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भगवान जगन्नाथ मंदिर में नेत्रदान 26 जून को, श्रद्धालुओं का उमड़ेगा सैलाब

Ranchi: धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर  केवल आस्था और विश्वास का केंद्र नहीं है, बल्कि यह आदिवासी और सदान समुदाय के सम्मिलित सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है. इसी आस्था के दरबार में 26 जून को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, क्योंकि गुरुवार दोपहर बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और माता सुभद्रा का नेत्रदान  अनुष्ठान संपन्न होगा. इसके अगले दिन 27 जून को ऐतिहासिक रथ मेला का आयोजन होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जुटेंगे.


जगन्नाथपुर मंदिर: 250 फीट ऊंची पहाड़ी पर आस्था का प्रतीक


स्थानीय बुज़ुर्गों के अनुसार, बड़कागढ़ क्षेत्र में स्थित यह भव्य मंदिर 250 फीट ऊंची पहाड़ी पर निर्मित है. मंदिर की वास्तुकला लगभग 100 फीट ऊंची है. इसका निर्माण बड़कागढ़ के ठाकुर महाराजा रामशाही के चौथे पुत्र ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव द्वारा 25 दिसंबर 1691 को करवाया गया था. वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है, उसका जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण वर्ष 1991 में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से करवाया गया था. मंदिर से करीब आधा किलोमीटर दूर स्थित मौसीबाड़ी  में रथ यात्रा के अवसर पर नौ दिनों तक भव्य मेला आयोजित होता है.


ऐनीनाथ शाहदेव को मिले थे 97 गांव


स्थानीय निवासियों के अनुसार, ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव को कुल 97 गांव विरासत में प्राप्त हुए थे. उन्होंने डोयसागढ़ स्थित अपनी पुरानी राजधानी को छोड़कर स्वर्णरेखा नदी के पास सतरंजी  में नई राजधानी की स्थापना की थी. वहीं पर उन्होंने एक किले (गढ़) का निर्माण भी करवाया था.


आज यह ऐतिहासिक स्थल इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह गया है. जहां कभी राजधानी हुआ करती थी, आज वहां एचईसी (HEC) का फाउंड्री प्लांट स्थापित हो गया है. हालांकि  उनके द्वारा बसाया गया हटिया बाजार  आज भी जीवित है और पहले से कहीं अधिक विस्तृत और व्यस्त हो गया है.

 

 

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