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झारखंड IT का खुलासा : गुजरात की पार्टी ने 10-10 हजार में गरीबों से पहचान पत्र लेकर शेल कंपनियां बनायी

LAGATAR EXPOSE
Ranchi : गुजरात की आम जनमत पार्टी ने 10-10 हजार रुपये में गरीबों के दस्तावेज लेकर दो दर्जन से अधिक शेल कंपनियां बनायी. राजनीतिक खर्च के नाम पर इन शेल कंपनियों के खाते में 500 करोड़ रुपये चेक से ट्रांसफ़र कर कैश निकाला. इस राजनीतिक दल को देश के 40 हजार युवा प्रोफेशनल ने कुल 1200 करोड़ रुपये का चंदा देकर इनकम टैक्स की चोरी की. झारखंड आयकर (अनुसंधान शाखा) द्वारा जारी जांच के दौरान इसका पर्दाफाश हुआ है.
गुजरात की आम जनमत पार्टी की कारगुजारियों की जांच के दौरान आयकर विभाग को पार्टी के खाते से 500 करोड़ रुपये कुछ कंपनियों के खाते में ट्रांसफ़र करने के सबूत मिले हैं. कंपनी के खाते से किये गये लेनदेन के ब्योरे से इस बात की पुष्टि हुई है की आम जनमत पार्टी द्वारा चेक के माध्यम से ट्रांसफ़र किये गये 500 करोड़ रुपये की नकद निकासी की गयी है.
जांच के दौरान इस बात की पुष्टि होने के बाद आयकर विभाग ने अयान इंटरप्राइजेज, रामदेव इंटरप्राइजेज सहित देश के बड़े लोगों के नाम पर बनी कंपनियों को समन भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया. पूछताछ के दौरान अयान इंटरप्राइजेज और रामदेव इंटर प्राइजेज के मालिकों ने यह स्वीकार किया कि वे गरीब हैं. चॉल में रहते हैं. व्यापार जगत से जुड़े कुछ लोगों ने उन्हें लालच देकर टैक्स चोरी के इस धंधे में शामिल किया.
आयकर विभाग को दिये जानकारी में बताया गया कि गुजरात के ही व्यापारियों ने उनसे संपर्क कर 10 हजार रुपये देकर उनका आधार कार्ड लिया, बैंक में खाते खोलने के फार्म पर दस्तखत कराया. इसके बाद नया सीम कार्ड जारी करवा कर खुद ही रख लिया. इसके बाद उन लोगों ने कंपनी बनायी और कंपनी का सारा नियंत्रण अपने पास रखा.
नया सीम कार्ड व्यापारियों के पास होने की वजह से उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिलती थी कि उनके बैंक खातों का इस्तेमाल किस काम के लिए किया जा रहा है. इसके बदले व्यापारियों द्वारा उन्हें प्रति माह 10 हजार रुपये दिया जाता था. रामदेव इंटरप्राइजेज के मालिक ने भी आयकर द्वारा की गयी पूछताछ में अपनी गरीबी की वजह से 10 हजार रुपये में अपनी पहचान बेचने की बाद स्वीकार की. बाकी शेल कंपनियों के सिलसिले में अभी जांच जारी है.
आयकर विभाग ने जांच के दौरान पाया कि देश के 40 हजार युवा प्रोफेशनल्स ने गुजरात की आम जनमत पार्टी को एक साल में 1200 करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा दिया. इस राजनीतिक दल को चंदा देने वाले प्रोफेशनल में 500 से अधिक युवा झारखंड-बिहार-नेपाल बार्डर के हैं. युवाओं को राजनीतिक चंदा देकर इनकम टैक्स चोरी करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) ने प्रेरित किया.
पूछताछ के दौरान इस राजनीतिक दल को चंदा देने वाले युवाओं ने यह स्वीकार किया है कि CA द्वारा यह समझाया गया कि आयकर अधिनियमन 1961 की धारा 80GGB/80GGC के प्रावधानों के तहत राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में दी गयी राशि पर इनकम टैक्स नहीं लगता है. इससे इनकम टैक्स में काफी बचत होगी. साथ ही Salary Class के लोगों के रिटर्न की स्क्रूटनी नहीं होती है. इसलिए किसी कानूनी चक्कर में फंसने का खतरा भी नहीं है.
लेकिन आयकर विभाग की जांच के दौरान इनकम टैक्स चोरी के इस तरीके का पर्दाफाश होने के बाद चंदा देने वाले युवाओं की परेशानियां बढ़ गयी है. आयकर विभाग की पूछताछ के दौरान युवाओं द्वारा चंदा देकर इनकम टैक्स की चोरी करने की बात स्वीकार की जा रही है. साथ ही कानूनी कार्रवाई से बचने क लिए टैक्स चोरी करने वाले युवाओं को टैक्स, सूद और दंड की राशि चुकानी पड़ रही है. सालाना एक करोड़ रुपये के पैकेज पर नौकरी करने वाले एक युवा ने 50 लाख रुपये का राजनीतिक चंदा दिया. इससे उनसे 15 लाख रुपये इनकम टैक्स बचाया. लेकिन पकड़े जाने के बाद वह टैक्स,सूद और दंड के रूप में 37 लाख रुपये से अधिक चका रहा है.

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