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विदेश नीति फेल, मजबूत होती तो डेलिगेशन भेजने की जरुरत नहीं पड़ती- जयराम रमेश

New Delhi : कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र की मोदी सरकार की विदेश नीति को पूरी तरह फेल बताया है. उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार की विदेश नीति मजबूत होती तो आज दुनिया के दूसरे देशों में सांसदों का डेलिगेशन भेजने की जरुरत नहीं पड़ती. जयराम रमेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विदेश नीति सिर्फ विश्वगुरु होने का दावा करना नहीं होता है. पिछले 60-70 सालों में हमारी विदेश नीति में एक निरंतरता थी. मोदी सरकार ने उस निरंतरता को खत्म कर दिया है. 
जयराम रमेश ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देश की आंतरिक राजनीति को ही विदेश नीति का आधार बना दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, चीन, कतर, लंदन और अमेरिका में कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं के बारे में क्या-क्या नहीं कहा. सभी जानते हैं.
11 सालों में वे जहां भी गए, उन्होंने कांग्रेस को बदनाम किया. नतीजा विदेश नीति ही फेल हो गया. उन्होंने सवाल उठाया कि विदेश नीति कहां है? अगर मोदी सरकार की विदेश नीति इतनी मजबूत होती, तो प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने की जरूरत ही नहीं पड़ती. जयराम रमेश का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पहलगाम घटना के बाद भारत-पाक के बीच तनाव व युद्ध जैसे हालात के दौरान भारत के पक्ष में कोई भी देश खुलकर खड़ा नहीं हुआ. जबकि पाकिस्तान के पक्ष में चीन और तुर्की जैसा देश खुल कर सामने आये. दुनिया के देशों को पाकिस्तान पोषित आतंकवाद के बारे में जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार ने सांसदों का डेलिगेशन अलग-अलग देशों में भेजने का फैसला लिया है. इसके लिए सभी पार्टियों से सांसदों के नाम मांगे गये थे.  कांग्रेस ने जो चार नाम दिये थे, उसमें से सिर्फ एक सांसद को डेलिगेशन में शामिल किया गया है. कांग्रेस ने सांसद शशि थरुर का नाम नहीं दिया था, लेकिन उन्हें भी डेलिगेशन में शामिल किया गया है. इसी के बाद से कांग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर है.

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