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गांडेय विधानसभा उपचुनाव : कल्पना से परे है कल्पना की उड़ान

बाबूलाल व राज्यसभा सांसद सरफराज की भी प्रतिष्ठा दांव पर 

Abhay Verma Giridih : गिरिडीह जिले की गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव में किस्मत आजमा रहीं झामुमो प्रत्याशी कल्पना सोरेन हर चाल सधी हुई चल रही हैं. सैनिक परिवार में पली-बढ़ीं और राजनीतिक घराने में राजनीति के दांव-पेंच सीख रहीं कल्पना की उड़ान कल्पना से परे है. विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के बाद कल्पना ने वह कर दिखाया जिसे पूर्व मुख्यमंत्री और कल्पना के पति हेमंत सोरेन भी नहीं कर पाए.  गांडेय के पूर्व विधायक सलखान सोरेन की मौत के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहीं पुत्रवधू कर्मिला टुडू 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो से टिकट की सशक्त दावेदार थीं, पर स्थिति ऐसी बनी कि उन्हें टिकट नसीब नहीं हुआ. सोरेन परिवार के लाख मना करने के बावजूद कर्मिला चुनावी मैदान में डटी रहीं. उन्होंने चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज करते हुए करीब 18 हजार मत हासिल किए थे.

प्यार की झप्पी ने किया कमाल

गांडेय उपचुनाव में मैदान में उतरीं कल्पना सोरेन ने सबसे पहले पार्टी से रूठों को मनाया, वहीं, भाजपा खेमे में भी सेंधमारी की. कर्मिला को प्यार की झप्पी से झामुमो खेमे में शामिल कराया, तो दूसरी ओर भाजपा के बागी सुनील यादव को अपनी पार्टी के पाले में किया. ज्ञात हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में सुनील ने करीब 9000 वोट हासिल किए थे.

भाजपा के लिए सिर दर्द बने आजूस के बागी अर्जुन

कल्पना सोरेन बागियों को मनाने व विपक्ष में सेंधमारी कर फिलहाल बढ़त बनाए हुए हैं. वहीं, दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी दिलीप वर्मा के लिए आजसू के दिग्गज नेता रहे अर्जुन बैठा सिर दर्द साबित हो रहे हैं. एनडीए गठबंधन के घटक आजसू से बगावत कर अर्जुन बैठा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कूद गए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी अर्जुन ने किस्मत आजमाई थी और 15000 के करीब वोट लाए थे. दिलीप वर्मा भाजपा के साथ-साथ आजसू के वोटों को भी अपना समझ रहे थे, लेकिन अर्जुन बैठका ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया. विगत विधानसभा चुनाव के बाद से ही क्षेत्र में सक्रिय रहे अर्जुन को इस बार जनता के भारी समर्थन की आस है. इधर, दिलीप वर्मा भी हर वर्ग का समर्थन होने का दावा कर रहे हैं.

सरफराज के लिए कर्ज चुकाने का वक्त  

राज्यसभा सांसद डॉ. सरफराज अहमद के लिए गांडेय उप चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. अल्पसंख्यक और आदिवासी बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में सरफराज को तब जीत मिली थी, जब उनकी राजनीतिक स्थिति डावांडोल थी. अब उनके लिए कल्पना सोरेन को विजयी बनाकर कर्ज चुकाने का वक्त है. आंकड़ों के आनुसार, गांडेय विधानसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार  है, वहीं आदिवासियों के 40000 मत किसी भी उम्मीदवार का भाग्य तय करते रहे हैं. अल्पसंख्यक व आदिवासियों के बाद कुर्मी व यादव भी अच्छी संख्या में हैं. 3.12 लाख मतदाता वाले इस क्षेत्र में मुस्लिम व आदिवासी मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. पिछले चुनाव में इन लोगों ने झामुमो के प्रति आस्था जताई थी. उप चुनाव में भी उसकी पुनरावृत्ति होने की पूरी संभावना है. उप चुनाव में 6 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के बावजूद मुस्लम मतों में बिखराव की उम्मीद नहीं के बराबर है. इधर राजनीति में नई-नवेली कल्पना की सधी चाल कोई कमाल कर दे तो अचरज वाली बात नहीं होगी.

बाबूलाल के लिए भी है अग्नि परीक्षा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद बाबूलाल मरांडी के लिए गिरिडीह जिले में डुमरी के बाद गांडेय विधानसभा उपचुनाव दूसरा लिटमस टेस्ट है. डुमरी विधानसभा उपचुनाव में लाख कोशिशों के बाद भी एनडीए उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा था. बाबूलाल के गृह नगर में हो रहे दूसरे उपचुनाव में यद भाजपा को हार मिली, तो मरांडी की दल में ही भारी किरकिरी होगी. अब किसकी प्रतिष्ठा बचेगी और किसकी जाएगी यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. [wpse_comments_template]

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