Ranchi : राजधानी में कोरोना संकट के बावजूद फगुआ की बयार बह रही हैं. शहर के विभिन्न क्षेत्रों में फाग के गीतों से लोग सराबोर हो रहे हैं. उड़ते अबीर और गुलाल के बीच भगवान श्री राम और कान्हा की मस्ती वाली फाग की देसी परंपरा अभी भी राजधानी में रस बरसा रही है. इस परंपरा का वहन करने वाले गायकों की संख्या अब सीमित होती जा रही है. लेकिन इसके बावजूद कुछ गायक अपनी छाप छोड़ रहे हैं. वह अगली पीढ़ी को भी तैयार कर रहे हैं.
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रामशरण ब्यास 1980 से इस परंपरा को निभा रहे है
चुटिया राम मंदिर के पास रहने वाले रामशरण ब्यास 1980 से इस परंपरा को निभा रहे है. माघ की पंचमी तिथि से ही शहर में उनकी मांग बढ़ जाती है. उन्हें अलग-अलग इलाकों में फगुआ गाने के लिए बुलाया जाता है. वह कहते हैं की अगर किसी दिन वह फुर्सत में होते भी है तो चुटिया राम मंदिर में फगुआ की टोली का जुटान होता है. और झाल, मृदंग और देसी डंफा के साथ फाग गाया जाता है.
चुटिया में मंडा मंदिर के पीछे शिवपुरी कॉलोनी, साईं कॉलोनी, मकचुन टोली, रेलवे कॉलोनी, आरपीएफ के अलावा धुर्वा बस स्टैंड, टाटीसिल्वे दुर्गा मंदिर, हटिया, हिनू, बिरसा चौक के अलावा शहर से बाहर भी वह फाग गाने के लिए जाते हैं.
गीत होली के रंगों को और रंगीन बना देती है
वही हिनू क्षेत्र के रहने वाले रामसकल यादव विदुर जी कहते हैं कि बिना फाग होली का रंग फीका होता है. विभिन्न रसों से ओतप्रोत फगुआ के गीत होली के रंगों को और रंगीन बना देती है. तन, मन ही नहीं पूरा समाज भी फगुआ की गीतों में सराबोर हो जाता है. चारों ओर उल्लास का वातावरण तैयार हो जाता है. इसके गीतों में भक्ति, भाव, विरह, वेदना, मस्ती, उमंग, श्रृंगार सभी कुछ मिलते हैं. तभी तो बिना फगुआ गीतों के होली अधूरा है.
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सतर्क रहते हैं, कोरोना का असर नहीं
रामशरण व्यास कहते हैं कि कोरोना के कारण फगुआ गीत गाने की परंपरा पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. लोग सतर्क होकर ही ऐसे आयोजनों में भाग ले रहे हैं. पिछली बार भी होली के बाद ही कोरोना और लॉकडाउन लगाया गया था. इस बार भी वह माघ पंचमी से लेकर अब तक लगातार फगुआ गीतों के आयोजन में भाग ले रहे हैं.
चैत भगवान राम के जन्म का महीना है
फगुआ-चईता का होता है संगम रामशरण व्यास बताते हैं कि होली की रात ही ऐसी रात है जिस दिन फगुआ के साथ चैता भी गाने का सुनहरा मौका मिलता है. फगुआ बीतने के बाद वह पूरे महीना भर चैता गाते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ एक बार होली की रात शुरू फगुआ देर रात तक चली. पौ फटने के बाद चैता गाने के बाद खत्म की. चैत भगवान राम के जन्म का महीना है और इस पूरे महीने वह चैता आयोजन में शरीक होते हैं.
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