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फिल्म निर्माता इम्तियाज अली व साजिद पहुंचे साकची गुरुद्वारा

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alt="" width="300" height="200" /> Jamshedpur : फिल्म निर्माता, निर्देशक व कथाकार इम्तियाज अली अपने निर्देशक भाई साजिद अली एवं उनकी धर्मपत्‍नी के साथ गुरुवार को साकची गुरुद्वारा पहुंचे. दोनों पूरी तरह सिख स्वरूप में पहुंचे थे, जिससे वह पहचान में भी नहीं आ रहे थे. दोनों पूरी तरह से पंजाब की सांझी संस्कृति में ढले हुए नजर आए.

अरदास में शामिल हुए और हुकुमनामा भी सुना

यहां दोनों ने गुरु घर में माथा टेका और श्री गुरु गोविंद सिंह जी के पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी, मां बीबी गुजर कौर, चारों बेटे बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह, बाबा जीवन सिंह रंगरेटा और अन्य शहीदों को याद कर नमन किया. मौके पर मौजूद झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान शैलेंद्र सिंह, साकची गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान हरविंदर सिंह मंटू एवं सांझी आवाज के संयोजक सतवीर सिंह सोमू ने उन्हें शहादत पखवाड़े के बारे में जानकारी दी. वे अरदास में शामिल हुए और हुकुमनामा भी सुना.

जमशेदपुर में बिताए गए लम्हों को याद किया

झारखंड विकास मंच के अध्यक्ष गुरदीप सिंह व अन्य से बातचीत करते हुए दोनों ने जमशेदपुर में बिताए गए लम्हों को याद किया और बताया कि वे पंजाब से सीधे शहर आए हैं. उनके अनुसार पंजाब की मिट्टी एवं पानी में कुछ ऐसी शक्ति और कुदरत की देन है कि सदियों के हमलों तथा देश के बंटवारे के दर्द के बावजूद यह प्रफुल्लित एवं खुशहाल है. गुरुओं, पीरों, फकीरों और संतों की उस पवित्र धरती में ऐसी बात है कि फिल्मकारों को वहां का गीत, संगीत, परंपरा और विरासत को फिल्म का हिस्सा बनाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास करनेवाले साईं मियां मीर, पीर बुधु शाह एवं श्री गुरु गोविंद सिंह जी को उच्च का पीर बताकर उनकी रक्षा करने वाले गनी खान और नबी खान, सूफी संत बाबा फरीद सांझी संस्कृति के प्रतीक हैं. इस मौके पर मानगो गुरुद्वारा के प्रधान भगवान सिंह, रॉकी सिंह, रिख राज सिंह, बिट्टू सिंह, दमनप्रीत सिंह, चंचल भाटिया, इंदर सिंह इंदर, कुलविंदर सिंह, सिख यूथ दल के रविंद्र सिंह रिंकू एवं अन्य उपस्थित थे.

अली बंधुओं के साथ सेल्फी लेने को मची होड़

साकची गुरुद्वारा पहुंचे फिल्म निर्माता निर्देशक इम्तियाज अली एवं उनके भाई साजिद अली तथा साजिद अली की पत्‍नी को लोगों ने नहीं पहचाना क्योंकि इम्तियाज अली ने पीले रंग की पगड़ी धारण कर रखी थी. वे पूरे तौर से वे एक सिख के रूप में नजर आ रहे थे. लेकिन गुरुद्वारा पहुंचे लोगों को जब मालूम हुआ कि फिल्मकार इम्तियाज अली हैं तो उन्होंने उनके साथ अपने मोबाइल से फोटो खींची तथा सेल्फी भी ली. गुरुद्वारा के स्टाफ के साथ भी इम्तियाज अली ने फोटो खिंचवाई तथा उनका शुकराना अदा किया. [wpse_comments_template]

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