New Delhi : दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस बार सामान्य समय से करीब एक सप्ताह पहले ही शनिवार को केरल में दस्तक दे दी है. मौसम विभाग की मानें तो 2009 के बाद से भारत में मानसून का सबसे जल्दी आगमन है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, केरल में मानसून के आगमन के लिए सभी अनुकूल स्थितियां बनी हुई थीं. इस वजह से बीते दो दिनों से राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश देखने को मिली. https://twitter.com/PTI_News/status/1926164323669360694
एक सप्ताह पहले ही केरल पहुंच गया मानसून गौरतलब है कि आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. आईएमडी के अनुसार, आमतौर पर मानसून 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है. लेकिन इस बार मॉनसून ने 23 मई को केरल में दस्तक दे दी है. इसे भी पढ़ें : इंग्लैंड">https://lagatar.in/team-india-announced-for-england-tour-shubman-gill-takes-command-of-test-team/">इंग्लैंड
दौरे के लिए टीम इंडिया का ऐलान, शुभमन गिल के हाथों टेस्ट टीम की कमान 1918 में सबसे जल्दी और 1972 में सबसे देर से आया था मानसून IMD के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल मानसून ने केरल में 30 मई को दस्तक दी थी. इसी तरह 2023 में 8 जून, 2022 में 29 मई, 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को मानसून ने केरल में प्रवेश किया था. वहीं, 1918 की बात करें तो इस समय मानसून ने 11 मई को ही केरल में दस्तक दी थी, जो अब तक का सबसे जल्दी आगमन माना जाता है. सबसे देर से 1972 में 18 जून को मानसून आया था. इसे भी पढ़ें : बक्सर:">https://lagatar.in/buxar-firing-in-ahiyapur-village-three-brothers-killed-two-injured/">बक्सर:
अहियापुर गांव में ताबड़तोड़ फायरिंग, तीन सगे भाइयों की हत्या, दो घायल कृषि और अर्थव्यवस्था पर असर आईएमडी ने इस वर्ष औसत से अधिक बारिश का पूर्वानुमान दिया है, जिससे खरीफ फसलों की बुवाई को बढ़ावा मिलेगा. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है. भारत में कुल वर्षा का करीब 70% हिस्सा जून से सितंबर के बीच मानसून के दौरान होता है, जो सिंचाई, भूजल स्तर और जलाशयों को भरने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. धान, मक्का, कपास, सोयाबीन और तिलहन जैसी फसलें मानसून पर निर्भर हैं, और शुरुआती बारिश से इनकी बुवाई समय पर शुरू हो सकती है. इससे खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आय दोनों में सुधार आने की संभावना है. इसे भी पढ़ें : एक्टर">https://lagatar.in/actor-mukul-dev-passed-away-many-stars-including-dara-singh-sonu-sood-expressed-grief/">एक्टर
मुकुल देव का निधन, दारा सिंह, सोनू सूद समेत कई सितारों ने जताया शोक आगे की प्रगति और अन्य क्षेत्रों में असर IMD ने अनुमान लगाया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून आने वाले दिनों में अरब सागर, लक्षद्वीप, कर्नाटक, तमिलनाडु, बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर भारत के हिस्सों में भी सक्रिय हो सकता है. इसके साथ ही पूर्वी-मध्य अरब सागर में एक लो-प्रेशर सिस्टम भी विकसित हो रहा है, जो पश्चिमी तट के मौसम को प्रभावित कर सकता है. उत्तर भारत में मानसून के 25 से 30 जून के बीच पहुंचने की संभावना है, जबकि पश्चिमी भारत में 15 से 20 जून के बीच बारिश शुरू होने की उम्मीद है. IMD का कहना है कि मानसून के आगमन की तारीख और कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता, लेकिन समय पर बारिश कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है इसे भी पढ़ें : राहुल">https://lagatar.in/chaibasa-court-issues-non-bailable-warrant-against-rahul-gandhi-orders-him-to-appear-on-june-26/">राहुल
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