NewDelhi : विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर भरोसा कम हुआ है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) घट गया. एफडीआई 34 प्रतिशत घटकर 10.94 अरब डॉलर रहा. मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की वजह से एफडीआई में कमी आयी है. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, वाहन और फार्मा जैसे क्षेत्रों में एफडीआई कम रहा है. डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में देश में 16.59 अरब डॉलर का एफडीआई आया था.
विदेशी निवेशकों ने अगस्त में अबतक भारतीय शेयर बाजार 10,689 करोड़ किया निवेश
एफडीआई की तरह फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) की भारतीय शेयर बाजारों में निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ी है. कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और मुद्रास्फीति के जोखिम के कारण विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में रूचि नहीं दिखायी. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त माह में अबतक यानी 26 अगस्त तक एफपीआई ने शेयरों में 10,689 करोड़ रुपये का निवेश किया है. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 5,950 करोड़ का निवेश किया है.
साल 2023 में एफपीआई ने शेयर में 1.37 लाख करोड़ डाले
अगस्त से पहले लगातर तीन माह तक एफपीआई ने भारतीय बाजार में 40,000 करोड़ से अधिक निवेश किया था. जुलाई में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 46,618 करोड़ का निवेश किया था. जून में 47,148 करोड़, मई में 43,838 करोड़, अप्रैल में 11,631 करोड़ और मार्च में 7,935 करोड़ रुपये रहा था. साल 2023 में भारतीय शेयरों में एफपीआई का निवेश 1.37 लाख करोड़ पर पहुंच गया है. वहीं 2023 में अबतक ऋण या बॉन्ड बाजार में एफपीआई का निवेश 26,400 करोड़ पर पहुंच गया है.
इस सप्ताह शेयर बाजार में रह सकता है उतार-चढ़ाव
कोटक सिक्योरिटीज लि. के खुदरा शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि वृहद आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से इस सप्ताह शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है.इससे विदेशी निवेशक भारत सहित उभरते बाजारों से निकासी कर सकते हैं और अमेरिकी प्रतिभूतियों में निवेश बढ़ा सकते हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अगस्त में मॉनसून कमजोर रहने और इसके असमतल वितरण से मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर रह सकती है. यह स्थिति बाजार की धारणा को प्रभावित करेगी.
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