कैदी. झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद ने पांच सजायाफ्ता बंदियों को असमय कारा से मुक्ति पर मुहर लगा दी है. सभी 15 साल से अधिक समय से सलाखों के पीछे थे. इन सजायाफ्ता बंदियों के छूटने से पहले उनकी ट्रेनिंग और काउंसिलिंग हुई. इसे भी पढ़ें :खेल">https://lagatar.in/government-will-cooperate-to-improve-sports-talent-hemant-soren/36011/">खेल
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डालसा ने कराई ट्रेनिंग और काउंसिलिंग
ट्रेनिंग और काउंसिलिंग का आयोजन डालसा">https://lagatar.in/mla-deepika-pandey-singh-accused-the-engineers-said-investigation-is-going-on-yet-payment-is-made-to-the-contractor/36010/">डालसारांची ने किया. इनकी काउंसिलिंग के दौरान सभी आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को जेल से बाहर निकलने के बाद अपने आचरण में परिवर्तन लाने, परिवार और समाज के साथ सामंजस्य स्थापित करने और अपने जीवकोपार्जन के लिए खेतीबारी एवं अन्य प्रकार के कार्य करने की सलाह दी गयी. काउंसिलिंग के दौरान कैदियों को यह भी सलाह दी गयी कि जेल से बाहर निकलने के बाद वह एक अच्छे नागरिक के रूप में खुद को प्रस्तुत करने का प्रयास करें, ताकि समाज के लोग उन्हें सहृदय स्वीकार करें.
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छूटने वाले पांच कैदी हैं
आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों में 17 साल से जेल में बंद लोहरदगा के महाबीर भगत, 16 साल से सजा काट रहे चाईबासा के बैजो, 17 साल से जेल में बंद जुबैल सबैयां, 16 साल से सजा काट रहे महेश सिंह लोहरा और गुमला के कृष्णा उरांव शामिल हैं. समय पूर्व रिहा होने वाले सभी बंदियों ने संकल्प लिया कि जेल से बाहर निकलने के बाद एक अच्छे नागरिक की भूमिका निभायेंगे और कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे कि दोबारा जेल जाना पड़े. पूरे कार्यक्रम में डालसा के सचिव अभिषेक कुमार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही. रिहा होने वाले कैदियों ने कहा कि इस ट्रेनिंग और काउंसिलिंग का उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इससे उन्हें जीवन की मुख्य धारा में लौटने में सहायता मिलेगी. इसे भी पढ़ें :लालू">https://lagatar.in/10-soldiers-deployed-in-lalus-security-took-away-mattress-pillow-bedsheet-ssp-office-sent-mourning/36032/">लालूकी सुरक्षा में तैनात 10 जवान साथ ले गए गद्दा, तकिया, बेडशीट, एसएसपी ऑफिस ने भेजा शोकॉज

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