Arun Kumar
Garhwa: गढ़वा सदर हॉस्पिटल में गुरुवार को आयुष चिकित्सक के रूप में डॉक्टर सुजीत कुमार ने अपना योगदान देना शुरू कर दिया. सुजीत कुमार की आयुष चिकित्सक के रूप में बहाली से अधिक महत्वपूर्ण यहां तक उनके पहुंचने की कहानी है. एक गरीब परिवार से आनेवाले सुजीत कुमार ने डॉक्टरी की पढ़ाई कर के इलाके में युवाओं के लिए एक उदाहरण बने हैं. उनके संघर्ष की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है.
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सुजीत कुमार गढ़वा के रंका अनुमंडल क्षेत्र के भलवानी गांव से एक गरीब परिवार से आते हैं. उन्होंने 2014 से 2019 तक बीएचएमएस की पढ़ाई की. गढ़वा सदर हॉस्पिटल में आयुष चिकित्सक के रूप के नियुक्ति हुई. उन्हेने अपनी सेवा चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में देना शुरू कर दिया. डॉ सुजीत कुमार बताते हैं कि हमारी पढ़ाई भलवानी गांव से हुई थी. फिर संत जोसेफ़ विद्यालय विश्रामपुर प्रखण्ड रंका में इंटर तक की पढ़ाई की. बाद में BHMS (होम्योपैथी) की तैयारी में लग गया. कहा कि घर में पैसों की काफी दिक्कत थी. मेरे पिता ने कर्ज लेकर मुझे पढ़ाया.
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मां ने कहा – बहुत कष्ट में रहकर हमने सुजीत को पढ़ाया
डॉ सुजीत के पिता सीताराम साह बताते हैं कि जीवन में लाख कठिनाई आए उसके बाद भी मैंने सुजीत को पढ़या. अब सुजीत डॉ सुजीत कुमार के रूप में लोगों को सेवा करेगा. उनकी मां जमूर्ति देवी ने कहा कि बहुत कष्ट में रहकर हमने सुजीत को पढ़ाया. उसे हमने कर्ज देकर पढ़ाया. जब सदर अस्पताल में दो दिन पहले उनकी नियुक्ति हुई तो मां ने बेटे को माथे पर तिलक लगाकर हॉस्पिटल भेजा. डॉ सुजीत के पिता ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोगों को अपने बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. मेहनत के बल पर ही आगे बढ़ा जा सकता है. मेहनत कभी बेकार नहीं जाता है.
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