Latehar: अपनी मांगों को ले कर वनरक्षी तीसरे दिन भी हड़ताल में डटे रहे. झारखंड अवर वन सेवा संघ, मेदिननीगर प्रमंडल के आह्वान पर वनरक्षी मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे हैं. वनरक्षी झारखंड सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संशोधनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सात अगस्त को राज्य कैबिनेट द्वारा पारित किए गए इस संशोधन के अनुसार 2014 की वनरक्षी नियुक्ति नियमावली में बदलाव करते हुए वनपाल पद पर नियुक्ति के लिए सौ प्रतिशत प्रन्नोति की व्यवस्था को बदलकर 50 प्रतिशत सीधी भर्ती का प्रावधान किया गया है. वनरक्षकों के 1315 पदों को प्रधान वनरक्षी के पद के लिए सृजित किया गया है. इस संशोधित नियमावली को झारखंड राज्य अवर वन सेवा नियमावली 2024 के नाम से जाना जाएगा. इस संशोधन के विरोध में राज्य के सभी वनरक्षी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. वनरक्षियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. दूसरी ओर हड़ताल के कारण व्याघ्र परियोजना और अन्य वन क्षेत्रों में सुरक्षा और प्रबंधन की स्थिति चिंताजनक हो गई है.
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