्ट्री डीड 3985/1940 और 2376/1940 को आधार बना कर बड़गाईं अंचल में करीब आठ एकड़ भूमि पर कब्जा किया गया है, उसे कोलकाता में तैयार किया गया था और इस काम में कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस के एक कर्मचारी तापस घोष ने अफसर अली की मदद की थी. इसके एवज में अफसर अली ने तापस को 20 लाख से ज्यादा का भुगतान अकाउंट के माध्यम से किया. अफसर अली ने उसके एक्सिस बैंक के अकाउंट में अलग-अलग तारीखों में जमा किए हैं, बाकि के पैसे उसे कैश दिए गए. डीड लिखने का काम इरशाद ने किया था, जिसके लिए उसे अकाउंट में करीब आठ लाख रुपए का भुगतान किया गया था. इरशाद हजारीबाग का रहने वाला है और उसे कई हिंदी, अंग्रेजी के साथ साथ कैथी भाषा में भी डीड लिखने में महारत हासिल है. उसी ने बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप के साथ मिलकर शहर अंचल के रजिस्टर 2 में भी छेड़छाड़ की थी.
शहर अंचल के आर 27 रजिस्टर में छेड़छाड़ की गई है, जिसमें पुरानी जमाबंदी का रिकॉर्ड रखा जाता है. इरशाद ने डीड लिखने का काम अलाउदीन और मकबूल नाम के शख्स से सीखा था. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इरशाद ने खुद यह बात कबूल की है कि उसने रांची के अलग-अलग इलाकों की करीब 40 जमीन की डीड लिखी है. कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस का कर्मचारी तापस घोष इरशाद और अफसर अली को सरकारी रिकॉर्ड लाकर देता था, जिसके पन्ने फाड़कर उसमें हाथ से लिखावट कर दोबारा रख दिया जाता था. जिसके बाद उस दस्तावेज की नक़ल लेकर जमीन पर कब्ज़े का खेल खेला जाता था. डीड लिखने का काम कोलकाता के आलिशान होटलों में किया जाता था.
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