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गुजरात के चार बार सीएम रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी का निधन, मोदी ने शोक जताया

Ahmedabad : गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी  का शनिवार, 9 जनवरी को निधन हो गया.  वह 93 वर्ष के  थे. केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार में सोलंकी विदेश मंत्री और योजना मंत्री भी रह चुके थे. वह तीन बार गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे.  वह आणंद जिले के बोरसाद के रहनेवाले थे. प्रधानमंत्री मोदी ने  माधव सिंह सोलंकी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने दशकों तक गुजरात की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है. मोदी ने ट्वीट कर कहा, माधव सिंह सोलंकी दशकों तक गुजरात की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले एक प्रभावशाली नेता थे. उत्कृष्ट समाज सेवा के लिए उन्हें याद किया जायेगा. उनके निधन से दुखी हूं. इसे भी पढ़ें : प्रवासी">https://lagatar.in/pm-modi-said-at-pravasi-bharatiya-sammelan-everyone-is-waiting-for-indias-vaccine-today/16559/">प्रवासी

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अंतिम संस्कार  बेटे भरत सिंह सोलंकी के अमेरिका से लौटने के बाद  किया जायेगा 

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार सोलंकी का अंतिम संस्कार उनके बेटे भरत सिंह सोलंकी के अमेरिका से लौटने के बाद  किया जाएगा. उनके बेटे भरत सिंह सोलंकी भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. जान लें कि माधव सिंह सोलंकी  राज्य में KHAM सिद्धांत के जनक माने जाते थे. 1980 के दशक में गुजरात में उन्होंने इसी फार्मूले के बल पर कांग्रेस के लिए एक नया वोट बैंक तैयार किया था. KHAM का मतलब Kshatriya, Harijan, Adivasi and Muslim (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) समाज से था, जो उस समय तक कांग्रेस के परंपरागत वोटर नहीं  माने जाते थे.    माधव सिंह सोलंकी राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार थे. इसे भी पढ़ें : महाराष्ट्र">https://lagatar.in/maharashtra-10-newborn-deaths-due-to-fire-in-district-hospital-in-bhandara-amit-shah-mourns/16515/">महाराष्ट्र

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कांग्रेस को अकेले 149 सीटों पर जीत मिली थी जो एक रिकॉर्ड है

सोलंकी ने अपनी राजनीतिक कुशलता के साथ 1980 के दशक में राज्य के इन चार वर्गों को जोड़ा और 1985 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. 182 सदस्यों वाली गुजरात विधान सभा में तब कांग्रेस को अकेले 149 सीटों पर जीत मिली थी जो एक रिकॉर्ड है. पेशे से पत्रकार और वकील रह चुके माधव सिंह सोलंकी ने राज्य में पटेलों का सियासी वर्चस्व खत्म कर दिया था. वह पहली बार 1977 में कम समय के लिए राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. 1980 के चुनाव में जब कांग्रेस बहुमत से जीती तो उन्होंने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों के लिए आरक्षण लागू कर दिया. इसका राज्य में जबर्दस्त विरोध हुआ. वहां कई मौतें भी हुई थीं. सोलंकी को पटेल, बनिया, ब्राह्मण जातियों का विरोध झेलना पड़ा था.

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