रैंक- स्टूडेंट, डोमिसाइल गोलमाल: कोचिंग संस्थानों संचालकों ने कहा- गलत काम न हो
Ranchi : बायोम मेडिकल कोचिंग संस्थान के फर्जीवाड़े पर अन्य कोचिंग संस्थानों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि ऐसा करना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है. इसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है. मालूम हो कि बायोम कोचिंग संस्थान ने जोधपुर के एक छात्र की नीट रैंकिंग का उपयोग कर उसकी तस्वीर की जगह अन्य छात्र की तस्वीर लगाकर प्रचार प्रसार किया है.जिसकी तीखी आलोचना हो रही है. कारण शिक्षण संस्थानों की जिम्मेवारी बच्चों में संस्कार और गुणवतापूर्व शिक्षा देकर उनका भविष्य गढ़ने की है. इस मापदंड पर बहुत से संस्थान खरे नहीं उतरते हैं. तजा उदाहरण बायोम है. इसमें संदेह नहीं की मौजूदा समय में बहुत से शिक्षण संस्थान पैसा कमाने की लालच से चीजों को गलत तरीके से परोस रहे हैं. इससे छात्रों पर बुरा असर पड़ता है.कह सकते हैं कि हमारे सभ्य समाज में ऐसी चीजों के लिए जगह नहीं है. सोचने वाली बात है कि जो संस्थान खुद गलत राह पर है वह बच्चों को किस राह पर ले जाएगा. सरकार को चाहिए कि ऐसे संस्थानों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही ऐसे मामलों के लिए एक गाइडलाइन भी बननी चाहिए. जिसका कोचिंग संस्थान पालन करे. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.
दूसरे का नाम और रैंक का इस्तेमाल करना सही नहीं है : हरमीत कौर
नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रेंक का उपयोग करने के मामले पर रामगढ़ इनलाइटमेन्ट फॉउंडेशन कोचिंग सेंटर की संचालिका हरमीत कौर ने कहा है कि अगर वह बच्चा उस कोचिंग सेंटर में नहीं पढ़ा हो और अगर कोचिंग सेंटर के द्वारा उस बच्चे का नाम और रेंक का इस्तेमाल किया जा रहा है तो यह बहुत ही खराब स्ट्रेटजी है. मेहनत करने की जगह उस कोचिंग सेंटर द्वारा अच्छे बच्चों का रेंक और नाम का इस्तेमाल कर दूसरे बच्चे को सेंटर के प्रति आकर्षित कर कोचिंग सेंटर का कमाने का एक जरिया सरासर गलत है, इसकी निंदा की जानी चाहिए. दूसरी ओर अगर बच्चा उसी कोचिंग सेंटर में पढ़ रहा है और उसी कोचिंग सेंटर के टीचर या फैकल्टी से रिजल्ट अच्छा मिले हो तो कोई भी कोचिंग सेंटर जो बहुत मेहनत कर उस बच्चे को पढ़ाया, उसे टॉपर बनने में मदद की, सारे संसाधन दिये हो, तो इस तरह किया गया कार्य कोई गलत नहीं है . किसी भी कोचिंग सेंटर के संचालक का यह सपना होना चाहिए कि उसके यहां पढ़ रहे बच्चे अपने जीवन में कुछ अच्छा करें और जब छात्र कुछ अच्छा करते हैं तो कोचिंग सेंटर यह महसूस करता है कि हमारे यहां अच्छी शिक्षा दी जा रही है. उसी कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले अन्य ऐसे कई बच्चे हैं जिनकी आशाएं हैं कि वे भी आगे जाकर कुछ अच्छा करें तो उनको मोटिवेट करने के इरादे से इस तरह का किये गये कार्य सराहनीय है.
बच्चे और अभिभावक की सहमति से ही नाम रैंक का इस्तेमाल हो : अनिल शर्मा
इस मामले में एडवांस स्टडी केयर के संचालक अनिल शर्मा कहते हैं कि किसी भी टॉपर बच्चे का नाम या रेंक का इस्तेमाल कोचिंग सेंटर तभी कर सकता है जब उस बच्चे या उसके अभिभावक की सहमति मिले .बिना सहमति के उस बच्चे का नाम और रेंक का इस्तेमाल अगर कोचिंग सेंटर करता है तो वह सरासर गलत है .कोचिंग सेंटर की स्ट्रेटजी अगर पैसा कमाना एकमात्र उद्देश्य है, तो वह बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं . छात्र अपने प्रेरणास्रोत मानकर कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाते हैं और उनके साथ जब धोखा घड़ी की जाती है तो बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं . अगर कोई कोचिंग सेंटर बिना अनुमति के किसी टॉपर छात्र के नाम और रेंक का इस्तेमाल कर रहा है तो यह धोखाधड़ी है .ऐसा अगर कोई कर रहा है तो वह अपराध है और उस पर कानून सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए.
फर्जीवाड़े को हल्के में नहीं लिया जा सकता : नागेंद्र कुमार
कोचिंग संचालक नागेंद्र कुमार ने कहा कि ऐसे फर्जीवाड़े से सभी कोचिंग संस्थानों की बदनामी हो रही है.इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. सरकार और प्रशासन को बायोम जैसे संस्थानों के संचालकों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. दूसरे बच्चे का रिजल्ट और फोटोग्राफ्स लगाकर झूठी वाहवाही और पब्लिसिटी लेना बिल्कुल कानूनन भी अपराध है.
बच्चों के भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है : प्रदीप कुमार
स्पेक्ट्रम करियर इंस्टीट्यूट के संचालक प्रदीप कुमार ने कहा कि किसी दूसरे कोचिंग संस्थान के टॉपर स्टूडेंट का नाम और उसके रैंक का इस्तेमाल करना अनुचित ही नहीं गैरकानूनी भी है. इस प्रकार के कृत्य से बच्चों के भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है. शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी बच्चों के भविष्य को बनाना है.
फर्जीवाड़ा करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए: दीपक
चाणक्य कोचिंग क्लासेज के संचालक दीपक सिन्हा ने कहा कि शिक्षा के नाम पर फर्जीवाड़ा करना बेहद शर्मनाक करतूत है. किसी दूसरे स्टूडेंट की तस्वीर लगाकर अपने संस्थान का प्रचार प्रसार नही करना चाहिए. इससे कोचिंग संस्थानों के प्रति बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी विश्वास कम हो जायेगा. शिक्षा के विकास में कोचिंग संस्थानों का योगदान अहम है, लेकिन इस प्रकार की घटना से लोगों का भरोसा डिगेगा. बेहतर और ईमानदार संस्थान भी प्रभावित होंगे.
कोचिंग संस्थान का फर्जीवाड़ा करना शर्मनाक : मनोज
हाई स्कूल के शिक्षक मनोज कुमार ने कहा कि बायोम का फर्जीवाड़ा बहुत ही संवेदनशील मामला है. कोचिंग संस्थानों को शिक्षा का मंदिर माना जाता है. इसके बाद भी उस स्थान पर फर्जीवाड़ा होना काफी निंदनीय और शर्मनाक है. प्रशासन को ऐसे मामलों में सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर उदाहरण स्थापित करना चाहिए. इससे कोचिंग संस्थान गलत या फर्जीबाड़ा करने से बचेंगे.
किसी के नाम और रैंकिग का इस्तेमाल करना गलत : आशीष
लक्ष्य एकेडमी आशीष कुमार ने कहा कि किसी भी सफल छात्र का नाम और रैंकिग का इस्तेमाल कर विज्ञापन निकालना पूरी तरह से गलत है. यह एक तरह से उस छात्र के साथ धोखा है, जिसके नाम और रैंकिंग इस्तेमाल किया जा रहा है. अपने ही संस्थान के छात्र को खुद ही नीट की रैंकिग दे देना कहां तक सही है. मामले की जांच करा कर ऐसे कोचिंग संस्थान संचालक पर कार्रवाई की जानी चाहिए.
भ्रम फैलानेवाले संस्थान के खिलाफ कार्रवाई हो: अमित
ऑल एबाउट कैरियर के संचालक अमित कुमार अग्रवाल ने कहा कि जिस छात्र की तस्वीर और रैंकिग प्रकाशित की गयी है, उसका झारखंड से कोई संबंध नहीं है.बावजूद इसके उसके नाम पर रैंकिग का न सिर्फ इस्तेमाल किया गया, बल्कि मंत्री और सांसद से पुरस्कार भी दिलवाया गया. यह पूरी तरह भ्रमित करने वाला कार्य है. सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. मामले की जांच करा कर ऐसे कोचिंग संस्थान पर हर हाल में कार्रवाई करनी चाहिए.
झूठ का सहारा लेनेवाले संस्थानों पर कार्रवाई हो: अक्षयवट शर्मा
रेलवे स्टेशन रोड में कोचिंग चलाने वाले अक्षयवट सिंह ने कहा कि यह सरासर गलत है और धोखा है. ऐसा करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई होनी चाहिए. संस्थान ने न सिर्फ गलत विज्ञापन प्रकाशित कराया बल्कि जिस छात्र की तसवीर छापी उसे भी धोखा दिया. इसकी पोल खुलने के बाद उस छात्र पर क्या बीती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. मां-बाप बच्चों को मोटी फीस दे कर संस्थानों में दाखिला कराते हैं और अगर संस्थान उनके बच्चों के साथ धोखाधड़ी करने लगे तो क्या होगा.
झूठ की बुनियाद पर खड़े महलों का धराशायी होना स्वाभाविक
नीट-2022 की परीक्षा में राजस्थान के जोधपुर निवासी आशीष गहलौत 165 वीं रैंक लाकर सफल हुए. उनके नाम और रैंक का रांची स्थित बायोम नामक मेडिकल कोचिंग संस्थान ने उपयोग कर उनकी तस्वीर की जगह किसी अन्य छात्र की लगाकर अपने संस्थान का प्रचार प्रसार किया. बायोम की इस करतूत की सर्वत्र निंदा हो रही है. छात्रों समेत कोचिंग संस्थान संचालकों का कहना है कि बायोम की हरकत से शिक्षा का मंदिर कलंकित हुआ है.
बायोम ने वाकई ऐसा किया है तो यह गलत है : प्रणय नारायण
देवघर स्थित द डेस्टिनेशन कोचिंग संस्थान के निदेशक प्रणय नारायण ने बताया कि झूठ की बुनियाद पर खड़े महलों का धराशायी होना स्वाभाविक है. बायोम ने वाकई ऐसा किया है तो यह गलत है. वैसे आजकल सफल विद्यार्थी चंद रुपयों के लालच में अपनी सफलता का श्रेय बहुत सारे संस्थानों को देने लगे हैं. जोधपुर के छात्र आशीष गहलोत की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने झूठी परंपरा का विरोध किया.
कोचिंग संस्थान की इस तरह की हरकत निंदनीय : नंदलाल
कोचिंग संस्थान साइंस हब के संचालक नंदलाल झा ने बताया कि किसी भी कोचिंग संस्थान की ऐसी हरकत निंदनीय है. कोचिंग संस्थानों को खुद के बल पर आगे बढ़ना चाहिए. किसी दूसरे के मिहनत का फल अपने नाम लेना शैक्षणिक नैतिकता की धज्जियां उड़ाना है. आईआईटी या नीट के विद्यार्थी इतने बेवकूफ नहीं होते कि किसी के बहकावे में आकर किसी भी कोचिंग संस्थान में एडमिशन करा लें. होनहार विद्यार्थी हमेशा बेहतर शिक्षा चाहते हैं.
जालसजी करना ठीक नहीं, यह तो निंदनीय काम है: काली प्रसाद सिंह
गोल के रांची ब्रांच हेड काली प्रसाद सिंह ने कहा कि जालसाजी करना बहुत ही निंदनीय है. इस बात का खेद है कि कुछ कोचिंग संस्थान अपनी पब्लिसिटी के लिए गलत तरीके से रिजल्ट पब्लिश कर झारखंड के सीधे-सादे लोगों को गुमराह कर रहे हैं. इसका खामियाजा अच्छे शिक्षण संस्थानों पर भुगतना पड़ेगा, क्योंकि जो संस्थान अच्छा कार्य कर रहे हैं, उनके मनोबल पर इसका असर पड़ेगा, जो कतई सही नहीं है. देखिए, इस बात को समझिए कि आज का युग सोशल मीडिया का युग है और सोशल मीडिया के जमाने में अब आप किसी भी तरह के झूठ को सच साबित नहीं कर सकते हैं, क्योंकि जब आप सही होते हैं, तब इस बात की सकारत्मकता समाज में दिखती है. इसलिए झारखंड में वैसे शिक्षण संस्थान, जो ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहे है,उनपर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा. पर इतना तय है कि जो गलत कर रहे हैं, उन्हें इसका खामियाजा तो भुगतना पड़ेगा. जोधपुर के टॉपर का नाम और उसकी रैंक का गलत इस्तेमाल कर फर्जी छात्र खड़ा करने का प्रभाव छात्रों और अभिभावकों पर पड़ेगा. इस तरह के फर्जी खेल को देख झारखंड के प्रतिभावान छात्र और भी ज्यादा जागरूक हो जाएंगे, साथ ही उनके अभिभावक भी संस्थान के कमिटमेंट एवं उनके ही संस्थान के सफल छात्रों की सच्चाई को जानने के बाद ही किसी भी संस्थान का चयन कर पाएंगे. रही बात कानूनी कार्रवाई की, तो यह यह उस छात्र पर निर्भर करता है कि आगे करना क्या है. हालांकि वायरल वीडियो में छात्र खुद कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहा है.
पैसे के दम पर ऐसा काम किया जाता रहा है : संजय कुमार सिंह
न्यूटन क्लासेस के डायरेक्टर संजय कुमार सिंह ने कहा कि अगर राजस्थान के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग किसी भी इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया है, तो वह गलत है. किसी छात्र की तस्वीर लगाकर उसे अपना बताकर प्रचारित करना कही से सही नहीं है. आजकल कई इंस्टीट्यूट के लोग सेटिंग से ही बच्चों का रैंक खरीदते हैं. सब जगह पैसे का बोलबाला हो गया है. संस्थान पढ़ाई पर फोकस करने की जगह विज्ञापन पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं. पैसे के दम पर यह काम किया जाता रहा है.सारे कोचिंग संस्था आजकल इसी तरह का काम कर अपना नाम बना रहे हैं. टॉप करने के लिए बच्चे की प्रतिभा सबसे ज्यादा जरूरी होती है. कोई भी संस्था सिर्फ गाइड करने का काम करती है. एग्जाम पास होना या न होना पूरी तरह से बच्चे की महेनत और उसके लगन पर निर्भर करता है. रिजल्ट के बाद कोचिंग संस्थानों में होड़ लग जाती है. किस तरह से वह अपने संस्थान के होर्डिंग्स में ज्यादा बच्चों की तस्वीर लगा सकें और पैरेंटस को लुभा सकें. रांची में इस तरह का खेल बहुत से संस्थान कर रहे हैं. रिजल्ट के वक्त पैसे का लालच देकर बच्चों की रैंक खरीदने का धंधा चल पड़ा है, ताकि संस्थान का नाम चमकाया जा सके. इस तरह के कोचिंग में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड हो रहा है. मां-बाप लाखों की फीस कोचिंग संस्थान को देते हैं.अधिक टॉपर दिखाने के चक्कर में संस्थान अक्सर गड़बड़ी करते रहते हैं.
शिक्षा के मंदिर में फर्जीवाड़ा करना बेहद गलत है : रवि शंकर सिन्हा
एम कोचिंग के डायरेक्टर रवि शंकर सिन्हा ने कहा कि टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग करना कहीं से सही नहीं है. मुझे नहीं पता कि इस बात में कितनी सच्चाई है कि इस तरह दूसरे छात्र का नाम इस्तेमाल किया गया है. अगर ऐसा किया गया है, तो यह गलत बात है. छात्र की तस्वीर लगाकर उसे अपना बताकर प्रचारित करना कहीं से सही नहीं है. इंस्टीट्यूट शिक्षा का मंदिर होता है, जहां बच्चों में संस्कार और गुणवतापूर्व शिक्षा देकर उनका भविष्य गढ़ा जाता है. शिक्षा के मंदिर में फर्जीवाड़ा करना बेहद गलत है. इस तरह की खबर सुनकर पैरेंटस का भरोसा कोचिंग संस्थानों पर से उठ जाता है. शौक्षणिक संस्थान नैतिकता को ताक पर रख कर पैसे कमाने की होड़ में लग गए हैं. इससे सिर्फ बच्चों का भविष्य खराब होगा. मुझे लगता है कि यह एक मार्केटिंग प्लानिंग है. बड़े संस्थान रांची के लोगों को गुमराह कर रहे थे,उसमें अब लोकल संस्थान भी जुट गए हैं. पैरेंटस को मार्केटिंग और वास्तविकता के बीच का दायरा समझना होगा, नहीं तो वह हर बार ठगे जाएंगे. संस्थान अगर पैसे लेकर सही में छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन दे रही है तो ठीक है, लेकिन बच्चों को पढ़ाने की जगह मार्केटिंग पर पैसे खर्च करना गलत है. कोचिंग का पहला मकसद छात्रों का भविष्य बनाना होना चाहिए, न कि अपने भविष्य और पैसों की लालच में बच्चों के साथ फर्जीवाड़ा करना है.
बायोम जवाब दे, आखिर झारखंड में जोधपुर टॉपर की इंट्री कैसे हुई: विकास कुमार
करियर काउंसिलर साइकोग्राफी सोसाइटी के विकास कुमार ने कहा कि बायोम संस्थान को बहुत लंबे समय से जानता हूं. दूसरे शहर के बच्चों का टॉपर होना, बहुत चिंताजनक है. राजस्थान का कोई बच्चा अगर झारखंड की काउंसलिंग में एंट्री करता है और उस बच्चे को रैंक मिलती है, तो ये झारखंड के बच्चों के साथ न्याय नहीं होगा. साथ ही इसका क्या परिणाम निकलेगा, वह तो समय बताएगा. लेकिन यह भी जांच का विषय है कि यदि राजस्थान के बच्चे की यहां की काउंसलिंग में एंट्री हुई, तो आखिर कैसे हुई. इसका जवाब बायोम को तो देना ही चाहिए. कारण जिस तरह का काम बायोम इंस्टीट्यूट ने किया है, उससे बच्चों के बीच गलत संदेश जाता है. इसलिए इसे किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं कहा जा सकता है. ऐस में तो बच्चे दिग्भ्रमित होते ही हैं और सही-गलत का आकलन नहीं कर पाते और कोचिंग द्वारा ठगे जाते हैं. अभिभावकों को भी परेशानी होती है.
किसी और की रैंक का इस्तेमाल करना गलत है : पारस अग्रवाल
ब्रदर्स एकेडमी के डायरेक्टर पारस अग्रवाल ने कहा कि किसी ऐर की रैंक का इस्तेमाल किया गया है, तो वह गलत बात है. मुझे पूरी सच्चाई नहीं पता है. इसलिए मैं यह नहीं कह सकता कि बायोम ने गड़बड़ी की है या नहीं. अगर इस तरह के काम किया गया है, तो यह बेहद गलत बात है. कोई भी संस्थान इस तरह की गलती अनजाने में करता है तो समझ आता है. लेकिन इस तरह का काम जानबूझ कर किया गया, तो यह छात्रों के साथ गलत किया जा रहा है. पैरेंटस लाखों रुपये खर्च करते हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके. इस तरह के मामलों की एक बार जांच जरूर होनी चाहिए, ताकि लोगों को इसकी सच्चाई पता चल सके. दोनों पक्षों से सवाल पूछे जाने चाहिए, ताकि सच्चाई बाहर आ सके. इस तरह की खबर से शौक्षणिक संस्थानों की साख खराब होती है. जांच के बाद अगर संस्थान गलत पाया जाता है, तो उसपर कार्रवाई होनी ही चाहिए. ऐसी गलती करनेवाले संस्थान को उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. फर्जीवाड़ा की बात सुनकर पूरे रांची के कोंचिग इंडस्ट्री सदमे में है. किसी एक के काम की वजह से सारे संस्थानों की छवि खराब हो रही है. टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर अपने इंस्टीट्यूट के किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना सही नहीं है. ऐसे संस्थान चलानेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि दुबारा कोई संस्थान ऐसा फर्जीवाड़ा करने की हिम्मत न करे.
बिना रजामंदी के किसी के नाम का प्रयोग गैरकानूनी : सुजीत आचार्य
आचार्य एकेडमी के डायरेक्टर सुजीत आचार्य ने कहा कि किसी भी संस्थान का यह नैतिक दायित्व है कि वह उन्हीं विद्यार्थियों को अपने प्रचार का हिस्सा बनाएं, जिन्होंने उनके यहां अध्ययन किया है और साथ ही प्रचार का हिस्सा बनने के लिए सहमति दी है. किसी अन्य के परिश्रम और विद्यार्थी की रजामंदी के बिना अपने प्रचार में किसी के नाम का प्रयोग अनैतिक और गैरकानूनी कार्य है.कोचिंग संस्थानों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ मची है कि उनके विद्यार्थी अधिक से अधिक चयनित हुए हैं. चूंकि अधिक चयन, नए विद्यार्थियों के एडमिशन का आधार होते हैं. अतः अपने कारोबार में वृद्धि के लिए कई बार कोचिंग संस्थान अनुचित साधनों का सहारा लेते हैं. वैसे भी, शिक्षा आज के समय एक शुद्ध व्यवसाय है. कोचिंग के लिए तो खास तौर पर. आज कोचिंग भी संस्तान भी पढ़ाई से अधिक अपने टर्नओवर पर ध्यान रखते हैं. कुछ संस्थान इसलिए भी प्रसिद्ध होते हैं कि अनैतिक साधनों का प्रयोग कर परीक्षा में विद्यार्थी को अनुचित लाभ दिलवा देंगे या फिर नीट जैसी परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को प्लस टू में विद्यालय न जाना पड़े, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे. विद्यार्थी और अभिभावकों में भी आज यही रुझान होता है कि जिस संस्थान से अधिक संख्या में छात्र चयनित होते हैं, वहीं नामांकन कराएं. बच्चों और अभिभावकों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि किस संस्थान में अच्छे शिक्षक हैं और अच्छी पढ़ाई होती है.
क्वालिटी एजुकेशन दे रहे हैं तो बच्चे खुद आएंगे : मनोज गुप्ता
एनआईबीएम के निदेशक मनोज गुप्ता का कहना है कि कोई भी स्टूडेंट अगर किसी भी तरह से कोचिंग से जुड़ा है, चाहे वह 2 दिन के लिए भी आया हो, या काउंसलिंग में भी आया हो, तब उसका नाम देना सही है. नहीं तो गैर कानूनी है. अगर कोई भी संस्थान स्टूडेंट को बधाई देना चाहे, तो वह उसे सम्मानित कर सकता है. उसका फोटो बैनर पर लगा सकता है, लेकिन उसे अपने संस्थान का नहीं बता सकता. अगर आप क्वालिटी एजुकेशन दे रहे हैं तो बच्चे अपने आप आएंगे, लेकिन इस तरह से अपना विज्ञापन करने से संस्थानों पर से विश्वास उठता जाता है. अगर आपके संस्थान से एक ही बच्चे ने बेहतर प्रदर्शन किया है, तो उसे प्रचारित करें और अपनी शिक्षा की क्वालिटी को मेंटेन करें. मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग में अत्यधिक फीस के साथ लाखों की कमाई की जा रही है. लाखों की फीस बच्चों से वसूली जा रही है. आज कोचिंग संस्थानों में बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बजाए ज्यादा से ज्यादा कमाई करने की होड़ मची हुई है. ऐसे में संस्थान गलत कदम उठाते हैं. यदि आपके संस्थान में पढ़ाई अच्छी हो रही है, शिक्षक अच्छे हैं, तो बच्चे खुद पढ़ने आएंगे. इसके लिए प्रचार-प्रसार करने की जरूरत नहीं है. लेकिन हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि कोचिंग संस्थानों में प्रसार-प्रसार पर ही ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. गुणवत्तापूणर्ण शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.
आकाश इंस्टीट्यूट के संचालक ने भी चुप्पी साधी,कहा- कुछ नहीं कह सकते
जमशेदपुर के साकची में संचालित आकाश इंस्टीट्यूट के संचालक ने बायोम इंस्टीट्यूट द्वारा गोलमाल करने के मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. उनसे पूछा गया था कि नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर बायोम द्वारा अपने इंस्टीट्यूट के किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना क्या सही है? इस पर आकाश के संचालक ने कहा कि वे लोग इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं.
बायोम का गोलमाल पर कुछ भी नहीं कह सकते : नारायणा इंस्टीट्यूट
बायोम के गोलमाल के मामले में जमशेदपुर के नारायणा इंस्टीट्यूट के संचालक ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. उनसे पूछा गया था कि नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर बायोम द्वारा अपने इंस्टीट्यूट के किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना क्या सही है? इस पर नारायणा के संचालक ने कहा कि वे लोग इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं.
कोई भी संस्था ऐसा करती है तो बच्चों पर बुरा असर पड़ता है : विनय सिंह
शहर की प्रमुख संस्था विनय आईएएस के संचालक विनय सिंह ने कहा कि किसी भी संस्था द्वारा इस तरह का कार्य करना काफी शर्मनाक है. ऐसा करने से बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसे प्रचारों को देखकर नए बच्चे उस संस्थान की ओर रुख करेंगे और उसे बेस्ट संस्थान मानेंगे. इससे बच्चों का भविष्य भी अंधकार में चला जाता है. बच्चे यह देखकर उस संस्थान में पढ़ने जाते हैं कि वहां पढ़ाई अच्छी होती है. हाल ही में दिल्ली में कई संस्थानों ने टॉपर छात्रों को पैसे देकर अपने संस्थान में जुड़ने को कहा था. टॉपर छात्र की तस्वीर का इस्तेमाल कर कई संस्थान अपना प्रचार करते हैं. इससे संस्थान की रैंकिंग बढ़ती है. गुगल में सर्च करने पर टॉप संस्थानों की लिस्ट दिखाई जाती है. रैंकिंग को पैसों से खरीदा जाता है. सरकार को ऐसे संस्थानों पर नकेल कसनी चाहिए और इसके लिए एक गाइडलाइन बनानी चाहिए. कोचिंग संस्थानों को हर हाल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए.
फर्जीवाड़ा से बच्चों के बीच जाएगा गलत संदेश
अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं कोचिंग संस्थान
नीट में राजस्थान के जोधपुर के टॉपर स्टूडेंट के नाम और रैंक का उपयोग कर अपने इंस्टीट्यूट के किसी छात्र का फोटो लगाकर प्रचारित करना कहीं से सही नहीं है. धनबाद के कोचिंग संचालक व शिक्षाप्रेमी भी मानते हैं कि शिक्षा के मंदिर की जिम्मेवारी बच्चों में संस्कार और गुणवतापूर्व शिक्षा देकर उनका भविष्य गढ़ने की है. अगर शिक्षा के उसी मंदिर में फर्जीवाड़ा किया जाए, तो बच्चों में गलत संदेश तो जाएगा ही, समाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
ईमानदार संस्थानों पर नहीं पड़ेगा बुरा प्रभाव : संजय आनंद
कोई भी शिक्षण संस्थान यदि चीजों को गलत तरीके से परोस रहा है, तो उसका भुक्तभोगी वह खुद होगा. जो संस्थान रिजल्ट को मैनिपुलेट कर अपना प्रचार-प्रसार कर रहा है, वह गलत है. फर्जरी का शिकार बच्चा खुद सामने आकर कह रहा है कि वह झारखंड कभी नहीं आया है. उस बच्चे की जगह दूसरे बच्चे की तस्वीर डालकर फर्स्ट और सेकंड रैंक के रूप में पुरस्कृत करना झारखंड के प्रतिभावान छात्रों को दिग्भ्रमित करने वाली बात है. इससे ईमानदार और कमिटेड शिक्षक व शिक्षण संस्थाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन उनका मनोबल छोटा हो सकता है. गलत चीजों पर हर हाल में अंकुश लगाना चाहिए.
प्रचार-प्रसार के मायाजाल से निकलें अभिभावक और छात्र : ललित महाराज
द गुरू ट्यूटोरियल के ललित महाराज कहते हैं कि जेईई या नीट का रिजल्ट आने के बाद कोचिंग इंस्ट्यूिट जिन टॉपर विद्यार्थियों की लिस्ट जारी करते हैं, उसमें विद्यार्थियों का कोई परिचय नहीं दिया जाता. एक ब्रांच के टॉपर को पूरे भारतवर्ष के हर जिले में प्रचारित किया जाता है. अभिभावक या बच्चे भी पता करने की कोशिश नहीं करते कि वह बच्चा कहां का है. प्रचार -प्रसार के मायाजाल में उलझ कर पैसे और समय बर्बाद करते रहते हैं. बायोम ने भी गलत किया है. इस तरह के कार्य को सही नहीं कहा जा सकता है. इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और पढ़ाई बाधित होती है.
पैसे के लिए कुछ संस्थान कर रहे गलत काम : एचआर विश्वकर्मा
एचआर क्लासेंस के एचआर विश्वकर्मा का कहना है कि शिक्षा व्यवसाय नहीं है. लेकिन आज चारों ओर लगभग ऐसा ही वातावरण तैयार हो गया है. इसी कारण अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए कुछ कोचिंग संस्थान गलत तरीके से दूसरे संस्थानों व राज्यों के बच्चों को अपना टॉपर बता कर लोकल अभिभावकों और बच्चों को मूर्ख बना रहे हैं. गलत प्रचार-प्रसार करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई होनी चाहिए. रांची के एक संस्थान के गलत प्रचार-प्रसार के कारण आम जनता के मन में उठे सवालों के कारण अच्छे संस्थान और शिक्षकों का मनोबल गिरेगा. इस ओर सरकारी स्तर पर ध्यान देने की जरुरत है.
बच्चों का भविष्य बर्बाद न करें कोचिंग इंस्टीट्यूट : शिवम कुमार
अभ्यास क्लासेज के शिक्षक शिवम कुमार बताते हैं कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले बच्चे और उनके अभिभावक बड़ी उम्मीद से लाखों रुपये खर्च कर कोचिंग इंस्टीट्यूट में नामांकन कराते हैं. इंस्टीट्यूट वालों की जिम्मेदारी है कि वे झूठा प्रचार कर अपनी साख न जमाएं. यदि किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट ने दूसरे इंस्टीट्यूट के टॉपर को अपना छात्र बता कर गलत प्रचार -प्रसार किया और दूसरे छात्र को सम्मान दिलाने का काम किया है, तो यह गलत है. संस्थानों को इस दिशा में सोचना चाहिए कि आखिर वे क्या कर रहे हैं.
फर्जरी करने वाले इंस्टीट्यूट पर कार्रवाई होनी चाहिए : सोनू पंडित
अभ्यास क्लासेज के संस्थापक सोनू पंडित का कहना है कि आजकल विद्यार्थी अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग इंस्टीट्यूट ज्वाइन कर लेते हैं. विद्यार्थी कुछ इंस्टीट्यूट को ऑनलाइन भी ज्वाइन करते हैं. ऐसे बच्चे का रिजल्ट आने पर उसकी सफलता का श्रेय एक साथ कई इंस्टीट्यूट लेना चाहते हैं, जो सही या गलत हो सकता है. लेकिन दूसरे संस्थान व राज्य के सफल विद्यार्थी की रैंक अपने इंस्टीट्यूट के विद्यार्थी का बताकर प्रसार-प्रचार करना बिल्कुल गलत है. ऐसे इंस्टीट्यूट पर सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. तभी कोचिंग संस्थान के संचालक गलत काम करने से बचेंगे औपर पढ़ाई पर ध्यान देंगे.