Saraikela/Kharsawan : खरसावां में पहली बार लेमन ग्रास (घास) व औषधीय पौधों की खेती होगी. लेमन ग्रास व औषधीय पौधों की खेती कर गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है. जेएसएलपीएस की महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत खरसावां में जल्द ही लेमन ग्रास की खेती कराई जाएगी. लेमन ग्रास की खेती कराने के साथ-साथ औषधीय पौधों की खेती करवा कर महिला किसानों को सशक्त बनाया जाएगा. खरसावां प्रखंड में 600 किसान लेमन ग्रास की खेती करेंगे. 600 लाभुक किसानों का चयन किया जाएगा. इसे लेकर खरसावां प्रखंड में आजीविका कृषक मित्र व उन्नत किसानों का चयन कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
लेमनग्रास की खेती वैसी जमीन पर भी होगी जिसमें कभी कोई फसल नहीं उपजाई जाती है
लेमनग्रास की खेती वैसी जमीन पर भी होगी जिसमें कभी कोई फसल नहीं उपजाई जाती है. जंगल-झाड़ियों के बीच खाली पड़ी बंजर जमीन पर भी इसकी खेती की जा सकती है. लेमन ग्रास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है. उच्च ताप और धूप की उपस्थिति से पौधे में तेल की मात्रा बढ़ती है. लगभग सभी प्रकार की भूमि में इसकी खेती की जा सकती है. दोमट उपजाऊ मिट्टी अधिक अच्छी होती है, पर बालू युक्त चिकनी मिट्टी, लेटेराईट और बारानी क्षेत्रों में भी उपजाई जा सकती है. किसानों को फसल लगाने से लेकर उसकी कटाई व तेल निकालने की विधि और बाजार के संबंध में जानकारी दी गई. लेमन ग्रास की मांग की तुलना में कम है उत्पादन
जेएसएलपीएस के प्रखंड समन्वयक अनिल सिंह ने कहा कि वर्तमान में लेमन ग्रास का बाजार काफी बड़ा है. इसकी मांग की तुलना में उत्पादन कम है. सरायकेला-खरसावां जिले में लेमन ग्रास की खेती की काफी संभावनाएं हैं. इसके जरिए महिलाएं अच्छा-खासा रोजगार कर सकती हैं. लेमन ग्रास का प्रोसेसिंग का तरीका भी बेहद आसान है. [wpse_comments_template]
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