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रिम्स में बढ़ेगी सुविधाएं, इलाज के लिए बढ़ेगा शोध का दायरा

Ranchi :  राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में इलाज के साथ ही शोध की सुविधाएं बढेंगी. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने पिछले एक साल के दौरान जो कोशिशें शुरू की थीं, अब उसके नतीजे आने शुरू हो गये हैं. उक्त बातें निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने अस्पताल की वार्षिक कार्यकाल रिपोर्ट पेश करते हुए कही. रिम्स ट्रामा सेंटर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि एक साल के भीतर चिकित्सा परामर्श, भर्ती और हेल्थ एजुकेशन से लेकर रिसर्च तक का दायरा में इजाफा हुआ है. चिकित्सा संस्था की पहली प्राथमिकता पेशेंट केयर और रिसर्च है. यह तभी संभव है, जब इस संस्थान में मेडिकल स्टूडेंट्स को अच्छी शिक्षा दी जाये.

बनाया जायेगा हॉस्पिटल इन्‍फॉर्मेशन मैनेजेंमेंट सिस्टम

इस मौके पर रिम्स के उपाधीक्षक डॉ शैलेश त्रिपाठी ने कहा कि अस्‍पताल में मेडिकल स्टॉफ की कमी दूर कर एक मजबूत हॉस्पिटल इन्‍फॉर्मेशन मैनेजेंमेंट सिस्टम बनाया जा रहा है. इसके बाद मरीजों को बिना किसी परेशानी के यहां बेहतर सुविधा मिलने लगेगी. इस मौके पर पीआरओ डॉ डीके सिन्हा भी मौजूद थे. इसे भी पढ़ें – पुलिसकर्मियों">https://lagatar.in/nia-interrogates-naxalite-sukhram-ramtai-involved-in-killing-of-policemen/">पुलिसकर्मियों

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न्यू ट्रामा सेंटर में जल्द शुरू होगी सेंट्रल इमरजेंसी

रिम्स के न्यू ट्रामा सेंटर को कोविड सेंटर के दर्जा से मुक्त करने के बाद अत्याधुनिक सुविधा युक्त 30 बेड के सेंट्रल इमरजेंसी सेवाएं देने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. जल्द ही अब ट्रामा सेंटर में पहले के मुकाबले इमरजेंसी सेवाएं बहाल हो जायेगी. कोरोना मरीजों की संख्या कम होने के बाद अब सिर्फ एक या दो फ्लोर पर कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व रहेगा, बाकी सभी फ्लोर पर सामान्य गंभीर मरीजों का इलाज हो सकेगा. माइल्ड केस को अस्थायी कोविड अस्पताल में रखा जायेगा. सेंटर में मरीजों के लिए सीटी स्कैन, अल्ट्रासांउड में स्कैनिंग की सुविधा, सेंट्रल लैब में जांच के साथ ही दो ओटी में आपात स्थिति में मरीजों का इलाज किया जायेगा.

रिम्स पता करेगा गंभीर बीमारियों के अनुवांशिक कारण

रिम्स के डॉक्टर अब आदिवासी इलाके में उनसे जुड़ी कुछ खास बीमारियों पर रिसर्च करेंगे, जिससे ट्राइबल समुदाय से जुड़े लोगों को बीमारियों के इलाज के साथ ही राहत भी मिलेगी. जनजाति और पिछड़ी जातियों में रक्त विकार जैसी अनुवांशिक समस्या ज्यादा है. इसमें स्किलिंग टेस्ट, एचबी इलेक्ट्रो फोरोसिस, एचबी एलसी जांच व शोध से बीमारी का पता चल जाता है. जनजातीय बीमारियों के शोध में नये तथ्य सामने आने के बाद जीन थेरेपी व बोन मैरो में बदलाव कर उनका इलाज किया जा सकेगा. केंद्र सरकार इस दिशा में पहल कर रही है. इसे भी पढ़ें – मुंबई">https://lagatar.in/mumbai-drugs-case-bombay-high-court-bail-order-copy-issued-no-evidence-of-conspiracy-against-aryan/">मुंबई

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रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

1. अस्पताल प्रबंधन की जवाबदेही तय होगी, सीएमओ के जिम्मे होगी इलाज की व्यवस्था 2. मरीजों के साथ भेदभाव नहीं होगी, लापरवाही के लिए अस्पताल प्रबंधन की जवाबदेही तय 3. रोगी सुझाव, समस्या और शिकायत के लिए फीडबैक रजिस्टर जरूरी, रात के वक्त कंट्रोल रूम रखेगी नजर 4. एम्स व बड़े अस्पतालों से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षित होंगे रेजिडेंट डॉक्टर के साथ नर्सिंग व मेडिकल स्टाफ इसे भी पढ़ें – 26">https://lagatar.in/on-26th-farmers-and-laborers-will-march-from-shaheed-chowk-to-raj-bhavan/">26

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