Arun Kumar Garhwa: गढ़वा के कांडी प्रखंड का सोनपुरा ग्राम आजादी के दशकों बाद भी अंधेरे में रहने को विवश है. ग्रामीणों को बिजली विभाग द्वारा बिजली मीटर तो दिया गया है, लेकिन बिजली उनके घर तक नहीं पहुंच सकी है. सोनपुरा के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग मे हैं. इसे लेकर ग्रामीण नाराज हैं. वे पूर्व मुखिया का घेराव कर बिजली देने की मांग कर रहे हैं. इस गांव में लगभग 225 घर हैं. इन घरों में आज भी ढिबरी और लालटेन जलता है. बताया जाता है कि 1962 तक यह गांव सोनपुरा स्टेट रहा है. आज भी इसका अवशेष गांव में विद्यमान है. आज से छह महीने पहले सभी घरों में मीटर लगाने के लिये बिजली मीटर उपलब्ध करा दिया गया था. बिजली का कनेक्शन नहीं होने से लोगों ने मीटर घर में रख दिया. इसे लेकर संजय मेहता, सर्जकराज मेहता, शंकर मेहता, मुन्नी राम, सुरीष्ठ राम, अमित मेहता, रमन मेहता, उदय शर्मा, मनोज मेहता, सुरेन्द्र पासवान और हिन्दराज कुमार मेहता समेत कई लोगों ने पंचायत के पूर्व मुखिया कृष्णा मेहता उर्फ बच्चू मेहता का घेराव कर बिजली उपलब्ध कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि जब हमलोगों को बिजली मीटर दे दिया गया है तो हो सकता है कि पेपर में सोनपुरा गांव को विद्युतीकृत कर दिया गया हो. यह ग्रामीण जनता के साथ धोखाधड़ी है. बता दें कि सोनपुरा गांव में अभी तक दो कंपनी स्टार्लिंग व टाटा पावर के माध्यम से आधा अधूरा काम किया गया है. एलटी व 11 हजार का तार पोल का काम लगभग 50 प्रतिशत हो चुका है. ग्रामीणों की मांग है कि सोनपुरा गांव को चंद्रपुरा बिजली फीडर से जोड़ा जाए. इस फीडर में बिजली की स्थिति ठीक रहती है. लेकिन किसी भी कंपनी ने इस तरफ पर ध्यान नहीं दिया. सोनपुरा में लगभग 85 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. यह सब्जी उत्पादक क्षेत्र है. लोग अधिक मात्रा में सब्जी, ईख, धान और गेंहू सहित अन्य फसल उगाते हैं. गांव में बिजली नहीं रहने से डीजल पंप से सिंचाई करना काफी खर्चीला साबित हो रहा है.
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की जंग में झारखंड के मोस्ट वांटेड की रोहतास में हत्या बिजली होती तो खेती करना आसान होता
लोगों का कहना है कि अगर बिजली उपलब्ध होती तो खेती करना आसान होता. इसका दुष्प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी सोनपुरा गांव में बिजली को लेकर गंभीर नहीं हैं. जबकि हमलोगों ने कई बार इस समस्या को उठाया है. प्रखंड स्तरीय जनप्रतिनिधि सहित कई समाजसेवी भी गांव आ चुके हैं. सभी मीडिया के माध्यम से ग्रामीणों के साथ फोटो खिंचवा कर झूठा आश्वासन देकर चले जाते हैं. लेकिन आज भी हमारा गांव अंधेरे में डूबा है.
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