New Delhi : वित्तीय और पूंजी बाजार के विशेषज्ञों ने गुरुवार को बाजार को व्यापक बनाने के लिए आगामी 2024-25 के पूर्ण बजट में कर प्रोत्साहन देने की वकालत की. यहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने सरकार से कर कानून और दरों में विसंगतियों को दूर करने का भी आग्रह किया. वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिख कि यह बजट पेश होने से पहले दूसरी परामर्श बैठक थी. इसमें आगामी आम बजट 2024-25 के संबंध में वित्तीय और पूंजी बाजार क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया. वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट अगले महीने संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है.
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The #PreBudget">https://twitter.com/hashtag/PreBudget?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#PreBudget
chairs the second Pre-Budget Consultation with leading experts of the financial and capital markets sector in connection with the forthcoming General Budget 2024-25 in New Delhi, today.
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June">https://twitter.com/FinMinIndia/status/1803670988275454308?ref_src=twsrc%5Etfw">June
20, 2024
कर नीतियोंको स्थिर व दीर्घकालिक बनाये जाने की जरूरत
वित्त मंत्री के साथ दो घंटे की बैठक के बाद मॉर्गन स्टेनली इंडिया कंपनी के प्रबंध निदेशक और क्षेत्रीय प्रमुख (कंट्री हेड) अरुण कोहली ने कहा कि कर नीतियों को स्थिर और दीर्घकालिक बनाये जाने की जरूरत है. विशेषज्ञों ने पूंजीगत लाभ कर और प्रतिभूति लेनदेन कर पर भी अपने सुझाव दिये. मुथूट ग्रुप के प्रबंध निदेशक जॉर्ज अलेक्जेंडर मुथूट के अनुसार कुछ कंपनियों ने बाजार को व्यापक बनाने और कुछ कर प्रोत्साहन दिये जाने की वकालत की. एफआईडीसी के निदेशक रमन अग्रवाल ने कहा, हमने सुझाव दिया है कि चूंकि एनबीएफसी ऋण में वृद्धि हुई है और आरबीआई ने बैंकों पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंता जतायी है, इसलिए एनबीएफसी के पुनर्वित्त के लिए सिडबी और नाबार्ड से धन का आवंटन बढ़ सकता है.
अग्रवाल ने कहा कि एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) ने सामूहिक रूप से दिये जाने वाले कर्ज और सेवा शुल्क पर जीएसटी को लेकर स्पष्टता की मांग की. उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों ने गिफ्ट सिटी से जुड़े मुद्दों और देश के भीतर पूंजी बनाये रखने के तरीकों पर भी चर्चा की.
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