Lagatar Desk : असम में हुए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है. इसके साथ ही असम में एनआरसी के दौरान 260 करोड़ रुपये की अनियमितता हुई है.
इसे लेकर एनआरसी (असम) के को-ऑर्डिनेटर रहे पूर्व आइएएस अधिकारी हितेश देव सरमा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. हितेश देव सरमा ने यह याचिका असम के मूल निवासियों की तरफ से और निजी रूप से दाखिल की है.
याचिका में कहा गया है कि NRC के मसौदे से बाहर किए गए लगभग 40,07,719 लोगों में से 3,93,975 लोगों ने अपना दावा प्रस्तुत नहीं किया. इन दावों की जांच में यह पाया गया कि उनमें से लगभग 50,695 ऐसे लोग थे, जिन्हें सूची में शामिल किया जाना चाहिए था. यानी प्रक्रिया में चूक के चलते हजारों लोगों को उनकी नागरिकता से वंचित कर दिया गया
असम में हुए एनआरसी को लेकर यह याचिका ऐसे वक्त में दायर की गयी है, जब बिहार में एसआइआर चल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग के एसआइआर के बहाने केंद्र सरकार बिहार में एनआरसी कर रही है. एनआरसी में तो लंबा वक्त लगा था, जबकि बिहार में तो मात्र 30 दिनों में मसौदा तैयार किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में NRC की मसौदा सूची और पूरक सूची के पूर्ण, व्यापक और समयबद्ध पुनर्सत्यापन की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि NRC ड्राफ्ट तैयार करने में कई गंभीर चूकें और कमियां रह गई हैं, जिन्हें सुधारना आवश्यक है.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि NRC की मसौदा सूची, जो 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुई और पूरक सूची, जो 31 अगस्त, 2019 को जारी हुई के हर दावे, आपत्ति और सत्यापन के मामले का पुनः परीक्षण कराया जाए.
फाइनल NRC अब तक भारत के महापंजीयक द्वारा प्रकाशित नहीं की गई है और जब तक अंतिम रूप से सत्यापन और सुधार नहीं हो जाते, तब तक इसे मान्य करना उचित नहीं होगा.
याचिका में यह भी बताया गया है कि NRC की प्रक्रिया के दौरान कई बार बिना उचित जांच-पड़ताल के नाम जांच और बदलाव किए गए. इससे बहुत से पात्र लोग बाहर कर दिए गए और कई अपात्र लोगों को शामिल कर लिया गया.
याचिका के तथ्य
मूल निवासियों की पहचान- कामरूप जिले के उपायुक्त ने 28 जून, 2019 को रिपोर्ट दी कि चमारिया सर्कल के 64,247 आवेदकों को मूल निवासी माना गया, लेकिन उनमें से लगभग 14,183 पात्र नहीं थे. विशेष सत्यापन के दौरान भी 7,446 लोग अपात्र पाए गए, जिनमें घोषित विदेशी, विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित मामलों वाले व्यक्ति आदि शामिल थे.
स्पष्ट आदेशों का अभाव - याचिका के मुताबिक दावों और आपत्तियों के निपटान अधिकारियों (DO) द्वारा दिए गए 5,06,140 निर्णयों में से केवल 4,148 की ही स्पष्ट आदेशों द्वारा समीक्षा की गई. जबकि हजारों लोगों के नाम बिना खुली सुनवाई के स्वीकार या अस्वीकार कर दिए गए थे. उदाहरण के लिए, 43,642 लोगों के नाम अस्वीकार से स्वीकार और 4,62,498 नाम स्वीकार से अस्वीकार कर दिए गए थे.
वंशावली मिलान में खामियां - नमूना जांच से पता चला कि मात्र 943 नाम वंशावली जांच में गलती के कारण NRC ड्राफ्ट में गलत दर्ज हुए. यह दर्शाता है कि गुणवत्ता नियंत्रण की कमी रही और सत्यापन प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है.
वित्तीय अनियमितताएं - याचिका में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट का उल्लेख है, जिसमें 260 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितता की तरफ इशारा किया गया. रिपोर्ट ने तत्कालीन राज्य समन्वयक पर जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की थी.
आईटी एवं डेटा सुरक्षा - याचिका में NRC असम द्वारा आईटी विक्रेता बोहनिमन सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग में हुई संचार संबंधी कमियों, NRC डेटा की साइबर सुरक्षा में पाई गई समस्याओं एवं सत्यापन टीमों की रिपोर्टों का भी हवाला दिया गया है.
डिस्क्लेमरः इस रिपोर्ट के तैयार करने में लाईव लॉ से भी तथ्य लिए गए हैं.
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