अमेरिका ने कहा ईरान से तेल लेना बंद करो. भारत की सरकारी व गैर सरकारी कंपनियों ने तेल लेना बंद कर दिया. अमेरिका ने कहा रुस से तेल लेना बंद करो. भारत की सरकारी व गैरसरकारी कंपनियों ने तेल लेना बंद कर दिया.
अमेरिका ने कहा अमेरिकी कपास खरीदो, हमारी सरकार ने कपास पर इंपोर्ट टैक्स शून्य कर दिया. हमसे तेल खरीदो, हम खरीदने लगे. और अब रक्षा सौदों को लेकर भी खबर है कि अगले दस सालों तक रक्षा उपकरण व हथियार खरीदते रहेंगे.
देखा जाये कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी हर वो बात भारत सरकार से मनवा ली, जिसे वह मनवाना चाहता था. खबरें तो यह भी है कि भारत कृषि व डेयरी उत्पादों का आयात भी अमेरिका से करने की तैयारी में हैं. जिसमें मक्का, चीज जैसे उत्पाद शामिल हैं.
आपको याद होगा 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा था? उन्होंने कहा था वह अपने किसान भाईयों और व्यापारियों के लिए दीवार बन कर खड़े हैं. झुकेंगे नहीं. यह भी याद होगा हमारे बड़बोले मंत्री पीयूष गोयल ने क्या कहा था- बंदूक की नोंक पर हम कोई समझौता नहीं करेंगे. पर हो तो वही रहा है, कर तो वही रहे हैं, जो अमेरिका चाहता था. और ऐसा लगता है आगे भी वैसा ही करेंगे, जैसा वह चाहेगा.
इन सबके बावजूद देश का एक बड़ा तबका है कि वह यही मान करके चल रहा है कि दुनिया भर में मोदी का डंका बज रहा है. दुनिया भर के देश उन्हीं के कहने पर चलता है. उन्हें यह तक नहीं दिख रहा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को सैन्य मदद दी.
कैसे अमेरिका ने एक आतंकी घटना को विद्रोह की घटना बता दिया. कैसे ट्रंप बार-बार यह कह कर हमारा मजाक उड़ा रहा है कि उसने ही धमकी देकर युद्ध को रोकवा दिया.
इस बीच चीन ने अरुणाचल प्रदेश की महिला को शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे तक रोके रखा. महिला का भारतीय पासपोर्ट उपलब्ध था. चीन का कहना था कि महिला के पास जो भारत का पासपोर्ट है, वह सही नहीं है. अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है.
भारत सरकार ने इसका कड़ा प्रतिकार किया और कहा कि अरुणालचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. यहां गौर करें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत का चीन से व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा है. साथ ही पिछले कुछ महिनों से भारत चीन के साथ मजबूत रिश्ता बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
यह सब तब हो रहा है जब कथित तौर पर देश अब तक के सबसे मजबूत स्थिति में हैं.
कथित तौर पर अब तक के सबसे मजबूत हाथों में देश है. विश्व गुरु बनने का दावा करते रहते हैं. देश में हर चुनाव भी जीत ही रहे हैं. आरोप चाहे जो लगे. इतनी मजबूत स्थिति के बाद भी देश की आर्थिक व कूटनीतिक रणनीति का इस कदर विफल हो जाना, शायद ही पहले कभी देश ने देखा होगा.
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