NewDelhi : कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है. मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और यह वित्तीय दिवालियापन के लिए एक रेसिपी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण की मौजूदगी में योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने एक कार्यक्रम में यह कहते हुए अपने विचार रखे. कहा कि इस कदम को आगे बढ़ाने वाले राजनीतिक दलों के लिए बड़ा फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आयेगा. निर्मला सीतरमण ने यहां रिफॉर्म नेशन नामक पुस्तक का विमोचन किया.
Smt @nsitharaman launches the book titled ‘Reform Nation’ authored by Shri @gchikermane in New Delhi. Also present on the occasion are Shri @bibekdebroy, Chairman of the Economic Advisory Council to the Hon’ble Prime Minister, Shri Montek Singh Ahluwalia and Smt @ShamikaRavi. pic.twitter.com/iSQYSQxztm
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) January 6, 2023
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गैर भाजपा शासित राज्य पुरानी पेंशन योजना को हवा दे रहे हैं
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि सिस्टम द्वारा राजनीतिक दलों या सत्ता में बैठे दलों को उन नीतियों को अपनाने से रोका जाना चाहिए जो वित्तीय आपदा के सबब बन सकते हैं. जान लें कि गैर-भाजपा शासित राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को खूब हवा दी है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया था. लेकिन यह कैसे होगा? क्योंकि राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती फंड की है, क्योंकि इसे लागू करने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा.
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नयी और पुरानी पेंशन योजना में अंतर जानें
देश में एक जनवरी 2004 से NPS (नयी पेंशन स्कीम) लागू है. जानकारों के अनुसार दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. पुरानी स्कीम के तहत रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है. पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है. साथ ही. पुरानी पेंशन योजना में सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से भुगतान किया जाता है.
पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की राशि मिलती है
पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की राशि मिलती है. रिटायर कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है. पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 माह बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है, तो इससे पेंशन (Pension) में बढ़ोतरी होती है. केंद्र सरकार के साथ-साथ विशेषज्ञों का मानना है कि पेंशन सिस्टम सरकार पर भारी भरकम बोझ डालता है. पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है. मोंटेक सिंह अहलूवालिया यही इशारा कर रहे हैं.
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कटौती नहीं होती थी
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नयी स्कीम में यह सुविधा नहीं दी गयी है. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की लगभग आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी. नयी पेंशन की योजना की बात करें, तो इसमें निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है. पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है.
नयी पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है
नयी पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है. NPS पर रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी राशि भी मिल सकती है. ऐसा इसलिए कि यह शेयर बाजार पर निर्भर रहता है. हालांकि कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम होने की भी संभावना है.