Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : झारखंड हाई कोर्ट ने वर्तमान में धनबाद में बंदोबस्त अधिकारी के रूप में कार्यरत सुनील कुमार के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज केस को खारिज कर दिया है, उनपर एक महिला को “पागल आदिवासी” कहकर अपमानित करने का आरोप था. हाईकोर्ट द्वारा FIR रद्द किये जाने से उन्हें बड़ी राहत मिली है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह पाया कि महिला ने जब एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसमें यह कहीं नहीं लिखा था कि महिला झारखंड के लिए मान्य अनुसूचित जनजातियों की सूची में आती है, इसलिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, जो जाति या जनजाति सूची में नहीं है, उसे एससी या एसटी नहीं माना जा सकता.
ज्यादा पढ़ी गई, 4 खबरें…
-
सवाल नैतिकता का – तमिलनाडू, अदालत, राज्यपाल, दो मंत्री और भाजपा
-
Students का हाल बुरा, प्रश्न पूछो तो- AI वाला मुंह AW जैसा फट के रह जा रहा!
-
-
दरअसल 19 सितंबर 2023 को दुमका जिले की एक महिला ने यह आरोप लगाया था कि जब वह सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आवेदन देने गयी, तो बंदोबस्त पदाधिकारी सुनील कुमार ने उसे गाली दी, आवेदन लेने से मना किया और उसे बाहर निकाल दिया. जिसके बाद महिला ने एससी-एसटी थाना में कांड संख्या 7/2023 दर्ज करवाई.
लेकिन अदालत ने कहा कि एफआईआर में कोई ऐसा तथ्य नहीं है जो दिखाये कि महिला एसटी समुदाय से थी. इसके अलावा, कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ IPC की धाराएं 354, 341, 506 आदि के तहत भी कोई गंभीर अपराध नहीं बनता, क्योंकि न तो महिला पर हमला हुआ, न ही उसका रास्ता रोका गया और न ही कोई ऐसा इरादा साबित हुआ, जिससे उसकी गरिमा को ठेस पहुंचे.
अंत में कोर्ट ने कहा कि सुनील कुमार एक सरकारी अफसर हैं और यह घटना उस समय की है, जब वह ड्यूटी पर थे. ऐसे में उनके खिलाफ मुकदमा चलाना कानून का दुरुपयोग होगा.