NewDelhi : नये कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने आंदोलनरत किसानों को नये सिरे से बातचीत के लिए बुलावा भेजा, लेकिन इसका नतीजा सिफर है. इससे पहले केंद्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत विफल रही है.
खबरों के अनुसार किसान यूनियनों का कहना है कि हमें कोई जल्दी नहीं हैं, हम हाइवे पर तब तक रहेंगे, जब तक कानून वापस नहीं ले लिय़े जाते. बातचीत के नये प्रस्ताव पर किसान संगठन आज शनिवार को होने वाली बैठक में तय करेंगे कि क्या जवाब देना है.
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किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर कायम हैं
बता दें कि किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर कायम हैं. किसानों का यह रुख कृषि मंत्रालय द्वारा किसानों को लिखे गये तीसरे पत्र और पीएम मोदी के भाषण पर चर्चा के बाद भी कायम है. बता दें कि कृषि मंत्रालय गुरुवार को एमएसपी के मुद्दे पर भी चर्चा को तैयार था. जय किसान आंदोलन के नैशनल कन्वेनर और ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी (AIKSCC) के महासचिव अविक साहा ने कहा है कि किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं.
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आज किसान नेता बैठक करेंगे
AIKSCC के नेताओं का कहना है कि जबतक सरकार उन शर्तों को नहीं बताती, जिनके तहत कानूनों को वापस लिया जायेगा और एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जायेगी. तब तक जिच कायम रहेगी. जानकारी के अनुसार आज शनिवार को किसान नेता बैठक करेंगे, जहां मंत्रालय के पत्र का जवाब तैयार किया जायेगा. खबर है कि जवाब शनिवार शाम तक केंद्र को जवाब भेजा जा सकता है.
दिल्ली के बुराड़ी में किसानों को प्रदर्शन की जगह दी गई थी. यहां मौजूद पंजाब के एक किसान ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बसाया कि आज किसानों के प्रदर्शन को एक महीना हो गया है. सरकार को चाहिए कि तीनों कानून रद्द कर दे. उसके बाद हम अपने-अपने घर चले जायेंगे.
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि की राशि ट्रांसफर करते हुए नये कृषि कानूनों पर कहा था कि देश किसान किसी के बहकावे में नहीं आयेंगे. प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर किसानों को उकसाने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में जब उनकी सरकार थी तब स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को दबाकर रखा गया, लेकिन उन्होंने उसे लागू किया और रिपोर्ट में की गयी सिफारिश के अनुसार एमएसपी में बढ़ोतरी की गयी.