Ranchi: झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने 16वें वित्त आयोग के सदस्यों के समक्ष राज्य की चुनौतियों और आवश्यकताओं को रखा. उन्होंने कहा कि झारखंड की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और राज्य को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
झारखंड की कृषि अर्थव्यवस्था: चुनौतियों का सामना
वित्त मंत्री ने कहा कि झारखंड की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. लेकिन राज्य को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य के वित्त मंत्री ने कहा कि झारखंड की 70-80% आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, लेकिन सिंचाई क्षमता की कमी और भू-क्षरण की समस्या बनी हुई है.
सिंचाई क्षमता की कमी
राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 29.74 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. लेकिन मात्र 24.25 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई क्षमता का सृजन हो पाया है. शेष 14.19 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है.
भू-क्षरण और मृदा मरुस्थलीकरण
लगभग 69% भूभाग भू-क्षरण और मृदा मरुस्थलीकरण की चपेट में है, जिससे मृदा की नमी और जल धारण क्षमता प्रभावित होती है और कृषि उत्पादकता एवं उपज प्रभावित होती है.
जल संचयन की चुनौती
झारखंड एक "रेन शैडो" राज्य है और प्रत्येक वर्ष के बाद राज्य को सूखा का सामना करना पड़ता है. राज्य का सामान्य वर्षा 1300 मिमी है, लेकिन मात्र 20% ही वर्षा जल का संचयन हो पाता है. शेष 80% वर्षा जल बह कर चला जाता है, जिससे भूजल भंडार पर भी कुप्रभाव पड़ता है.
जल संकट
भूजल घटकर वर्तमान में 5.76 बिलियन क्यूबिक मीटर रह गया है और प्रति व्यक्ति वार्षिक जल उपलब्धता 1341 क्यूबिक मीटर है, जो जल तनाव की श्रेणी में आता है. राज्य को जल संचयन और भूजल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करने होंगे.
झारखंड में स्वास्थ्य चुनौतियां
झारखंड राज्य उग्रवाद और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है. राज्य में उग्रवाद की समस्या लंबे समय से चली आ रही है और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी चिंताजनक है.
उग्रवाद: एक बड़ी चुनौती
उग्रवाद झारखंड में एक बड़ी चुनौती है, जो सामाजिक-आर्थिक विषमता और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के कारण फलता-फूलता है. मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व और केंद्र सरकार के सहयोग से उग्रवाद पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है, लेकिन यह पूर्णतः समाप्त नहीं हुआ है. लगभग 200 पुलिस कैंप हैं जो हटाए जाने पर पुनः उग्रवाद पनप सकता है.
स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है. लगभग 40% जनसंख्या गरीबी में जीवन यापन कर रही है, और 26% आबादी आदिवासी तथा 14% अनुसूचित जाति की है. इन वर्गों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है. राज्य को स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और सभी वर्गों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे.
वित्त मंत्री ने गिनाई झारखंड की चुनौतियां और आवश्यकताएं
• कृषि आधारित अर्थव्यवस्था: 70-80% आबादी कृषि पर निर्भर, सिंचाई क्षमता और भू-क्षरण की समस्या.
• जल संकट: केवल 20% वर्षा जल का संचयन, भूजल स्तर गिरता जा रहा है.
• उग्रवाद: पूर्ण रूप से समाप्त नहीं, पुलिस बल की कमी.
• स्वास्थ्य: 65% महिलाएं एनीमिक, 40% बच्चे कुपोषित, डॉक्टर और नर्स की कमी.
• सड़क और ग्रामीण पथ: राष्ट्रीय औसत से पीछे, दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन कठिन.
• उच्च शिक्षा: केवल 38 विश्वविद्यालय, नामांकन दर राष्ट्रीय औसत से कम.
• प्रति व्यक्ति आय: 1,05,274 प्रतिवर्ष, राष्ट्रीय औसत से कम.
• कृषि सहायक क्षेत्र: राष्ट्रीय औसत से पीछे, केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता.
• बैंक सहयोग: CD रेशियो केवल 50.68%, CSR फंड में पारदर्शिता की कमी.
• केंद्र प्रायोजित योजनाएं: बकाया राशियों की मांग.
• वित्तीय प्रबंधन: बजट ₹1.28 लाख करोड़, राजकोषीय घाटा 2.27%.
• अनुदान में गिरावट: 2019-2025 के बीच ₹25,435.84 करोड़ की वित्तीय क्षति.
• जीएसटी क्षतिपूर्ति: अगले 5 वर्षों में ₹61,677 करोड़ की संभावित हानि.
• विकास सहायता: 3,03,527.44 करोड़ की मांग.