NewDelhi : लोकतंत्र में विपक्ष का स्पेस अलग है. कुछ लोग न्यायपालिका के कंधों पर बंदूक रखकर गोली चलाना चाहते हैं. वे कोर्ट को विपक्ष में बदलना चाहते हैं,. लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि न्यायपालिका को संसद या विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए. यह गलत धारणा है. इसे बदलना चाहिए. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने ANI को दिये इंटरव्यू में यह सब कहा. कहा कि न्यायपालिका कानूनों की जांच करने के लिए है.
Should one party decide what cases Supreme Court should hear? Former CJI Chandrachud on UBT Sena allegations
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“21 per cent posts lying vacant in district courts, Govt needs to invest much more”: Former CJI Chandrachud
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सीजेआई ने कहा, मैं राहुल गांधी के साथ बहस नहीं करना चाहता
पूर्व सीजेआई ने अपनी बात लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा कुछ दिनों पहले ज्यूडिशियरी के काम करने के तौर-तरीके पर आपत्ति जताये जाने के संदर्भ में रखी. याद करें कि राहुल गांधी ने कहा था कि ज्यूडिशियरी का काम भी विपक्ष ने ले लिया है. हम मीडिया, जांच एजेंसी और न्यायपालिका का काम कर रहे हैं. राहुल के इस बयान का जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा, मैं राहुल गांधी के साथ बहस नहीं करना चाहता, लेकिन लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि न्यायपालिका को संसद या विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए. यह गलत धारणा है. इसे बदलना चाहिए.यूबीटी सेना के आरोपों पर पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, क्या एक पक्ष को यह निर्णय लेना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय को किन मामलों की सुनवाई करनी चाहिए?
ANI को दिये इंटरव्यू में पूर्व CJI ने कई सवालों के जवाब दिये
ANI को दिये इंटरव्यू में पूर्व CJI ने कई सवालों के जवाब दिये. पीएम के उनके घर गणेश पूजन के लिए जाने पर राजनीतिक पार्टियों के विरोध पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह कोई अनोखी बात नहीं है. इससे पहले भी कोई प्रधानमंत्री सामाजिक अवसरों पर न्यायाधीशों के घर गए हैं. हमारे काम के आधार पर हमारा मूल्यांकन होना चाहिए. कहा कि पीएम का मेरे घर पर आना एक सामाजिक शिष्टाचार का मामला है. सबको इसका पालन करना चाहिए. इन मुलाकातों से हमारे काम पर फर्क नहीं पड़ता है. पेंडिंग केस के संबंध में पूर्व सीजेआई ने कहा, भारत जजों का पॉपुलेशन से रेशियो बहुत कम है. विश्व के कई देश हमसे आगे हैं. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जिस हिसाब से मामले आते हैं, उस हिसाब से कई जजों की संख्या कम है. कहा कि वर्तमान में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 21 प्रतिशत पद खाली हैं. जजों की संख्या बढ़ाने के लिए ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम होना चाहिए. हालांकि, इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा. क्योंकि जजों कि नियुक्ति गवर्नर देखते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में कई बेंच हैं जो छोटे से छोटे लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करती है
इस आरोप पर कि न्यायपालिका गरीब जनता के लिए नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, सुप्रीम कोर्ट सिर्फ अमीर लोगों के लिए नहीं है. यह गरीबों की समस्याओं का भी निपटारा करता है. सुप्रीम कोर्ट में कई बेंच हैं जो छोटे से छोटे लोगों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करती हैं. कहा कि पिछले दो सालों में जब मैं सुप्रीम कोर्ट का जज था, 21,000 जमानत याचिकाएं(आम नागरिकों) दायर की गयी. 21,358 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया गया. न्यायपालिका पर धार्मिक भेदभाव के आरोप लगने पर पूर्व सीजेआई ने कहा जमानत दिये गये लोगों का धर्म आप देख सकते हैं. कोई भेदभाव नहीं होता है. जमानत का किसी व्यक्ति विशेष के धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता है.
आजकल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जमानत आसानी से नहीं दी जा रही है.
निर्दोष लोगों को लंबे समय तक जमानत न मिलने के संदर्भ में पूछे जाने पर कहा, आजकल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जमानत आसानी से नहीं दी जा रही है. डिस्ट्रिक्ट जज को लगता है कि किसी मामले उन्होंने जमानत दे दी, तो उन पर आरोप लग जायेंगे कि उन्होंने किसी दबाव के चलते जमानत दी है. अगर जिला न्यायपालिका में कोई जज गलत तरीके से जमानत देता है, तो जाहिर है कि हाई कोर्ट उसमें सुधार कर सकता है, लेकिन फिर हम उन जजों को निशाना नहीं बनाएंगे जिन्होंने जमानत दी है.